मुखौटा – रश्मि वैभव गर्ग : Moral Stories in Hindi

अरे तुम? नूतन को होटल के बार में डांस करते हुए देखकर विशाल ने चौंकते हुए कहा। वहाँ की चकाचौंध में विशाल नूतन से ज़्यादा बात तो नहीं कर सका, लेकिन उसने नूतन का फ़ोन नंबर ले लिया था। विशाल को देखकर नूतन भी सहज नहीं हो पा रही थी, वो डांस तो कर रही … Read more

बदलता रुख़ – रश्मि वैभव गर्ग : Moral Stories in Hindi

माही शहर की पॉश कॉलोनी में रहती थी । दो वर्ष पूर्व माही के पति का सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया था । सार्थक ,माही का इकलौता बेटा था । पति के जाने के बाद माही ने अपने और बेटे के जीवन यापन करने के लिए टिफिन सर्विस शुरू कर दी थी । माही … Read more

ममता का दायित्व – रश्मि वैभव गर्ग : Moral Stories in Hindi

कृष्णकली नाम था उसका ..प्यार से सब कली ही बुलाते थे। ग़रीबी के साये में ही आँख खोली थी उसने। कली अपने माँ बाप की सबसे बड़ी संतान थी।उससे छोटी तीन बहिनें और थी। जीवन की कठिनाइयों में शिक्षा प्रायः गौण ही हो जाती है। दसवीं की परीक्षा में कली पूरक आई थी। पिता पर … Read more

संवेदना का ताप – रश्मि वैभव गर्ग : Moral Stories in Hindi

तड़के ही निशा का फोन आया , कि दीदी आज मैं काम पर नहीं आ पाऊँगी , मुझे तेज़ बुखार आ रहा है… आप आज कैसे भी काम चला लो , मैं कल से अपनी बेटी को भेज दूँगी, आज उसका इम्तिहान है , इसलिए वो नहीं आ पायेगी । सुबह सुबह निशा के फ़ोन … Read more

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