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अलौकिक शक्ति – सुषमा यादव

मेरा हरिद्वार शांति कुंज के गुरु श्री राम शर्मा आचार्य जी पर अगाध श्रद्धा है। मैंने उन्हें देखा नहीं था,,जब मैं अपने पिता जी, और अपनी मां के साथ गई थी तो परम वंदनीय माता जी से ही गुरु दीक्षा ली थी,उस समय गुरु जी किसी अज्ञात स्थान में गायत्री मां की आराधना में लगे हुए थे।

मैं उदास हो कर, अनमने ढंग से चली आई।,, गुरु जी के दर्शन न होने के कारण मन बहुत व्यथित था।

फिर एक बार कई सालों के बाद मैं और मेरे पति शांति कुंज गये, हमारी एक बेटी थी, हम जैसे ही लाईन में दर्शन करने खड़े हुए, वैसे ही लोग खुश हो कर कहने लगे,आज ही लंबी अवधि के बाद गुरू जी अज्ञात वास से बाहर आए हैं और दर्शन दे रहे हैं, मैं भावविभोर हो गई,, प्रसन्नता से आंखों में आसूं आ गये,, मैंने वहीं से एक लाल गुलाब तोड़ा और गुरु जी के चरणों में समर्पित करते हुए

माथा टिका कर प्रार्थना करने लगी,  हे गुरु जी,, मुझे एक लड़का चाहिए,, एक बेटी होने के कारण मुझे बहुत कुछ सुनना पड़ता है,, क्यों कि ये इकलौते पुत्र हैं,,पर ना जाने कैसे मेरे मुंह से निकल गया, यदि लड़का संस्कारवान हो, आज्ञाकारी हो तभी, वरना मुझे कपूत नहीं सुपुत्री ही चाहिए,, मेरे आंसू बह रहे थे,, गुरु जी ने मेरे सिर पर हाथ रख दिया,, मुझे आशिर्वाद मिल चुका था,, 

ठीक एक साल के अंदर मेरी दूसरी बेटी आ गई, और गुरु जी के आशिर्वाद से वो सर्वगुणसंपन्न है।

,आज वो एक सफल डाक्टर, मृदुभाषी, मधुर स्वभाव, और बेहद खूबसूरत,सबकी चहेती है,, अपने अलौकिक शक्ति से गुरू जी ने एक अद्भुत, संस्कारवान बालिका को मेरे जीवन में लाकर मुझे अनुग्रहित कर दिया । शायद उन्होंने मेरा भविष्य देख लिया था।

आज वो लंदन के सरकारी अस्पताल में सर्जन है।

मेरे पिता जी के साथ ही मेरे पूरे  परिवार की, मां गायत्री और गुरु जी पर अपार श्रद्धा, विश्वास और भक्ति भाव है।




मेरी बेटियां भी विदेश में भी गायत्री चालीसा का पाठ करती हैं,हर विपदा में गुरु जी और गायत्री मां की शरण में जातीं हैं। नौ दिन का व्रत भी रखतीं हैं।

गुरु जी को कोटि कोटि प्रणाम 

सुषमा यादव प्रतापगढ़ उ प्र

स्वरचित मौलिक

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