सुनो, सुन रहे हो न तुम ….? – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

    सुनो ! सुन रहे हो न तुम ?  तुमसे ही कह रही हूं। मेरे अंदर का अनकहा दर्द अब सैलाब बनकर शब्दों के रूप में अनवरत बहने लगा है ।  मैंने​ तुम्हें बहुत रोका , लेकिन तुम नहीं रुके ! मानो दौड़ते रहना ही तुम्हारी नियति थी। वैसे एक सच कहूं ?  यदि तुम चाहते … Read more

अनकहा दर्द – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

मैंने भावना से कभी प्रेम नहीं किया था परंतु आज वह ही मेरी बिटिया रिया और अपने बेटे गौतम को बहुत अच्छे  से संभाल रही है। मेरी माता जी अब उसी के ही साथ रहती है।        भावना हमारे पड़ोस में ही रहती थी। मेरी माता जी उसको बचपन से ही बहुत प्यार करती थी। अपने … Read more

अनकहा दर्द – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

बाबा के घर आते ही मेरा सबसे पहला काम होता किसी पुलिस वाले कि तरह उनकी जेबों की तलाशी लेना। उनकी जेबें किसी हलवाई की दुकान से कम नही थी जब भी हाथ डालता कुछ न कुछ मिल जाता कभी टॉफियां कभी गच्चक कभी बिस्कुट तो कभी कागज में लिपटा हुआ लड्डू। और यकीन मानिए … Read more

एक दूजे के लिए – सिम्मी नाथ : Moral Stories in Hindi

दिसंबर का महीना अपनी अलसाई आँखें जल्दी खोलना नहीं चाहता था, ऐसे में भला सूरजदेव भी नहीं दिखते थे , और दिखते भी तो किसी बुजुर्ग स्वभाव वाले मानव की तरह ठंडे, जिसे समय ने विनम्रता का चोला पहना दिया हो । खैर , मुझे तो उठना ही पड़ेगा ,सोचते हुए शुक्ला जी उठ बैठे … Read more

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