आत्मसम्मान… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

एक लंबे चौड़े घर के अलावा कोई भी जायदाद अपने पीछे छोड़कर नहीं गए थे दीनानाथ जी… भरा पूरा परिवार था… तीन बेटे, तीन बहुएं, पांच पोते पोतियां… सबको हंसता खेलता छोड़ खुशी-खुशी…धर्म पत्नी रमा जी के गुजरने के 6 महीने के भीतर ही दीनानाथ जी भी चल बसे…  तीन बेटे बहू के संयुक्त परिवार … Read more

बाबुल का आंगन – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“आज तक कौन सा सुख पाया मेरी बेटी ने… अपने बाबुल के घर में… जो उसे यहां की याद आएगी… क्यों आएगी…!” बोलकर रविंद्र जी एक ठंडी आह भरकर बिस्तर पर लेट गए…  पूरे एक साल हो गए थे वसुधा के ब्याह को… मगर इन एक सालों में कभी घूम कर वह बाबुल के आंगन … Read more

खुशी के आंसू… – रश्मि झा मिश्रा   : Moral Stories in Hindi

आज फिर सुबह से घर में सन्नाटा पसरा हुआ था… राजू मां के कमरे में गया तो मां गठरी बनी कोने में तकिया लगाए पड़ी थी…  पिताजी बगल में कुर्सी पर बैठे खिड़की के पास अखबार देख रहे थे… राजू मां के पास झुक कर मां को थोड़ा हिलाते हुए बोला…” क्या हुआ मां अब … Read more

बहन… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“देखिए मिस्टर सेन… मैं आपको किसी भुलावे में नहीं रखना चाहता… आपकी दोनों किडनी फेल हो गई है खाना पीना सब छोड़ना होगा… हफ्ते में दो दिन डायलिसिस करवाना होगा…!”  थोड़ी देर के लिए कमरे में खामोशी छा गई… फिर डॉक्टर के सामने बैठे मिस्टर सेन ने टेबल पर हाथ रखते हुए कहा…” यह क्या … Read more

असली बहन – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

बंटी दुकान पर जाकर बोला…” अंकल ₹50 की एक चॉकलेट दीजिए…!” ” पर बेटा ₹50 की तो नहीं है मेरे पास…!” ” अच्छा ₹40 की है…!” ” नहीं बेटा ₹20 की है…!” ” अच्छा तो दो दे दीजिए…!”  चॉकलेट हाथ में लेकर बंटी बिना पैसे वापस लिए निकल गया… उसके पीछे से रीना आई…” चाचा … Read more

प्रेम का हक… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“बरसात आ गई… आप इस बार भी छत की मरम्मत नहीं करवा सके… बताइए जिस पानी के लिए लोग तरसते हैं… उसी पानी को देखकर मेरी आंखों में पानी आ जाता है…!”  रीमा का घर काफी पुराना हो गया था… छत का जो हिस्सा उसे मिला था… उसकी मरम्मत बनने के बाद से कभी नहीं … Read more

अपना घर… – रश्मि झा मिश्रा   : Moral Stories in Hindi

“मां अपना जरूरी सामान सब देखकर रख लेना… दवाइयां ध्यान से ले लेना… एक महीना तो कम से कम रहना ही पड़ेगा ना…!”  “अरे चारू… बेटा मुझे मत बुला इतने दिनों के लिए… तेरी सासू मां तो हैं ही… उनका स्वभाव मुझसे नहीं मिल पाता… तू तो जानती है बेटा… पिछली बार कितनी परेशानी उठानी … Read more

खानदान की इज्जत… – रश्मि झा मिश्रा   : Moral Stories in Hindi

“दुनिया में और कोई काम नहीं बचा… कोई कोर्स नहीं रह गया करने को… ले देकर तुम लोगों की सुई वहीं अटक जाती है… अरे भाई कुछ नाम कमाने वाला हुनर सीखो ना… सिखना ही है अगर तो… नहीं तो बैठो घर… पढ़ाई लिखाई खत्म हो गई… ब्याह की जिम्मेदारी मेरी है… मैं ढूंढ रहा … Read more

अशांत… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“दीदी अब मुझसे नहीं होगा… तुम्हें आना ही पड़ेगा…!” ” पर आकाश… मैं कैसे आऊंगी… दोनों बच्चों का क्या करूं… कहां छोड़ूं… कुछ तो सोचो…!” ” यही सब सोच सोच कर तो… इतने दिनों से अकेला सब झेल रहा हूं… पर अब नहीं… मुझे भी अपना घर देखना है… दो महीने हो गए… अस्पताल के … Read more

झुलौना बाबा – रश्मि झा मिश्रा .   : Moral Stories in Hindi

सब इंस्पेक्टर से रिटायर्ड हुए थे… रुद्र के झुलौना बाबा… इतना मस्त आकर्षक व्यक्तित्व… गठा हुआ शरीर… अभी भी लगता की चालीस पैंतालीस साल के ही हैं… पर उम्र का क्या… अब रिटायर हुए 7 साल हो चुके थे… रूद्र जब भी अपनी नानी के घर आता… दूर से ही बाबा को देखकर खुशी से … Read more

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