दंश – अलका प्रमोद : Moral Stories in Hindi

अभी मैं क्लीनिक से आकर बैठी ही थी कि मिस्टर वर्मा का फोन आ गया। वह बुरी तरह घबराए हुए थे, उन्होंने रूआँसी वाणी में कहा, “डॉक्टर आप तुरंत आ जाइए, ऋतिका को पता नहीं क्या हो गया है, साँस ही नहीं ले पा रही है।” मैं समझ गयी कि जिस घड़ी से मैं डर … Read more

पापा तुम कहाँ हो – अलका प्रमोद : Moral Stories in Hindi

बाहर ज़ोरों की आँधी आई थी मानो टीन और छतों को सामना करने के लिए ललकार रही हो। खिड़की की झिर्री से प्रवेश करती वायु विचित्र-सी सीटी के समान ध्वनि उत्पन्न कर रही थी, कि तभी आँधी के कारण बिजली चले जाने से वातावरण और भी रहस्यमय हो उठा। इतने बड़े घर में एकाकी बैठे … Read more

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