बुरा वक्त हमारे जीवन को नयी दिशा दे जाता है – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

जिंदगी में सब-कुछ बड़ा हीं सुखद और सरलता के साथ चल रहा था….

 वाणी और मयंक अपनी एकलौती बेटी के साथ जीवन के मजे लेते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे… 

वैसे तो वो संयुक्त परिवार में रहते थे परंतु अभी केवल घर में मयंक का हीं ब्याह हुआ था… 

दो भाई और एक बहन कुंवारे थे… 

वाणी घर की बड़ी बहू बनकर जब ससुराल आई तो , बड़े हीं कम समय में उसने घर की समस्त जिम्मेदारियां संभाल ली….

वाणी के सास-ससुर देवर ननद उसे बेइंतहा चाहते थे… 

परिवार के हर सदस्य के बीच बड़ा हीं प्यार और अपनत्व था… 

ससुर बड़े पद पर कार्यरत थे…. 

सारे भाई भी अपनी-अपनी जगह पर सेट थे… 

घर में धन-वैभव और खुशहाली की कोई कमी नहीं थी…. 

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उस पर सोने पर सुहागा हो गया वाणी की व्यवहार और सुघड़ता…. 

एक कर्मठ मां की बेटी वाणी ने मां से हर वो कला सीख रखा था जिससे गृहस्थी को सुव्यवस्थित रूप से चलाया जा सके…. 

वाणी घरवालों के साथ प्यार और अपनत्व की भावना के साथ कदमताल कर के चला करती थी…. 

वाणी की एकलौती बेटी सिद्धि को भी घर में दादा-दादी चाचा और बुआ का खूब सारा प्यार मिलता था… 

वैसे तो मयंक की आमदनी कुछ ज्यादा नहीं थी मगर वाणी कम पैसों में भी बड़ी हीं सुघड़ता से अपनी गृहस्थी चलाती थी…. 

संयुक्त परिवार में रहते हुए राशन, किराया बिजली बिल जैसे बड़े खर्चे तो ससुर हीं कर दिया करते थे…. 

इसलिए उसे कभी पैसों की कमी महसूस हीं नहीं होती थी… 

सिद्धी की जरूरतों को तो उसके चाचा और बुआ हीं पूरी कर दिया करते थे….. 

परंतु कहते हैं कि समय सदा एक सा नहीं रहता…. 

ससुर की नौकरी का सेवाकाल समाप्त होते हीं घर में आमदनी कम होने लगी…. 

इसी बीच घर में एक और बहू आ गई…. 

घर खर्च बढ़ने लगा… 

सिद्धी स्कूल जाने लगी…. 

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अब वाणी और मयंक को पैसों की कमी का एहसास हुआ…..

उस परिस्थिति में भी उन्होंने सामंजस्य बिठाते हुए कुछ खर्चों में कटौती कर के सिद्धी की पढ़ाई जारी रखी…. 

परंतु उनकी खुशियों पर अब किसी अनजानी सी विपदा का खतरा मंडराने लगा….

और वो खतरा केवल वाणी और मयंक हीं नहीं बल्कि पूरी दुनिया को अपने शिकंजे में कसने को आगे बढ़ रहा था….

एक ऐसा दानव जिसने सबकी खुशियों को ग्रहण लगा दिया और वो था कोरोना वायरस….

 मयंक की नौकरी छूट गई…. 

एक एक पैसे की तंगी ने दोनों को दिमागी रूप से परेशान कर दिया….

 वाणी को तो सोचते-सोचते कभी-कभी इतनी जोर से चक्कर आता कि, उसे दीवार का सहारा लेना पड़ता….. 

कोरोना वायरस में परिवार के हर सदस्य की सहनशक्ति जवाब देने लगी….. 

उस विपदा की घड़ी में धैर्य बनाए रखना अब नामुमकिन सा प्रतीत होने लगा….. 

परंतु कहते हैं कि 

हमारा बुरा वक्त हमारे जीवन को नयी दिशा दे जाता है ।

और वहीं वाणी और मयंक के साथ भी हुआ…. 

वाणी को हमेशा से हीं लिखने का शौक था…. 

उसने आनलाईन लिखने का काम शुरू कर दिया…. 

घर बैठे लेखन कार्य करते हुए वाणी पैसे कमाने लगी… 

और लेखन कार्य में दिल लग जाने से धीरे-धीरे वो तनाव मुक्त भी रहने लगी….. 

वाणी के जीवन को नयी दिशा मिल गई….. 

मयंक ने भी आनलाइन कोचिंग शुरू कर दिया… 

इस विपदा की घड़ी में अवसर तलाश कर वो अपनी छुपी हुई प्रतिभा का उचित उपयोग भी करने लगे… 

अब वाणी और मयंक के पास उदास और हताश होने के लिए भी वक्त नहीं बचा…. 

कोरोना वायरस ने जहां एक तरफ उनके लिए रास्ते बंद किए वहीं दूसरी तरफ जीवन को एक नयी दिशा देकर उनके लिए कई रास्ते खोल दिए…. 

निराशाओं के दलदल से निकलकर वो दोनों आशा की नौका पर चढ़कर जीवन की नदी को बड़ी हीं सहजता से पार करने लगे… 

बुरा वक्त आता है तो अपने साथ हजारों अवसर लेकर आता है…

डोली पाठक 

पटना बिहार

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