बेटी के साथ साथ मां भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे क़दम बढ़ाएगी…… – भाविनी केतन उपाध्याय 

 

” क्या बेटी की शादी उसे आत्मनिर्भर बनाने से ज्यादा जरूरी है विमला ? मुझे तो लगता था कि तुम्हें तो पढ़ाई लिखाई और केरियर का इतना बड़ा लगाव सा होगा ? परंतु सच कहते हैं लोग कि जिसके पास जिस चीज़ नहीं हो उसको उसकी कदर भी नहीं रहती…. सच तुम एक मॉं होकर अपनी बेटी के भविष्य के साथ कैसे खिलवाड़ कर सकती हैं ? मुझे मेरी बेटी को अपने पैरों पर खड़ा करना ही है फिर उसकी शादी के बारे में सोचूंगा…” ललित जी ने गुस्से होते हुए अपनी पत्नी से कहा।

” पर आप मेरी बात तो सुनिए एक बार….. आप की बेटी को पढ़ाई लिखाई में मेरी तरह बिलकुल रुचि नहीं है तो वो कैसे आगे बढ़ पाएगी ? मैं जानती हूं कि आज के जमाने में पढ़ें लिखे होना बहुत जरूरी है और होना भी चाहिए। परंतु जब मन ही ना लगे तो कैसे होगा ?” विमला जी ने अपनी उलझन अपने बताते हुए कहा।

” तुम चिंता मत करो, उसे पढ़ाई लिखाई में जरा सी भी रुचि नहीं है पर आज के जमाने में पढ़ाई लिखाई के अलावा भी लोग कुछ ना कुछ करते रहते हैं अपने रस रुचि के अनुसार… और अपने रस रुचि को ही अपनी कमाई का जरिया बना कर आगे बढ़ते हैं।

हम भी अपनी बेटी को जिस में ही रस रुचि होगा जैसे कि खाना बनाना,डांस करना, ड्रोइंग करना, कांफ्रिटिंग कोम्प्युटर में कुछ नया करना या सिखना और ना जाने क्या क्या? आए दिन रोज कुछ ना कुछ नया निकलता ही रहता है और बच्चे उस पर फोकस कर के अपनी केरियर बनाते हैं तो हम भी अपनी बेटी को समझाएंगे और उसके पसंदीदा चीज में ही उसकी केरियर बना कर उसे आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करेंगे…” ललित जी ने विमला जी को समझाते हुए कहा।

” तब तो बढ़िया होगा जी, अपनी बेटी को अपनी चाहत से मुंह भी मोड़ना नहीं पड़ेगा और साथ ही साथ वो आत्मनिर्भर भी बन जाएगी….. एक बात और कहूं जी ? अगर मैं भी अपने पसंदीदा विषय में थोड़ा सा आगे बढूं तो क्या मैं भी आत्मनिर्भर बन सकतीं हूॅं ?” विमला जी ने हिचकिचाते हुए कहा।

” हॉं…. हॉं, बिल्कुल तुम भी आगे बढ़कर आत्मनिर्भर बन सकतीं हैं और अपनी दबी हुई चाहत को पूरा कर सकती हैं…” ललित जी ने खुश होते हुए कहा।

” तो फिर तय रहा आज से ही कि बेटी के साथ साथ मां भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे क़दम बढ़ाएगी …” विमला जी ने ललित जी के हाथों को थामते हुए कहा तो ललित जी ने भी हाथों को थामते हुए कहा,” वादा रहा..”और विमला जी ललित जी के गले लग गई….

स्वरचित और मौलिक रचना ©®

भाविनी केतन उपाध्याय 

धन्यवाद

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