मां ने समझाया था! – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

   मैं किसी प्रख्यात व्यक्तित्व या पद विशेष की स्वामिनी नहीं हूँ। मैं एक सामान्य महिला हूँ। फिर भी एक औसत परिवार में जन्मी महिला विपरीत परिस्थितियों में से निकल कर कैसे अपना रास्ता बना सकती है,यही बताना इस कथा का उद्देश्य है। अक्सर अति ‘आर्थिक अभावों’ को ही संघर्ष का नाम दिया जाता है लेकिन … Read more

बड़ा घर – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

     लगभग 21 दिनों पश्चात गीता ने पुनः घर में प्रवेश किया। गीता उनकी घरेलू गृह सहायिका है। वह चेहरे से अवश्य कमजोर दिख रही थी,किंतु काम करने का उसका उत्साह पहले जैसा ही बरकरार था। दरअसल, पिछले माह वह भी ‘कोरोना’ की चपेट में आ गई थी। पहले दिन उसे हल्का बुखार तथा दूसरे दिन … Read more

व्यवहार – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

 ‘माँ,भाभी शिक्षित अवश्य हैं,किंतु रसोई के काम में बिल्कुल भी माहिर नहीं हैं। देखो न,सब्जियों में तेल-घी तो न के बराबर ही डालती हैं। रोज ही उनकी बनाई सब्जियों में नमक और मिर्च मसाला कम होता है। इतनी रूखी-सूखी और  बेस्वाद सब्जियां कोई कैसे खा सकता है ? आप कभी कुछ कहती क्यों नहीं उन्हें … Read more

संस्कार! – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

  सावित्री जी ने अपनी युवावस्था में अपने संघर्षरत पति के साथ किए कठोर परिश्रम और अनवरत संघर्षों के पश्चात अपने परिवार को समाज में एक शानदार प्रतिष्ठित स्थान दिलाया था और आज रईसी दुनिया में उनके परिवार का एक विशेष स्थान था। अपने हृदय की उदारता से उन्होंने अत्यन्त औसत परिवार से आई अपनी बहू … Read more

परम संतोष – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

   राधा चाची रसोई में काम करने के साथ-साथ बड़बड़ाती जा रही थीं , ‘ऐसे अनाड़ी के पल्ले से बांधी गई हूँ कि सेहत ठीक हो या न हो, रसोई मेें तो हमें ही खटना पड़ेगा।हमारे साथ की सारी सहेलियों के पति और दूर क्यों जाएं रिश्ते- नातों में ही देख लो, आजकल सब आदमी रसोई … Read more

पर उपदेश कुशल बहु तेरे – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

कल फिर रात में बहू-बेटे के कमरे से आती झगड़ने की ऊंची आवाजों से वृद्ध सास-ससुर बुरी तरह से आहत थे। बार-बार समझाने के बावजूद बेटा कल देर रात फिर शराब पीकर घर आया था और ऊंची आवाज में अपनी पत्नी के साथ गाली-गलौज कर रहा था।  ऐसी स्थिति में हमेशा ही नशे में धुत्त … Read more

रिटायरमेंट के साइड इफेक्ट्स ! – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

     सुबह घर में किचन का काम बहुत जोरों-शोरों से चल‌ रहा था। किचन से कोसों दूर रहने वाले सठियाए पति (60+), जिन्होंने कल तक (अपनी युवावस्था में ) कभी बाजार से एक साथ लाई गई सब्जियों को अलग-अलग करके फ्रिज में नहीं रखा था आज गिराते-पटकते सब्जी काट रहे थे।       प्याज काटने की बारी आई … Read more

आओ भैया ! कुछ तुम कहो, कुछ मैं कहूँ – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

कितने बरस हो गए हमें एक साथ आराम से बैठ कर बातचीत किए हुए ! वह बचपन का सरल और निश्छल प्रेम, बात-बात पर झगड़ पड़ना ,एक दूसरे को मारने के लिए अंधाधुंध दौड़ पड़ना और बाबूजी को सामने पा कर शराफत से एकदम ठहर जाना, तुम्हारी किताबों को हाथ न लगाने की सख्त ताकीद … Read more

नया पहलू – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

‘अरे दीदी,आप माँ के पास बैठिए न ! उन संग गपशप कीजिए। यहां किचन में क्यों आ गईं ? मैं सब संभाल लूंगी यहां।’ अपनी ननद कविता को किचन में आया देखकर चेहरे पर प्रेमभरी मुस्कान लिए रिया तुरंत बोली। ‘भाभी, आप दूसरा काम देखें। मैं आपको सब्जियों का मसाला- प्याज, टमाटर, अदरक, लहसुन आदि … Read more

तर्क – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

गेट की आवाज सुन कर उन्होंने बाहर झांका। रज्जो ही थी। रज्जो ने चुपचाप झाड़ू उठाया और ड्राइंगरूम से झाड़ू लगाना शुरू कर दिया। ‘यह क्या  रज्जो ! न नमस्ते,न दुआ-सलाम और सीधे ड्राइंग रूम से सफाई शुरू ? तुझे कितनी बार समझाया है कि हमारे कमरे से सफाई शुरू किया कर,लेकिन तुझे समझ ही … Read more

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