आपने तो मुझे रोबोट ही समझ लिया – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

पूनम मटकी का एक गिलास ठंडा पानी ले आ, और ये आम पानी में डाल दें, साथ ही गैस पर चार कप चाय चढ़ा दें, फ्रिज से लौकी निकालकर रख दें, टमाटर और मिर्ची भी, और हां धनिया भी ताकि शाम की चाय के साथ-साथ सब्जी की तैयारी भी हो जायेगी, मौसी ने‌ जो बीकानेरी भुजिया भेजी थी, उसे भी प्लेट में ले आना और ये पॉपकॉर्न भी बना लेना, तेरे पापाजी को बहुत पसंद है,  मनीष के लिए नींबू पानी भी एक गिलास चाहिए, मेरा बेटा अभी ऑफिस से आता ही होगा।

सासू मां का आदेश सुनकर पूनम का सिर चकरा गया, उसने सब सुन तो लिया, उसे लगा दुश्मन ने सीमा पार से एक -एक कर गोले दाग दिये, और उसके मन को चोट पहुंचा गये, उसने आहें भरी और अपने काम में लग गई, उसे काम करने में कोई आलस नहीं आता था, पर काम आराम से तसल्ली से किया जाता है।

पूनम की सास भारती जी अभी सुंदरकांड पाठ से जाकर आई है, आते ही  उन्होंने काम के लिए बोल दिया, पूनम हमेशा की तरह थोड़ी सी हिल गई, उसे समझ नहीं आ रहा है कि पहले कौनसा काम करें, वो ये सब सोच ही रही थी कि भारती जी की फिर से आवाज आई, पूनम पॉपकॉर्न हो गये क्या? तेरे पापाजी आ गये है, अरे!! कार का हॉर्न सुनाई दे गया, मनीष भी आ गया है, और तूने नींबू पानी बना लिया क्या?

पूनम को इन सबकी आदत नहीं थी, वो मायके में भी अपनी मां के साथ काम करवाती थी, लेकिन उसकी सासू मां तो काम पर काम बताती रहती थी, एक साथ इतना कुछ सुनकर तो वो आधे काम भुल ही जाती थी, जब से शादी करके आई है, उसकी हालत ही खराब हो गई है, सुबह से लेकर रात तक लगी रहती थी, फिर भी सासू मां की शिकायते कभी खत्म ही नहीं होती थी।

अभी शादी को कुछ ही महीने हुए थे,  और इस तरह काम करने की पूनम को आदत भी नहीं थी।

उसने धीरे-धीरे करके सारे काम निपटाये, तब भी 

भारती जी उससे नाराज ही थी, बहू में जरा भी फुर्ती नहीं है, इतने से काम करने में घंटों लगा दिए, जाने ये आगे घर कैसे संभालेगी? मैं होती तो चुटकियों में सारे काम कर लेती।

ये सुनकर पूनम की आंखें भर आई, उसने कुछ कहा नहीं, पर उसके मन में हलचल सी मची हुई थी, अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, छोटो से कोई गलती हो जाएं तो बड़े उसे समझाते हैं, काम करने के तरीके सिखाते हैं, ना कि डांट फटकार कर उसके किये कराये पर ही पानी फेर देते हैं ।

रात को उसका मन बेचैन था, वो अच्छे से सो भी नहीं पाई थी, सुबह उसे उठने में देरी हो गई तो भारती जी ने पूरा घर सिर पर उठा लिया।

सुबह की चाय नहीं बनी है, नाशते का पता नहीं है, मनीष का टिफिन नहीं बना है, मंदिर में भोग के लिए प्रसाद भी तैयार नहीं है, तेरी ननद को अपनी सहेलियों के लिए आज घर के  समोसे बनाकर ले जाने थे, उसमें भी अब समय लगेगा, तेरे ससुर जी ताजा गर्म दूध पीते हैं, अभी तक दूध की थैलियां नहीं खुली है, कितने सारे काम पड़े हैं, और तेरी नींद ही पूरी नहीं होती है।

आज पूनम का दिल भर आया, उसे हल्का सा बुखार था, इसलिए उठा नहीं गया था, उसके चेहरे से साफ झलक रहा था कि उसे पूरे आराम की जरूरत है, उसकी स्थिति देखकर भी भारती जी उसे अनदेखा कर रही थी, उन्हें बस अपने कामों की चिंता थी।

तभी भारती जी चिल्लाने लगी,  ‘अब ऐसे खड़ी क्या है

जाकर चाय बना दें।’

तब तक बाहर मनीष उसके पापा और छोटी बहन भी आ चुकी थी, पूनम ने सबको देखा और कहने लगी, आपने तो मुझे रोबोट ही समझ लिया,आपको बहू नहीं चलता-फिरता रोबोट चाहिए, जो भाग-भागकर बिना रूके, थके, बीमार हुए आपके सारे काम कर दें, जो एक साथ आपके बहुत सारे काम कर दें और उफ्फ भी ना करें, आपको मनीष की शादी रोबोट से कर देनी चाहिए, उसे तो नींद भी नहीं आती है, वो चौबीस घंटे आपकी सेवा में हाजिर रहता और 

चुटकी बजाते ही सारे काम कर देता, लेकिन क्षमा करना, मै कोई रोबोट या मशीन नहीं हूं, मैं एक इंसान हूं, और मैं दर्द और परेशानी में भी काम नहीं कर सकती, मुझे दर्द होता है।

 पूनम की बात सुनकर सब हैरान रह गये, उसने ये सब कहा ही था कि उसे चक्कर आ गये, और वो गिर पड़ी, मनीष ने जाकर उसे संभाला और अस्पताल ले गया, वहां जांच में पाया गया कि पूनम  काफी कमजोर है, ढंग से खाने-पीने और नींद ना आने के कारण उसकी तबीयत खराब हो गई थी।

डॉक्टर ने उसे आराम बताया है, उसने अपने मायके फोन कर दिया कि अब वो अस्पताल से सीधे मम्मी के घर जायेगी, ये सुनकर सभी हैरान थे।

थोड़ी देर बाद पूनम के मम्मी- पापा उसे लेने आ जाते हैं, मनीष पूनम को समझाता है कि घर चलो, इस तरह छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा नहीं होते।

मनीष,  ‘मैं गुस्सा नहीं हूं, मैं आप सबको समय दे रही हूं, आप सब मुझे समझों, मेरी परिस्थिति को समझो, मैं इससे ज्यादा सहन नहीं कर सकती हूं, आप अपनी मम्मी को भी समझा दो, ताकि हम सुखद वैवाहिक जीवन जी सकें, इस तरह रोज रहेगा तो मैं खुश नहीं रह पाऊंगी, मेरे आने से पहले भी आपके घर में मेरे बिना सारे काम होते थे, लेकिन मेरे आते ही सारे काम का बोझ मुझ पर डाल दिया।’

अभी भी समय है संभल जाइयें, आपकी भी छोटी बहन है, कल को उसकी भी शादी होगी, और ईश्वर ना करें कि मेरी मम्मी -पापा की तरह आपको भी कभी अपनी बहन को लेने अस्पताल जाना पड़े, समय चक्र कब घूमता है, कब हमें किस मोड़ पर ले आयें, इसका कुछ पता नहीं।

मनीष, ‘ये कोई छोटी बात नहीं है, अभी तो मैं मम्मी के पास जा रही हूं, आप सब विचार विमर्श कर लें, और 

तब मुझे अपना जवाब दे देना।

पूनम अपनी मम्मी के घर चली गई, धीरे-धीरे उसकी तबीयत में सुधार आने लगा, उधर मनीष के घर में हलचल मची थी, कोई भी काम समय पर नहीं होता था, और वो भी पूनम को बहुत याद कर रहा था।

मनीष ने हिम्मत करके सबसे बात की तो घर में बवाल मच गया, ‘अरे!! बहू गई तो जाने दें, हमने कौनसा घर से निकाला है, खुद ही गई है, और घर के काम तो उसे करने ही होंगे, मैंने भी सालों किये थे, वो तो कुछ महीनों में ही थक गई, और तू ये क्या कह रहा है कि काम का बंटवारा कर लेंगे, बहू आने के बाद घर में कोई काम नहीं करता है, उसे इस घर में रहना है तो सारे काम अकेले ही करने होंगे,भारती जी ने अपना फैसला सुना दिया, मनीष के पापा और बहन ने भी हां में हां मिलाई।

मनीष पूनम से बहुत प्रेम करता था, उसे पूनम की जुदाई बर्दाश्त नहीं हो रही थी, उसने अपनी कंपनी में स्थानांतरण के लिए आवेदन किया, और कुछ महीनों बाद अपनी पत्नी पूनम को लेकर दूसरे शहर रहने चला गया, जहां पूनम एक पत्नी, एक इन्सान की तरह रहने लगी, ना कि रोबोट बनकर।

पाठकों, कुछ ससुराल वाले मान जाते हैं, पर कुछ जिद पर टिके रहते हैं, ऐसे में वो बेटे को सुना देते हैं कि ये तो जोरू का गुलाम है, लेकिन मेरा ये मानना है कि जिसे आप पत्नी बनाकर लायें हो, उसके प्रति भी तो आपके कर्तव्य होते हैं, फिर जब घरवाले समझते नहीं है तो बेटे-बहू को अलग होना ही पड़ता है।

धन्यवाद 

लेखिका 

अर्चना खंडेलवाल

मौलिक अप्रकाशित रचना 

#आपको बहू नहीं चलता-फिरता रोबोट चाहिए।

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