बहुत से भी बहुत मीठी चाय – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

 पिछले नौ दिनों में ही प्रशांत को रिया की वास्तविक खुशी का अहसास हो गया था। अपनी व्यस्तता के बावजूद अब वह उसके घर वापिस आने पर चहकती हुई मिलती थी।        आज सुबह प्रशांत स्वयं भी रिया के उठकर बाथरूम में जाते ही उठ खड़ा हुआ और उसने गैस पर सुबह की चाय चढ़ा दी। … Read more

आगाज़ – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

 पापा की ,आंगन से आती हुई, झल्लाहट-भरी आवाज सुनकर अचानक कविता की नींद टूट गई , “तुमने मुझसे पूछे बिना बाई की पगार कैसे बढ़ा दी ? सर्विस से मेरी रिटायरमेंट के बाद  क्या तुम मुझे घर से भी रिटायर करने की तैयारी में जुट गई हो ? ” “नहीं जी, ऐसा नहीं है। असल … Read more

बा अदब! बा मुलाहिजा… – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

   सब्जीवाले की आवाज सुनकर कविता, रोमा और निम्मी अपने-अपने घरों से बाहर निकल आईं, ‘क्या बात भैया ? दो दिन आए नहीं, सब ठीक तो है न ?’ कविता ने पूछा।       ‌’हां जी मैडम ! बस पास के गांव में अपने माता-पिता से मिलने चला गया था, लेकिन उस दिन आपने मशरूम लाने को कहा … Read more

रिश्तों के जुड़ाव के लिए स्पष्ट संवाद जरूरी है… – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

  शाम को ऑफिस के बाद अमन जैसे ही घर पहुंचा तो रागिनी को किचन में न पाकर, ‘कहाँ हो भई ? मेरा नींबू पानी नहीं बनाया आज ?’ कहते हुए तीव्र गति से ड्राइंग रूम की ओर मुड़ गया। रागिनी को वहाँ भी न पाकर वह तुरंत अपने बैड रूम में पहुंचा। दरअसल गर्मियों में … Read more

मजबूरी – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

आजकल मिसिज गुप्ता के घर में खूब रौनक लगी है। अमेरिका से उनके बेटा- बहू और बेटी- दामाद बच्चों संग छुट्टियां मनाने उनके पास आए हुए हैं। सन्नाटा लीलकर उनका घर बोलने लगा है। चारों ओर चहल-पहल मची हुई है।   समय को जैसे पंख लग गए हैं। कभी खरीददारी, कभी पिक्चर, कभी पिकनिक, कभी परिजनों … Read more

बचुआ! इक छोटा-सा ‘मुबैल’ हमें भी दिला दो.. – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

 आज शनिवार है। पूरे एक हफ्ते बाद दादी पहले वाली दादी बन गई हैं। इतनी कड़कती ठंड में भी , पापा के मना करने के बावजूद, उन्होंने सुबह-सुबह अपना बिस्तर छोड़ दिया और नहा-धोकर, हाथ में माला लेकर वे पुनः अपने बिस्तर में विराजमान हो गईं और अपनी चिर-परिचित ऊंची आवाज में बहू को इतनी … Read more

हैसियत ! – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

अंजना देख रही थी कि रागिनी और रमन के पांव आज जमीन पर नहीं पड़ रहे । उनके बच्चे भी खुशी से  इठलाते हुए घर-भर में घूमते फिर रहे थे। खुशी होती भी क्यों न उन्हें ? ‘किराएदार’ शब्द में छिपी सामाजिक अवहेलना तथा उसके कटु अनुभवों को झेलते हुए आज एक लंबे समय के … Read more

सुनो, सुन रहे हो न तुम ….? – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

    सुनो ! सुन रहे हो न तुम ?  तुमसे ही कह रही हूं। मेरे अंदर का अनकहा दर्द अब सैलाब बनकर शब्दों के रूप में अनवरत बहने लगा है ।  मैंने​ तुम्हें बहुत रोका , लेकिन तुम नहीं रुके ! मानो दौड़ते रहना ही तुम्हारी नियति थी। वैसे एक सच कहूं ?  यदि तुम चाहते … Read more

उफान – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

   ‘अरे ! राधा! ध्यान कहां है तुम्हारा ?  कितनी लापरवाही से काम करती हो आजकल ? आज फिर तुम से सारा दूध उबलकर भगोने से बाहर आ गया ? तुमसे कितनी बार कहा है कि तुम्हें चार बर्नर पर एक साथ काम करने का कौशल नहीं है,क्योंकि अपने घर में तुम्हें इस प्रकार काम करने … Read more

मौन सामंजस्य – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

 आज भी शाम की सैर के समय मेरा ध्यान अपनी सैर में कम और उस वरिष्ठ दंपति की धीमी गति से चल रही सैर की ओर ही अधिक था। उन पति महोदय के एक पैर में संभवतः कुछ तकलीफ थी क्योंकि वे अपने दूसरे पैर पर तनिक अधिक दबाव बनाते हुए अत्यंत धीमी गति से … Read more

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