आज वो बहू भी बन गयी थी और भाभी भी – अर्चना झा : Moral Stories in Hindi

ज़िन्दगी कभी कभी ऐसे मोड़ पर ले आती है कि दो में से एक रास्ता चुनना मुश्किल हो जाता है, पर हम जिस मोड़ पर मुड़ते हैं वो रास्ता सही तो होता है लेकिन अपनों की नाऱाज़गी भी साथ-साथ चलती है , कुछ ऐसा ही रास्ता चुन लिया था अतुल ने, जब उसने रश्मि के साथ प्रेम विवाह करने का फैसला कर लिया, पर घर का सबसे बड़ा बेटा होने के नाते घर वालों को भी उसकी शादी से बहुत सी आशाएं जुड़ी थी

अतुल की मां उसके बालों में तेल लगाती हुई कह रही थी ,अरे बेटा कब तू शादी के लिए हां कहेगा ,कितने रिश्ते आ रहे हैं ,तू पूछना तो दूर किसी लड़की की फोटो तक नहीं देखता , मुझे बता तो सही, अचानक सर की मालिश करते मां के हाथ रुक गये, वो चिंतित स्वर में बोली कहीं तूने खुद तो नहीं ढूंढ ली कोई लड़की, अतुल ने मां के दोनों हाथों को पकड़ते हुए गर्दन मां की तरफ घुमाई और कहा, हां मां यही बात है, जो मैं तुम लोगों से कह नहीं पा रहा था,

आज तुमने बात छेड़ी तो सोचा तुम्हें दिखा ही दूं तुम्हारी होने वाली बहू, अतुल ने जैसे ही एक हाथ जेब में डाल कर मोबाइल निकाला और रश्मि की फोटो दिखाने लगा, मां ने उसका हाथ झटक दिया,उस फोटो को एकबार देखा तक नहीं, वो झट से उठकर हाथ धोने चली गई, अतुल मां मां करते हुए मां के पीछे भागा,अरे मां एकबार देख तो लो,सुनो तो सही , मां अपना हाथ पल्लू से पोंछती हुई अपने कमरे में चली गई और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया, अतुल अपनी मुहब्बत की गुहार लगाता रहा ,

मां वो बहुत अच्छी लड़की है ,जैसी तुम्हें चाहिए थी बिल्कुल वैसी ,वो तुम्हारा बहुत ध्यान रखेगी , उसके माता-पिता नहीं है वो अनाथ आश्रम में पली बढ़ी है,उसे मालूम है अपनों की अहमियत, मां जो अंदर बैठी सब सुन रही थी अचानक आग बबूला हो उठी , क्या??? वो अनाथ है,अब यही दिन देखना रह गया था,न जाने किसका गंदा खून है जिसने मेरे बेटे पर तो जादू कर ही दिया है ,अब उससे शादी करके इस घर को भी हथियाना चाहती है, मनहूस कहीं की , हमारे खुशहाल घर को नज़र लगा दी,

अपना सर पीटती जा रही थी अतुल की मां,वो बोला मां तुम कितनी खराब सोच रखती हो अनाथ आश्रम में रहने वालों के बारे में , तुम दरवाजा तो खोलो, मां बीच में ही बात काटती हुई बोलीं,हां हां, क्यों नहीं ,मेरी सोच ख़राब है,कल को मैं भी तुझे बुरी लगूंगी ,एक वही अच्छी है जिसने तेरे सर पर जादू कर दिया है, 

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         घर का माहौल देखते हुए अतुल बाहर चला गया गेट पर उदास हो खड़ा था कि उसके फोन की घंटी बजी ,उस तरफ रश्मि थी , बोली क्या हुआ अतुल तुम्हारी आवाज़ इतनी रुआंसी क्यों है,सब ठीक तो है ना , अतुल ने कहा हां सब ठीक है,बस मां को आज हमारे बारे में बताया तो थोड़ी नाराज़ हो गई मुझसे, पर तुम चिंता मत करो, मैं जल्दी ही मना लूंगा मां को, आखिर मैं उनके दिल का टुकड़ा जो हूं,वो मुझसे ज्यादा दिन नाराज़ नहीं रह सकती , रश्मि ने कहा,ये सब तुम मेरा दिल रखने के लिए कह रहे हो ना,

मैं सब जानती हूं, आखिर एक अनाथ को अपने घर की बहू कौन बनाना चाहेगा , जिसके कुल खानदान का कुछ अता पता ही नहीं है,एक पल को तुम भी सोच कर देखो अतुल,ये आसान नहीं होगा तुम्हारे परिवार वालों के लिए, इसलिए बेहतर होगा तुम मुझे भूल जाओ, हमेशा, हमेशा के लिए,कहती हुई रश्मि रो पड़ी, अतुल को मां की चीखने चिल्लाने की आवाज आने लगी ,वो बोला मैं तुम्हें आराम से कॉल करता हूं, तुम टेंशन मत लो हमारी शादी ज़रूर होगी, और सबकी मर्जी से होगी , ये कह कर अतुल ने फोन काट दिया,

अंदर आते ही घर का नजारा बद से बद्तर हो चुका था , मां पिताजी को फोन पर रो रोकर सारी बातें बता रही थी, और आने के बाद पिताजी ने भी शांति से बेटे को बिठा कर कहा , देखो बेटा अब तुम बड़े हो गए हो और इतने समझदार भी कि अपना फैसला खुद ले सकते हो , तुम जिससे भी चाहो शादी करो, पर वो हमारे पसंद की नहीं होगी तो रिश्ते आगे और खराब होते चले जाएंगे, इस से अच्छा है तुम ये घर छोड़कर चले जाओ या फिर उस लड़की को भूल जाओ,पापा मैंने रश्मि से वादा किया है पापा,

पापा वो बहुत अच्छी लड़की है, मां को तो मैं मना लूंगा , पिता ने शांत स्वर में कहा बेटा यहां तुम्हें एक फैसला करना है,या तो हम या वो लड़की, अतुल ने गर्दन झुका ली, पिता ने कहा मैं तुम्हारा फैसला समझ गया बेटा ,कल जब मैं दरवाजा खोलूं तो तुम मुझे ऩजर नहीं आना चाहिए, और हां मां की चिंता बिल्कुल मत करना, जिसके बेटे ने उसे इतनी अहमियत नहीं दी अपनी ज़िंदगी में उसके बिना वो जीना भी सीख जाएगी ,

अतुल के पास घर से निकलने के सिवा दूसरा रास्ता ही नहीं था,वो चुपचाप अपना घर छोड़ कर रश्मि के पास आ गया ,आज उसकी शादी को पांच साल हो गए और एक बेटा भी हो गया उन दोनों का ,इस बीच कितनी बार अतुल ने सम्पर्क करने की कोशिश की अपने माता-पिता से, पर वो दरवाजे उसके लिए हमेशा के लिए बंद हो गये , हां उसका छोटा भाई विपुल अपने भाई का लाडला था सो चोरी छुपे वो अपने भाई के घर हो आता था, पर उसने भी भाभी को अभी तक भाभी कहकर नहीं पुकारा, पर रश्मि ने कभी नाराजगी जाहिर नहीं की ,उसे हमेशा छोटे भाई की तरह स्नेह दिया।

एक दिन विपुल हांफता हुआ घर आया और कहने लगा कि सुनिए रश्मि ने मुड़ कर देखा तो विपुल पसीने से तरबतर था आंखों में दर्द और चिंता साफ छलक रही थी, रश्मि दौड़ कर गयी फ्रिज से ठंडा पानी लेकर विपुल के हाथ में देती हुई बोली, पहले बैठ कर आराम से पानी पियो और बताओ क्या हुआ, विपुल ने एक झटके में पूरा ग्लास खत्म कर दिया और बोला,पता नहीं मां को क्या हो गया है वो बेहोश हो गई, मैंने अतुल भैया को कितना फोन किया वो फोन नही उठा रहे, पापा भी शहर में नहीं है

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वो ऑफिस के काम से मुम्बई गये हैं, इसलिए मैं आपके पास आया , रश्मि ने फटाफट कंधे पर चुन्नी रखी और विपुल के साथ उसके ससुराल चली गई जो बस थोड़ी सी दूरी पर था, उसने रास्ते में ही एंबुलेंस को फोन कर के आने को बोल दिया, जाते ही मां का माथा छुआ , और हाथ पांव रब करने लगी , हथेली में गर्माहट पाते ही मां की आंखें खुल गईं, विपुल और रश्मि का चेहरा खिल उठा , रश्मि ने कहा मां जी आप ठीक तो हैं ना , विपुल बहुत घबरा गये थे इसलिए मुझे बुला लाए, मां ने विपुल को घूरा तो उसने नज़रें नीची कर ली,

मां ने कहा कुछ नहीं हुआ है मुझे, तुम अपने घर जाओ, मेरी बिमारी का बहाना बनाकर हमसे रिश्ता बनाने की ज़रूरत नहीं है,सब समझ आता है मुझे , कहते कहते मां खांसने लगी तो बहू ने पानी का गिलास हाथ में पकड़ा कर कहा , ठीक है मां जी आप चिंता ना करें मैं चली जाऊंगी आप पहले लेट जाएं, पर मां वापस बेहोश हो गई, एंबुलेंस भी आ गई तो विपुल और रश्मि मां को हॉस्पिटल ले गए , जांच से पता चला उनको टीबी हो गया है, और शरीर में खून की कमी भी हो गई, डॉ ने बताया उनको बेडरेस्ट की सख्त जरूरत है, और दवाईयां निगरानी में समय पर देनी पड़ेगी, बस फिर ये जल्दी ही स्वस्थ हो जाएंगी, 

मीटिंग के बाद जब अतुल ने इतने सारे मिस्ड कॉल देखे तो उसे फोन करने पर पता चला मां की तबीयत के बारे में,वो दफ्तर से सीधे हॉस्पिटल पहूंचा , मां को खून चढ़ाया जा रहा था “Aनेगेटिव ” अतुल ने कहा इतनी जल्दी ब्लड का इंतजाम कैसे हुआ , विपुल ने कहा, भैया आपको पता नहीं क्या, भाभी ने दिया खून उनका ब्लड ग्रुप भी तो एक नेगेटिव है , रश्मि जो खून देकर बाहर आते हुए कॉटन से कलाई से निकलता खून साफ करते हुए बाहर आ रही थी, उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ,

उसने अतुल की तरफ देखा तो अतुल ने रश्मि के मन के भाव पढ़ते हुए मुस्कुराया और कहा , किसने दिया खून, विपुल ने फिर से दोहराया,भाभी ने भैया, और किसने, फिर रश्मि पर नजर पड़ते ही विपुल ने कहा,भाभी अगर आज आप ना होती तो पता नहीं मैं क्या करता, रश्मि ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा मैं हमेशा आपके सुख दुख में आपके साथ हूं, नर्स ने बताया मां को होश आ गया, विपुल का पूछ रही थी, उसने मां को बताया कि आज आपको भाभी ने बचाया है अपना खून देकर,

रश्मि सर झुकाए दरवाजे के पास खड़ी थी, मां ने उसे अंदर बुलाया और कहा मुझे माफ कर देना बहू, मैंने तेरे खून को गंदा कहा और उसी खून से मेरी जान बची, आ इधर आ मेरे पास आ, रश्मि भीगी पलकों से मां के पास गयी और उनके पैर छू लिए, आखिर उन्होंने उसे बहू कहकर जो पुकारा था , “आज वो बहू भी बन गयी थी और भाभी भी” मां अपने हाथ से लेटे लेटे कंगन निकालने लगी तो रश्मि ने कहा अरे ये क्या मां जी, मां बोली अरे निकालने दे ना, अपनी बहू को ख़ाली हाथ थोड़ी देखूंगी,

उसके हाथ में कंगन थमाते हुए सर पर हाथ फेरने लगी और बोली कहां है मेरा बेटा, उसे भी अंदर बुला ले, मुझे पता है वो भी यही होगा ,मेरा ज़रा सा सर दर्द होता तो उसको चैन ना पड़ता जब तक मैं ठीक ना होती और अभी तो पता नहीं उसका क्या हाल होगा,ये सुनते ही अतुल दौड़ कर आया मां से लिपट कर फूट फूटकर रोने लगा , मां ने कहा क्यों चला गया था तू मुझे छोड़कर,समझ आया मुझे तेरी बीवी तो सच में बहुत सुंदर और संस्कारी है रे, सब हंसने लगे 

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रश्मि ने कहा मां जी जब आपने मुझे अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर ही लिया है तो बस आज से मैं आपकी सेवा करूंगी और आप कोई बहाना नहीं करेंगी,इतने दिनों तक मैं मां बाप के प्यार से महरूम रही अब नहीं रह पाऊंगी मैं,

इतने में अतुल के पिता जी भी आ गये वो बाहर से खड़े खड़े सब देख रहे थे , उनके अंदर आते ही रश्मि और अतुल सकपका कर दूर खड़े हो गए, मां ने कहा अरे डरने की जरूरत नहीं है, तुम्हें शायद नहीं पता वो पार्क में शाम को अपने पोते को देखने जाते थे छुप-छुपकर देखते थे उसे,वो भी बेचैन हैं अपने पोते से मिलने के लिए, अतुल अपने पिता की तरफ बढ़ा तो उन्होंने भी उसे गले लगा लिया, और बेटा बहू को आशीर्वाद दिया, और मां के ठीक होने तक रश्मि ने अस्पताल आकर उनकी खूब सेवा की और पोते को उनकी गोद में देकर कहा मां जी आपका पोता, मां की आंखें छलक आई, आज पूरा परिवार एक हो गया, रश्मि अब बहू भी बन गयी और भाभी भी।

अर्चना झा ✍🏻

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