बेटा है तो क्या इसे संस्कारों की जरूरत नहीं – सुल्ताना खातून

सुमित्रा मैंने तकिये के नीचे छूट्टे पैसे रखे थे मिल नहीं रहे….. तुमने रखे हैं क्या…. केशव विस्तर टटोलते हुए बोला, केशव जल्दी में था…. छुट्टे पैसे रखने से किराया देने मे देरी नहीं होती…घर का इकलौता स्कूटर तायाजी ले गए थे…..

रजत से पूछिये चाचाजी मैंने उसे नुक्कड वाली दुकान से ढेर सारे चिप्स खरीदते देखा है…. ताया जी की बिंदिया के बोलते ही चाचीजी डपट पडी….

” मेरा रजत मुझसे बिना पूछे पैसे नहीं लेता घर के सारे लोगों के आंखों मे खटकता है मेरा बच्चा अकेला लड़का है ना घर में सब जलते हैं मेरे बच्चे से.

कैसी बातेँ करती हो सुमित्रा इतनी छोटी बच्ची क्या जानती है ईन बातों के बारे मे…. उसने देखा होगा तो कह दिया… ताई जी सुमित्रा की जली कटी बातेँ ना सुन सकीं और बोल पडी….

अरे आप तो रहने दीजिए आप तो अपनी बेटी की ही बात सुनेंगे…

चुप कर जाओ शुबह होते ही शुरू हो गईं दादी बोल पड़ी।

इस घर मे कोइ चीज ठिकाने पर नहीं मिलती केशव बकता झकता निकल गया….

यह एक लोअर मिडल क्लास का संयुक्त परिवार था बात बात पर झिक झिक आम बात थी।




फिर दो दिन बाद इसी बात पे झिक झिक हुई लेकिन इस  इस बार ताई चुप ना रह सकीं….. देखो सुमित्रा मैं शुरू से देखते आ रहीं हू रजत के घर मे अकेले लड़का होने की वजह से तुमने और मां जी ने हमेशा उसके गलतियों को ढांपने की कोशिश की है ये शरारतें करता और मेरी बच्चियों पर इल्ज़ाम आता….. क्या वह लड़का है इसलिए उसे संस्कारो की ज़रूरत नहीं…

इसके झूट को भी हंसी मे उड़ा दिया जाता इसकी छोटी छोटी चोरियों को भी अनदेखा कर दिया जाता मैं कुछ नहीं बोलती के मां जी बेटा पैदा न करने पर मुझे ताने देने लगतीं….. देख लिया नतीज़ा आज अम्मा का बटुआ  साफ कर गया है…..

पर वह इतने पैसे का करेगा क्या ऊपर से घर भी  भी नहीं आ रहा …. सुमित्रा रुआँसी हो गई

चाची जी वो डर के छुपा हुआ है … बिंदिया बोली

ताई जी ने कहा – देख सुमित्रा बच्चे गिली मिट्टी की तरह होते हैं उन्हें जैसे ढालोगी वो ढल जाएंगे… बच्चों को लाड और प्यार से ज्यादा संस्कार दिए जाने की जरूरत होती है… अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा अभी तुम सम्भल जाओ वर्ना पछताती रह जाओगी…. ताई जी के कहने पर सुमित्रा चुप थी और दादी भी…… क्योंकि दादी भी बहुत दिनों से देख रहीं थीं, और आज तो रंगे हाथों पकड़ा था ।

दोस्तों हम अपने समाज मे अक्सर ऐसा देखते हैं के बच्चों की गलतियों को छुपाया जाता है… अनदेखा किया जाता है…. ऐसा कर हम अपने बच्चों को अपराध की ओर धकेलते हैं….. उन्हें सही संस्कार न देकर हम खुद अपने ही बच्चे की गलत परवरिश के दोषी बन जाते हैं .

#संस्कार

मौलिक एवं स्वरचित

सुल्ताना खातून

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