कितनी उम्मीदों से शहर आया था कार्तिक कि उसकी जॉब लग जाएगी और वो अपनी मां को भी यहीं बुला
लेगा अपने पास।
कार्तिक एक होनहार इंजीनियर था जिसे उसकी मां ने बड़ी मेहनत से पढ़ाया था,भले ही अपने यहां का वो
टॉपर था लेकिन दिल्ली जैसे महानगर में आकर उसे महसूस हुआ कि यहां कंपीटीशन बहुत तगड़ा है।
वो इंटरव्यू देने जाता,कई चरणों के बाद..लिखित एग्जाम,मॉक परीक्षा के बाद इंटरव्यू तक पहुंचता लेकिन
आखिर तक सफलता किसी और को वरण कर लेती।एक दो बार उसने दिल को समझा लिया कि
कॉम्पटीशन के ज़माने में नौकरी अच्छी मिलना शेर के मुंह से रोटी निकाल लेने जैसा दुष्कर है पर लगातार
पांच छह बार असफल होने से वो टूट गया।
उसकी मां की कॉल आई..पूछा…बेटा! कोई बात बनी कहीं?
उसने चाहा कि मां को टाल देता हूं लेकिन उसने कुरेद के पूछा तो वो भरभरा के टूट गया,बिलखता हुआ
बोला..मां!मेरी तो तकदीर ही फूट गई है,सब कुछ अच्छा होता हैलेकिन आखिर में नौकरी किसी और की
मिल जाती है।
मां को ये सुनते ही बहुत धक्का लगा लेकिन उसने खुद को संयत कर कहा..बेटा! तकदीर की नहीं कोसा
करते,तुम बहुत प्रतिभाशाली हो,एक न दिन तुम्हें सफलता जरूर मिलेगी,प्रयास जारी रखो और हौसला
बनाए रखो।
आप का बेटा हूं,इसलिए कह रही हैं आप ऐसा बाकी ऐसा कुछ नहीं है,बेटा अभी भी समझने को तैयार जब
था।
मां ने उसे अपनी कसम देते हुए कहा..तुम इंटरव्यू देते रहो,तुम्हें सफलता मिलेगी जरूर,मेरा दृढ़ विश्वास है।
मां के समझाने पर बेटा पुनः उत्साह से इंटरव्यू देता रहा।
एक दिन एक नई कंपनी का फोन आया जिन्होंने उसे बुलाया था ये कहकर कि एक पुराने इंटरव्यू के
पैनलिस्ट ने उसका नाम सुझाया है,वो कल दस बजे उनके ऑफिस पहुंच जाए।
कार्तिक ने पूरे इंटरव्यू पैनलिस्ट को अपने बुद्धि और कौशल से प्रभावित किया और उसे जॉब मिल
गई।भले ही शुरू के छोटा पैकेज रहा लेकिन आज वो एक सफल व्यक्ति बन चुका है।
जब कभी कोई उससे,उसकी सफलता और संघर्ष की कहानी पूछता है वो बताना नहीं भूलता कि तकदीर
कभी बिना गलत काम किए नहीं फूटती,उसे जुड़ने और बनने में वक्त लग सकता है लेकिन वो बनती जरूर है
इसलिए सच्ची लगन और विश्वास से प्रयास कीजिए जो आपकी तकदीर को चमकाने में सहायक होते
हैं।जब सफ़लता न मिले तो आत्म मंथन कीजिए,कुछ एफर्ट्स और लगाइए,भगवान आपको मार्ग दर्शन
जरूर करेंगे और सफल करेंगे।
डॉक्टर संगीता अग्रवाल
वैशाली, गाजियाबद
तकदीर फूटना(मुहावरे पर आधारित कहानी)