दगड़ाबाई चा गुत्ता! – कुसुम अशोक सुराणा : Moral Stories in Hindi

अमावस की रात में झींगुरों की झीं-झीं के बिच, सूखे पत्तों को रौंद कर एक आवाज़ रात की ख़ामोशी को चीरती हुई दगडाबाई के कानों में गर्म शीशे सी पहुँची और कुछ ही पलों बाद उसे ऐसे लगा मानों कोई उसका पल्लू खींच रहा हैं! ऊँची-ऊँची घास के बिच एक्का-दुक्का ढाबों के आसपास हाइवे से … Read more

उपहार! – कुसुम अशोक सुराणा : Moral Stories in Hindi

घर-आँगन केसर और बासमती चावल की खुशबू से महक रहा था! पिताजी ने माँ भगवती के आगे दीप जलाया और वणज का भोग लगाया!  आज नारळी-पौर्णिमा, रक्षाबंधन का त्यौहार! घर के सभी सदस्य आज छुट्टी मना रहे थे! हँसी के फव्वारे छूट रहे थे…हम सभी भाई-बहन छोटे भाई का इंतज़ार कर रहे थे! वह मिरज … Read more

error: Content is Copyright protected !!