बड़े बोल – डा. मधु आंधीवाल

हलो कौन बोल रही हैं ।

हलो हांं मैं राधिका बोल रही हूँ सौम्या पहचाना नहीं ।

दीदी आपका नं नहीं था बताइये आज कैसे याद कर लिया। कुछ जरूरी काम था मै तुम्हारे शहर आई हूँ । तुमसे मिलना बहुत जरूरी था ।

           डा. सौम्या एक जानी मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ थी । उनसे मिलने के लिये पहले से समय फिक्स रहते थे । जब राधिका ने फोन किया तब सौम्या ने कहा ठीक है दीदी इस समय तो नहीं मिल पाऊंगी कुछ इमजैन्सी केस हैं पर आप शाम को घर आ जाइये या कहां रुकी हैं

मैं गाड़ी भेज कर आपको बुला लेती हूँ । राधिका ने पता बता दिया । सौम्या फिर मरीजों में व्यस्त हो गयी । शाम को राधिका को सौम्या ने घर पर बुला लिया ।

राधिका को देखकर सौम्या को बहुत आश्चर्य हुआ जो दीदी सबकी मजाक बनाती थी । अपने को सबसे अधिक सुन्दर व सबसे अधिक होशियार समझती थी आज बिलकुल टूटी सी चेहरा बिलकुल मुरझाया हुआ लग रहा था ।

सौम्या ने बड़े आदर से बिठाया फिर पूछा अब बताइये कैसे आना हुआ ।

राधिका बोली सौम्या मेरी बेटी गीतिका का भविष्य तुम्हारे हाथ में है। सौम्या बोली दीदी मुझे पूरी बात बताओ । राधिका ने कहा उसकी शादी को 6 साल हो गये पर अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ पता ना किस में कमी है।

उसके घर वाले कहते हैं कि यह बांझ है। हम अपने बेटे की दूसरी शादी करेगें । सौम्या मै बहुत हिम्मत और आशा लेकर तुम्हारे पास आई हूँ ।

सौम्या ने कहा दीदी मै जितना कर सकती हूँ उतना प्रयास करूंगी । आप एक बार गीतिका और उसके पति को मेरे पास ले आओ ।

       राधिका बीते समय की यादों मे खो गयी गयी । यह वही राधिका दीदी हैं जिनका घमंड भरा व्यवहार कब किसी को चोट पहुँचा दे कुछ पता नहीं जब इनकी शादी हुई सौम्या मैडीकल की तैयारी कर रही थी । मां पापा की तो जान थी नाम ही के अनुरूप थी  सौम्या ।

बहुत सरल स्वभाव और बहुत ही भोलेपन वाली सुन्दरता । एक बार कोई देखे तो देखता रहे । राधिका बड़े ताऊजी की बेटी थी ताऊजी का अच्छा व्यापार था । सौम्या के पापा सर्विस में थे मां भी घर में ट्यशन पढ़ाती थी ।

बस मम्मी पापा का सपना सौम्या को डा. बनाने का था जिससे दोनों छोटे भाई भी बड़ी बहन को देख कर और आगे बड़े तीनों भाई बहन पढ़ने में बहुत तेज थे । सौम्या को राधिका की शादी के दिन का बहुत इन्तजार था ।

शादी वाले दिन सौम्या अपने मम्मी पापा के साथ पहुंची । ताई और ताऊजी ने भी बहुत ठंडा व्यवहार किया । जब सौम्या राधिका के पास अन्दर गयी तब वह अपनी सहेलियों और मामा की लड़कियों के साथ बातें कर रही थी देखते ही बोली अरे सौम्या कपड़े आदि तो शादी में पहनने के लिये अच्छे लाई हो ।

वैसे भी लड़कियों वाला आकर्षण अभी तुम में है नहीं । उनकी एक सहेली ने कहा राधिका ये तुम कैसे बात कर रही हो यह तो शायद तुम्हारे परिवार में सबसे सुन्दर लड़की है। अभी दो एक साल बाद देखना इसकी सुन्दरता ।

सौम्या मां के पास आकर बहुत रोई मां ने कहा मेरी गुड़िया जिस दिन तू डा. बन जायेगी उस दिन स्वयं ही इनके घमंडी बोल शर्म से नीचे आ जायेगे और आज मां के वाक्य सच हो गये । 

       राधिका का गिड़गिड़ाना और उनकी बेटी के ऊपर बांझ होने का लांछन लगना । सही कहते हैं बड़े बोल नहीं बोलने चाहिये ।

डा. मधु आंधीवाल

अलीगढ़

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