समझौता – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

————- मां!” मैं अपने ख्वाबों से समझौता नहीं कर सकतीं हूं। आपने कितनी मुश्किलों का सामना करके मुझे इस काबिल बनाया कि आज मैं इस मुकाम पर हूं, सिर्फ इसलिए नौकरी छोड़ दूं कि मैं रवि से ज्यादा ऊंचे पद पर हूं और समाज में मेरा मान – सम्मान ज्यादा है। मां मैंने अपनी मेहनत … Read more

दिखावे की जिंदगी – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

————— मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी गुनगन के ख्वाब हमेशा रइसों वाले थे। यहां तक की वो अपने पिता की नौकरी और मां की विवशता की आलोचना भी करती और उनको नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी। पिता क्लर्क थे तो कमाईं भी सीमित थी और मां घर के कामकाज के साथ लोगों के … Read more

लल्लो चप्पो करना – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

“ऑफिस में जब काम के बजाय चाटूकारिता को महत्व दिया जाता है तो मेहनत करने वाला इंसान कहीं ना कहीं हताश हो जाता है सर”… रमन अपने अधिकारी सुरेन्द्र सिंह से कह रहा था। ” ऐसा तुम्हें क्यों लगा रमन? तुम बिना सोचे-समझे इल्जाम लगा रहे हो बड़े साहब पर” सिंह साहब ने फाइल पलटते … Read more

अपमान – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मां! “आज आप मेरी निगाहों से गिर गईं ।एक औरत हो कर आपने सरे आम इतने सारे रिश्तेदारों के बीच काव्या के घर वालों का मजाक बनने दिया। आपने जरा सा नहीं सोचा कि उसके दिल पर क्या गुजर रहा होगा जब उसकी गरीबी का मजाक बन रहा था और उसके माता-पिता का उपहास उड़ाया … Read more

जा सकती हो मेरे घर से – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

रवि और सुनयना में आज कहासुनी हो गई थी और छोटी सी बात बतंगड़ बन गई थी। कहते हैं कि जब इंसान गुस्से में होता है तो दिमाग और जुबान दोनों पर काबू नहीं रख पाता है और उसने सुनयना को कहा कि,” जा सकती हो अपने घर” । “अपने घर…ओह! तो ये घर तुम्हारा … Read more

ये धन -सम्पत्ति ना अच्छे-अच्छों का दिमाग खराब कर देती है – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

शानो-शौकत से भरी जिंदगी थी ठकुराइन की।कलफ लगी साड़ी पहनकर पान का बीड़ा मुंह में दबाए जहां से निकलती सब सम्मान में सिर झुका कर प्रणाम करते और वो भी दो मीठे बोल बोलकर सभी का हालचाल पूछा करती थीं। ठाकुर साहब नहीं रहे तो भी उन्होंने गांव छोड़कर बच्चों के साथ विदेश जाने से … Read more

चिरैया – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सुजाता जी अकेली रह गई थीं घर में। संतान का सुख मिला नहीं था और महेश जी भी इस उम्र में हांथ छुड़ा कर चले गए थे। इंसान जन्म लेते ही अपनी आयु सीमा तय कर के ही पृथ्वी पर आता है। किसी ना किसी को तो जाना ही पड़ता है। जीवन और मृत्यु का … Read more

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