लानत है तुम और तुम्हारी रूकी हुई जिंदगी पर ये भी कोई जिंदगी है ।फिर भी तुम इतने प्रसन्न रहते हो।दिन रात एक ही जगह पर खड़े रहना। कहीं आना ना जाना।अपनी फूटी तकदीर पर तुम्हे अफसोस तो होता होगा शिकायत तो होती होगी मुझे देखो कितनी मेहनत करता हूं कितनी चिंताएं झेलता हूं जिंदगी में …वह राहगीर अक्सर आते जाते सड़क के किनारे अविचल भाव से खड़े उस आम्र वृक्ष से पूछता उपहास करता ।
आम्र वृक्ष मुस्कुरा कर उसका स्वागत करता शाखाएं हिलाकर ठंडी हवा करता और कहता नहीं मुझे कोई शिकायत नहीं है मै अपनी जिंदगी से बहुत खुश हूं ।
एक दिन जब राहगीर वहां आया तो देखा लड़के पत्थर मार के उस आम्र वृक्ष से आम तोड़ रहे थे ।
राहगीर बहुत नाराज हुआ और माथा पीट कर कहने लगा आज मुझे समझ आया कि तुम्हारी तकदीर फूटी क्यों है।तकदीर ने तो तुम्हे इतने फल दिए लेकिन तुम उनकी बचत नहीं करते अपने लिए बचाकर नहीं रखते।जब फल खत्म हो जाएंगे तब क्या करोगे तुम्हे कौन पूछेगा।सबको बांट देते हो जिसको देखो आकर तुम्हारी मेहनत के फल तोड़ ले जाता है फिर भी तुम खुश क्यों हो।मुझे देखो अपनी मेहनत की कमाई अपने लिए रखता हूं हमेशा इसकी सुरक्षा की चिंता करता हूं।किसी को छूने भी नहीं देता तभी तो आज मेरे पास शानदार घर है कार है और तुम वहीं के वहीं पड़े हो अपनी शानदार कार दिखाते हुए उसने फिर उपहास पूर्वक कहा।
आम्र वृक्ष ने आज भी मुस्कुरा कर अपनी शाखाएं हिला कर उसे ठंडी हवा पहुंचायी और कहा “जितना ज्यादा मेरे पास होगा उतने ज्यादा पत्थर पड़ने की संभावना रहेगी इसलिए ले जाने दो उन्हें जिनके लिए तकदीर ने मुझे दिया है।”
बहुत समय के बाद एक दिन वह राहगीर फिर आया और आम फलों से लदे वृक्ष को देख रुक गया थक कर बैठ गया।
फिर बोला जानते हो मेरी सारी संपत्ति मेरे बेटों ने छीन ली मुझे बेघर कर दिया।मेरी तो तकदीर ही फूटी है जितना कमाया सब गवा दिया..तुम्हारी ही तकदीर अच्छी है हर साल बिना मेहनत किए इतने फल तुम्हे मिलते हैं जबकि तुम उसी जगह खड़े रहते हो
आम्र वृक्ष ने आज भी अपनी शाखाएं हिला कर आम्र फल गिरा कर उसका स्वागत किया और मृदुल स्वर में कहा तकदीर को दोष मत दो हम अपने व्यवहार और कर्मों से अपनी तकदीर बनाते या बिगाड़ते है।
मेरे कर्म सिर्फ” मैं “मुझ “तक सीमित थे ….राहगीर को आज आम्र वृक्ष की सदाबहार खुशी और फलों से लदे होने का राज समझ में आ रहा था।
लतिका श्रीवास्तव
लघुकथा#
तकदीर फूटना #भाग्य खराब होना मुहावरा आधारित लघुकथा