भरोसा – अर्चना झा

आज पार्क में खेलते वक्त शिवम को गहरी चोट लग गई, घुटने से खून आता देख वो डर गया और भागते हुए आभा दीदी के पास गया,आभा जो उसकी केयर टेकर थी पर मोबाइल पर किसी से बात करने में इतनी तल्लीन थी कि शिवम की रोने की आवाज उसके कानों तक पहुंची ही नहीं,शिवम ने उसका खिंचते हुए कहा, “दीदी देखो ना, मुझे चोट लग गई”शिवम के खून से लथपथ घुटने पर नजर जाते ही आभा के होश उड़ गए, वो समझ गई इस बात के लिए साहब से उसे डांट पड़ने वाली है।

    और इसी बात से परेशान होकर वो शिवम को डांटने लगी, ध्यान से नहीं खेल सकते थे, क्या मैं तुम्हारे पीछे पीछे भागती फिरुं,, तुम्हारे पापा तो मुझे ही डांटेंगे,अब चलो सीधे घर, और लगभग शिवम का हाथ खींचती हुई ले जा रही थी ।

  शिवम मुंह लटकाए सुबक रहा था और सोच रहा था परसों उसके फ्रेंड को हल्की सी चोट लगी तो उसकी मम्मा ने उसे गोदी में उठा लिया, कितना प्यार किया,”दिखाओ कहां लगी है चोट मेरे बेटू को,लो मम्मा ने फूक दिया,अब तो नहीं हो रहा ना दर्द, नहीं मम्मा थैंक्यू कह कर गोदी से फिसलते हुए खेलने को दौड़ गया”  मेरी मम्मा होती तो वो भी मुझे इतना ही प्यार करती, पता नहीं भगवान जी मेरी मम्मा को अपने पास क्यों ले गए, सुनाई नहीं दे रहा क्या बैठो गाड़ी में,आभा दीदी ने झिड़क कर कहा तो शिवम चुपचाप गाड़ी में जाकर बैठ गया।इस बीच आभा ने साहब को जानकारी दी शिबू को चोट लगने की तो उन्होंने उसे क्लिनिक पहुंचने को कहा जहां वो भी ऑफिस से पहुंच रहे थे।

शीबू तीन साल का था तो उसकी मां गुज़र ग ई, शैलेन्द्र ने दूसरी शादी इसलिए नहीं की कि शायद दूसरी मां उसे उतना प्यार ना दे सके, पर अब शिवम पांच साल का हो चुका था उसे मां की कमी खलने लगी, चोट लगने के बाद से उसने ज़िद्द पकड़ ली कि मुझे नई मम्मा ला दो, मेरे दोस्तों की मम्मा उन्हें बहुत प्यार करती है,आभा दीदी तो बस डांटती ही रहती है।




शैलेन्द्र ने एक अच्छी केयर टेकर का इंतजाम किया इस बार सारी छान बीन की वो शीबू का ध्यान भी रखती पर अब तो उसे मम्मा ही चाहिए थी, उसके रिश्तेदारों ने भी दवाब देना शुरू कर दिया, उसके खास दोस्त ने कहा …

देख यार आए दिन तूं ऑफिस से छुट्टी लेता रहता है शीबू की वजह से इस तरह चलता रहा तो तुझे काम से हाथ धोना पड़ेगा तो फिर शीबू की अच्छी परवरिश कैसे कर पाएगा भाभी की जगह कोई नहीं ले रहा तूं बस शिवम के लिए मां ला रहा है, शैलेन्द्र को अपने मित्र की बात सही लगी और एक गरीब परिवार की लड़की से शैलेन्द्र का विवाह हो गया जिनके घर वालों को इस शादी से कोई एतराज़ नहीं था,

22 साल की रश्मि सुहाग की सेज पर लाखों अरमान लिए, घूंघट में बैठी थी, कदमों की आहट ने उसके मन की हलचल बढ़ा दी, वो जैसे शर्माते हुए सिमटने लगी कि आवाज आई , मम्मा….s..s.. रश्मि ने हैरत से घूंघट उठा कर देखा शैलेन्द्र अपने बेटे को गोद में लिए खड़े थे, और शीबू से कहा हां यही हैं आज से तुम्हारी मम्मा, पापा ने अपना प्रौमिस पूरा किया ना,अब तो नाराज़ नहीं हो पाया से, शीबू ने पापा के गले में बाहें डालते हुए कहा नहीं पापा,आप सबसे बेस्ट पापा हो , अच्छा चलो अब अपनी मम्मा से मिल लो इतना कहकर शैलेन्द्र ने शीबू को रश्मि की गोद में डाल दिया और कहा आज से तुम्हें बनना है इसकी बेस्ट मम्मा।शीबू रश्मि को सौंप, आश्वस्त हो, शैलेन्द्र सोफे पर जाकर लेट गये , और शीबू अपनी बहुत सारी बातें बताते बताते अपनी मां की गोदी में ही सो गया ।




रश्मि स्वभाव से तो अच्छी थी पर इस घर आकर उसे ऐसा लगा कि उसके सपनों ने ज़िम्मेदारियों का रूप ले लिया हो, शैलेन्द्र ऑफिस से आते ही सवालों की झड़ी लगा देते, जैसे वह उनकी पत्नी ना होकर शीबू की नई केयर टेकर हो,”शीबू ने खाना खाया, वो तुमसे घुल मिल तो रहा है ना,वो खुश तो है ना , और… और उसकी खुशी का क्या,उसका हाल कौन पूछेगा,दिन भर शीबू का ख्याल रखना, उसके नखरे उठाना और रात को पति के पौरुषत्व की भूख मिटाना,बस यही दिनचर्या थी, फिर धीरे धीरे रश्मि के स्वभाव में रूखापन आ गया,वह इन सब बातों की ज़िम्मेदार शिवम को मामने लगी और उसके अंदर ना जाने कब सौतेली मां ने जन्म ले लिया, वह बड़ी चतुराई से शीबू पर अपनी दुश्मनी निकालने लगी उसके खाने पीने में कटौती करने लगी, शीबू कhता और भूख लगी है तो कहती ज्यादा खाने से पेट में दर्द होता है ना बेटा ,इस तरह शीबू बीमार रहने लगा, उसमें पोषक तत्वों की कमी रहने लगी,सबको यही लगा कि इस उम्र में बच्चों का ठीक से ना खाना एक आम बात है ,पर कुछ दिन अस्पताल में रहने के दौरान बेहोशी की हालत में भी वह अपनी मां को पुकार रहा था,तब रश्मि आत्म ग्लानि से भर गयी वो सोचने लगी मेरे सपने मेरे लिए इतने मायने रखते हैं जिसने एक छोटे से बच्चे को हॉस्पिटल पहुंचा दिया,शिवम तो इन बातों से बिल्कुल अंजान अपनी नई मां से सच्चा प्यार करता था और फिर एक दिन उसकी रश्मि मम्मा ने भी तो उसे कितना प्यार किया था पार्क में गिरने पर ,ऐसी ही तो होती है मम्मा कितनी अच्छी कितनी प्यारी छवि थी शीबू की नजर में उसकी मम्मा की, शीबू के इस भरोसे पर आज रश्मि अपने आप से शर्मिन्दा थी,

रश्मि की आँखो से पश्चाताप के आंसू बहने लगे,वो शिवम के बालों में हाथ फेरती हुई रोती जा रही थी कि शीबू को होश आ गया, रश्मि ने उसे बाहों में भर लिया और खूब दुलार किया, डॉ ने कहा घबराइये नहीं आपका बच्चा अब खतरे से बाहर है, हां मेरा बच्चा ये मेरा ही तो बच्चा है रश्मि बुदबुदाने लगी और अचानक अपने आँसू पोंछ कर शैलेन्द्र की तरफ मुड़ी और बोली अब मैं आपको बन कर दिखाऊंगी बेस्ट मम्मा।

सच अगर आप किसी के लिए निश्छल प्रेम रखते हैं तो यकीन मानिए आप उनका भरोसा भी जीत लेंगे जो आपको अपना नहीं मानते आपसे प्यार नहीं करते 

, अर्चना झा 

 

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