समझदार बहुएँ : घर मे सुख शांति – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

अनुराग जी का पैर बाथरूम मे गिरने के कारण टूट गया था। जिसके कारण डॉक्टर ने प्लास्टर चढ़ाकर तीस दिनों तक आराम करने को कहा था। यह सुनकर उनकी बेटी उनसे मिलने आने वाली थी। अनुराग जी के दो बेटा और एक बेटी थे। तीनो की शादी उन्होंने करा दिया था। दूसरे बेटे की शादी … Read more

 भावशून्य : लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

दादी माँ प्रणाम, कहते हुए पैर छूकर विमला जी के पोता पोती अपनी माँ के साथ स्कूल के लिए चले गए। यह उनका प्रतिदिन का काम था, स्कूल जाते वक़्त दादी को उनके कमरा मे जाकर प्रणाम करना और फिर स्कूल के लिए निकल जाना और रात मे भी सोने जाने के पहले दादी को … Read more

जरूरी नहीं कि लव मैरेज करने वाली लड़की खराब ही हो – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

स्कूल से आकर सुधा अभी पर्स से घर की चाबी ही निकाल रही थी कि तभी उसकी पड़ोसन आई और आकर मिठाई का डब्बा पकड़ाते हुए सुधा से कहा लो मिठाई खाओ। आज मेरे भाई की सगाई हुई है। सुधा ने आश्चर्य से पूछा तुम्हारे भाई की सगाई हुई है,कौन है जो तुम्हारे भाई को … Read more

सही फैसला – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

भाभी आ गईं, भाभी आ गईं, चलो चलकर देखते है। रीता और मीता के बड़े भाई रमेश क़ी कल शादी थी और आज दुल्हन को लेकर बारात लौटनी थी। बस आज सुबह से ही रीता और मीता अपनी सहेलियों के साथ बड़ी बेचैनी से अपनी भाभी का इंतजार कर रही थी। गाड़ी की आवाज सुनते … Read more

बच्चों का झगड़ा – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

डोरबेल की आवाज़ सुनकर मैंने दरवाजा खोला तो सामने पड़ोसन की बेटी खड़ी थी। मैंने कहा “आओ बेटा बैठो, माधुरी तो अभी पार्क से खेल कर नहीं आई है। क्या तुम खेलने नहीं गईं थी?” “ नहीं आंटी मेरी तबियत ठीक नहीं है इसलिए खेलने नही गई। वैसे मै माधुरी से मिलने नहीं आई हूँ। … Read more

भोर का उजाला – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

रीतिका के पापा आइये चाय बन गईं। चाय पी लीजिए। कहाँ है? आइये चाय ठंडी हो जाएगी। सुबह सुबह कहाँ चले गए? रीतिका की माँ चाय का कप लिए अपने पति को चाय पीने के लिए ढूंढ रही थी। जब घर मे दिखाई नहीं दिए तो फिर अपने आप मे ही बोलने लगी, पता नहीं … Read more

अकेलेपन का दंश – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

रेलगाड़ी अपनी पूरी रफ्तार मे चल रही थी। हौकरो की आवाज इसतरह से गूंज रही थी जैसे उनका इंजन की आवाज से कोई मुकावला हो और उन्हें उससे तेज आवाज मे बोलकर अपना सामना बेचना हो। एक समानवाला अभी अपना सामान बेच ही रहा होता कि दूसरा अपना सामान लेकर आ जाता। बच्चो को तो … Read more

 महत्वपूर्ण कौन? पैसा या रिश्ता – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

मीरा अपनी बेटी ममता के साथ बेटे की शादी की शॉपिंग करके घर पहुंची तो उसने ड्राइंग हॉल मे सास और पति के साथ अपनी ननद को भी बैठे हुए देखा। ननद के आने की जानकारी उसे नहीं थी इसलिए उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन उसने सोचा अच्छा ही है दीदी आ गईं है तो … Read more

 सुधार कभी भी सम्भव है – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

विभा अपने कमरे मे बेचैन हो कर  इधर उधर घूम रही थी। जैसे जैसे समय व्यतीत हो रहा था उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। कभी सोचती आज शाम ही नहीं होता, कभी सोचती रमेश ऑफिस से ही कही टुर पर चले जाते तो अच्छा रहता। उसकी सोच पर कोई लगाम ही नहीं था। कुछ … Read more

प्यार से समस्या का समाधान – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

सर्दियों का दिन था। रमा जी और रविकांत जी लॉन मे बैठकर धुप सकते हुए आपस मे बाते कर रहे थे। दोपहर के ढाई बज रहा था। धुप भी अब लॉन से जाने लगा था। रविकांत जी को जोरो की भूख लगी थी। सुबह से उन्होंने सिर्फ फल खाया था।जब भूख बर्दास्त नहीं हुआ तो … Read more

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