• infobetiyan@gmail.com
  • +91 8130721728

आर्यन –   मधु झा

“”आर्यन की मम्मी आयी है””,,ये वाक्य सुनकर सुनीता हतप्रभ रह गयी ,,साथ ही हृदय के अंदर तक आहत हो गयी,,तो क्या आज तक भी स्नेहा के लिए मैं सिर्फ़ आर्यन की मम्मी तक ही सीमित हूँ,, शादी के पाँच साल बाद भी वो मुझे माँ क्या माँ के समान भी न समझ सकी,, हमेशा मस्त रहने वाली सुनीता एक अंजानी वेदना से कराह उठी,, न जाने क्यों क्षण भर में ही आँखें नम सी हो गयी,,।

उसने तो पहले दिन से ही स्नेहा को अपना लिया था,,आर्यन के स्नेहा को अपनी पसंद बताने के बाद सुनीता और उसके पति ने एक सवाल नहीं किया,,।

खुले दिल से सहर्ष स्वीकार कर लिया,,।और करे भी क्यों न,, स्नेहा थी ही इतनी प्यारी,,।उसे देखते ही सुनीता के दिल में स्नेहा के लिए प्यार और ममता जाग पड़ी थी। महसूस ही नहीं हुआ कि वो कभी ग़ैर भी थी,,।बहुत धूमधाम से अपनी हैसियत से बढ़चढ़कर दोनों की शादी की,,।बहुत खुश थी सुनीता और अब तो उसने ये कहना भी शुरु कर दिया था कि उसके तीन बच्चे हैं,,।सुनीता की हमेशा से ख़्वाहिश रही कि बहुओं से उसका रिश्ता सिर्फ़ सास-बहू तक ही सीमित न हो बल्कि एक दोस्त के रूप में रिश्ता बने,,जिससे एक-दूसरे से हर बात,हर सुख-दुःख शेयर कर सके,,उसकी बेटी भी नहीं थी न,,तो वो बहू से ही हर ख़्वाहिश पूरी करना चाहती थी, बेटी ,बहू और दोस्त की भी,मगर, हम जो चाहते वो पूरी भी हो,ये जरूरी तो नहीं,,,,।

स्नेहा के भाई के विवाह-समारोह में आने पर जो ख़ुशी और मस्ती सी छायी थी,,

ख़ासकर बहुत दिनों बाद अपने बेटे-बहु और पोते से मिलकर जो ख़ुशी थी उस पर कहीं भारी से हो गये ये शब्द,,फ़िर भी उसने ख़ुद को संभाला और होठों पर मुस्कान लाकर अपनी वेदना को तत्काल पी गयी,,।और विदा लेने से पहले स्नेहा की मम्मी से मिलने जाने लगी।उनसे मिलने के बाद सुनीता,स्नेहा और उसकी मम्मी सभी साथ बाहर आ गये,,।सुनीता के पति अपने पोते को गोद में लिये बेटे के साथ वहाँ पहले से ही इंतज़ार कर रहे थे।

सामान रिसेप्शन पर रखा जा चुका था और कैब भी बस आने ही वाली थी,,और अब कैब आ गयी थी,,। सुनीता ने स्नेहा को गले लगाया और नम आँखों से कैब में बैठ गयी,,और आज के जेनेरेशन के लिये रिश्तों के एहसास के मायने के ख़यालों में खो गयी,,।सुनीता को गुमसुम ख़ामोश देखकर उसके पति ने यही समझा कि बेटे से दूर होने के दुख से दुखी है,,मगर,,,, उसकी ख़ामोशी के पीछे का शोर किसी को सुनाई नहीं दे रहा था,।

मधु झा

स्वरचित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!