सिन्दूर की कीमत – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” हेल्लो जी मेरा नाम निशा है मैं आपके पड़ोस मे ही रहती हूँ !” नई नई उस कॉलोनी मे आई आभा से एक औरत बोली। ” जी हेल्लो बहुत अच्छा लगा आपसे मिलकर !” दरवाजे पर खड़ी आभा मुस्कुरा कर बोली। ” आपके घर मे कौन कौन है ?” निशा ने सवाल किया। ” … Read more

खुश रहने को एक वजह काफी है । – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” क्या बात है पल्लवी आजकल बड़ी सुस्त सी रहती है तू ऑफिस में ….सब ठीक तो है ना?” चाहत ने पूछा। “हां चाहत बस सब ठीक ही है!” पल्लवी फीकी हंसी हंसते हुए बोली। ” चल कैंटीन में चलकर एक एक कप काफी पीकर आते है!” चाहत उसका हाथ पकड़ कर बोली। ” नहीं … Read more

अपनों का साथ – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” माँ… माँ ” जल्दी से कुछ खाने को दो बहुत भूख लगी है ” रिया ने कॉलेज से आते ही कहा ! “बस बेटा 2 मिनट रुको मैं लाती हूँ। सुबह टिफिन ले जाने को इसी लिए तो बोला था मैने । ” रिया की माँ ऋतु ने कहा “क्या माँ आते ही लेक्चर … Read more

” गाढ़े दिनों मे रिश्तेदार सबसे पहले मुंह मोड़ते है ।” – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” मम्मी कल मेरी कॉलेज की फीस जमा करने का आखिरी दिन है फीस नही जमा हुई तो अंतिम वर्ष की परीक्षा नही दे पाऊंगा मैं !” नीलेश ने रुआँसा हो कहा। ” बेटा बहुत कोशिश की मैने पर अभी रुपयों का इंतज़ाम नही हुआ तेरे पापा के इन्शोरेंस के पैसे भी अभी नही आये … Read more

अगले जन्म मोहे बिटिया ना कीजो – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

कितना अरमान था श्रुति को पढ़ लिख कर डॉक्टर बनेगी अपने मम्मी पापा का नाम रोशन करेंगी उनके जीवन में जो बेटे की कमी है वो पूरी करेगी। अपनी दोनों बहनों का सहारा बनेगी। कितना कुछ चाहता है इंसान पर चाहा हर बार पूरा हो ये ज़रूरी तो नहीं होता। क्योंकि जिंदगी का नाम ही … Read more

बेटा है नही था – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

विवेक अपने पिता का पहला श्राद्ध बहुत धूमधाम से कर रहा था । सभी नाते रिश्तेदारों को बुलाया था पिता की पसंद के भोजन से घर आंगन महक रहा था । पंडितों की पूरी जमात अपने आसन पर पधार चुकी थी । विभिन्न किस्म के पकवान उन्हे परोसे जा रहे थे और विवेक अपनी पत्नी … Read more

क्या समझौते सिर्फ पत्नियां करती है ? – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” क्या बात है रिया आज ऑफिस आने में देर हो गई तुम्हे ?” रिया की सहेली प्रतीक्षा ने उससे पूछा। ” हां यार बस थोड़ी देर हो गई घर से निकलने में ये शादी नाम की घंटी गले में लटकाई है ना उसके कुछ तो साइड इफेक्ट्स होंगे ही !” रिया गुस्से में बोली। … Read more

लफ्जो मे नही हकीकत मे बराबर कर दो ना – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” बहनजी हमे तो आपकी बेटी बहुत पसंद है बस लड़का लड़की दोनो आपस में बात कर लें फिर रिश्ता पक्का कर देते है आखिर जिंदगी तो इन्हे ही बितानी है साथ में !” लड़की देखने आई लड़के की मां स्मिता बोली। ” सही कहा बहनजी जाओ श्रीति ( लड़की) देवांश ( लड़का) को टैरेस … Read more

कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नही होता – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

बाबुल के अंगना मे नाज़ो पली , उस अंगना से इक दिन चली “ दूर कहीं बजते गाने के ये बोल नंदिनी के कानो मे पड़े तो अनायास ही उसकी आँखों से आंसुओं की धार छूट पड़ी । ” क्या सभी लड़कियां अपने बाबुल के अंगना मे पलती बड़ी होती है ? क्या वही एक … Read more

समझदारी से रिश्ते बनते है – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” सुगंधा कल राखी है क्या कैसे करना ?” माधव ने अपनी पत्नी से पूछा। ” क्या करना है मतलब ? अरे जो अब तक होता था वही करना हैं!” सुगंधा बोली। ” पर अभी तक तो मां थी अब बहने आयेगी तुम्हे भी मायके जाना है अपने तो कैसे होगा सब … मैं नीला … Read more

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