पछतावा – संगीता अग्रवाल

माँ… माँ ” जल्दी से कुछ खाने को दो बहुत भूख लगी है ” अमित ने कॉलेज से आते ही कहा !

“बस बेटा 2 मिनट रुको मैं लाती हूँ। सुबह टिफिन ले जाने को इसी लिए तो बोला था मैने ” अमित की माँ शालिनी ने कहा

“क्या माँ आते ही लेक्चर मत दो” ऐसा बोल अमित अपने कमरे मे  चला गया 

शालिनी खाना ले उसके कमरे मे आई तो देखा अमित सो चुका था 

शालिनी ने प्यार से सिर पर हाथ फेर उसे उठाया… उठ बेटा खाना खा ले ।

“क्या माँ नींद से जगाना जरूरी था नही खाना मुझे कोई खाना वाना आप जाओ यहाँ से ” ये बोल अमित पलट कर सो गया 

आँखों मे आँसू लिए शालिनी कमरे से बाहर आ गई !

“शालिनी शालिनी कहाँ हो यार ” शालिनी के पति विनोद ने घर मे आते हुए आवाज़ दी

रसोई से निकलते हुए शालिनी ने कहा “आ गए आप कैसा रहा आज का दिन “

विनोद ” दिन विन छोड़ो उससे तुम्हें क्या तुम्हें कौन सा कुछ समझ आता है मेरा बैग पैक करो मुझे कंपनी के काम से 4 दिन के लिए कोलकता जाना है “

शालिनी भीगी आँखो से चुप चाप कमरे मे आ विनोद का बैग लगाने लगी l

( हर दिन ऐसा ही होता था ना तो अमित ना ही विनोद शालिनी की कदर करते थे ऐसे ताने देना रोज़ की बात थी! )

खाना खा विनोद चला गया l

शालिनी सोचती रह गई आज तो डॉक्टर के जाने की बात हुई थी कई दिन से शालिनी की आँखों के आगे अंधेरा छा रहा था l ( कई दिन से शालिनी बोल रही थी और विनोद टाल रहा था, आज किसी तरह तैयार हुआ था)

खेर विनोद जा चुका था … अमित उठ के कमरे से बाहर आई और सोफे पर बैठ tv देखने लगी l



शालिनी ” अमित बेटा मेरे साथ डॉक्टर के पास चलो तुम्हारे पापा जाते पर उन्हे अचानक कोलकता जाना पड़ गया! “

” यार मम्मी तुम्हें कितनी बार कहा है खुद के काम खुद करना सीखो हम खाली थोड़ी होते आपकी तरह सौ काम होते हमे “

ये कह अमित फोन मे लग गया l

शालिनी ने पर्स उठाया और अकेली चल दी डॉक्टर के पास गाड़ी उसे चलानी आती नही थी तो थोडी दूर आ ऑटो देखने लगी

ऑटो सड़क के दूसरी तरफ़ था… शालिनी अमित और विनोद की बातों से दुखी अपनी धुन मे चली जा रही थी सड़क पार करते मे अचानक ट्रक से टकरा गई l

 

मौके पर ही उसकी मौत हो गई…. अमित दोस्तों साथ फोन मे व्यस्त था  की शालिनी के नंबर से फोन आया उसने काट दिया l

असल मे सड़क चलते किसी आदमी ने शालिनी के फोन मे बेटा  के नाम से नंबर देख कॉल की थी l

फिर उसने 2-3 बार मिलाया तब झुंझला कर अमित ने फोन उठाया और बोला “क्या है मम्मी ” तभी सामने से किसी आदमी की आवाज़ सुनाई दी ये जिसका नंबर है उनका एक्सीडेंट हो गया और वो अब इस दुनिया मे नही l

अमित कुछ बोल ही नही पाया सामने से हैलो! हैलो की आवाज़ आ रही थी थोड़ा सम्भल कर अमित ने जगह पूछी और विनोद को फ़ोन किया और खुद वहाँ पहुँचा l

विनोद रास्ते से ही वापिस लौट आया … शालिनी के जाने से घर बिखर गया l अब शालिनी के प्रति अपने व्यवहार को याद कर अमित और विनोद पछता रहे थे…

पर कहावत है ना कि …

अब पछतावे क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत

दोस्तों क्यों हम आज इतने ज्यादा स्वार्थी हो गए की हमे अपनों की तकलीफ नही दिखती

क्यों हम जीतेजी अपनों की कदर नही करते?

आपकी दोस्त

संगीता

माँ… माँ ” जल्दी से कुछ खाने को दो बहुत भूख लगी है ” अमित ने कॉलेज से आते ही कहा !

“बस बेटा 2 मिनट रुको मैं लाती हूँ। सुबह टिफिन ले जाने को इसी लिए तो बोला था मैने ” अमित की माँ शालिनी ने कहा

“क्या माँ आते ही लेक्चर मत दो” ऐसा बोल अमित अपने कमरे मे  चला गया 

शालिनी खाना ले उसके कमरे मे आई तो देखा अमित सो चुका था 

शालिनी ने प्यार से सिर पर हाथ फेर उसे उठाया… उठ बेटा खाना खा ले ।

“क्या माँ नींद से जगाना जरूरी था नही खाना मुझे कोई खाना वाना आप जाओ यहाँ से ” ये बोल अमित पलट कर सो गया 



आँखों मे आँसू लिए शालिनी कमरे से बाहर आ गई !

“शालिनी शालिनी कहाँ हो यार ” शालिनी के पति विनोद ने घर मे आते हुए आवाज़ दी

रसोई से निकलते हुए शालिनी ने कहा “आ गए आप कैसा रहा आज का दिन “

विनोद ” दिन विन छोड़ो उससे तुम्हें क्या तुम्हें कौन सा कुछ समझ आता है मेरा बैग पैक करो मुझे कंपनी के काम से 4 दिन के लिए कोलकता जाना है “

शालिनी भीगी आँखो से चुप चाप कमरे मे आ विनोद का बैग लगाने लगी l

( हर दिन ऐसा ही होता था ना तो अमित ना ही विनोद शालिनी की कदर करते थे ऐसे ताने देना रोज़ की बात थी! )

खाना खा विनोद चला गया l

शालिनी सोचती रह गई आज तो डॉक्टर के जाने की बात हुई थी कई दिन से शालिनी की आँखों के आगे अंधेरा छा रहा था l ( कई दिन से शालिनी बोल रही थी और विनोद टाल रहा था, आज किसी तरह तैयार हुआ था)

खेर विनोद जा चुका था … अमित उठ के कमरे से बाहर आई और सोफे पर बैठ tv देखने लगी l

शालिनी ” अमित बेटा मेरे साथ डॉक्टर के पास चलो तुम्हारे पापा जाते पर उन्हे अचानक कोलकता जाना पड़ गया! “

” यार मम्मी तुम्हें कितनी बार कहा है खुद के काम खुद करना सीखो हम खाली थोड़ी होते आपकी तरह सौ काम होते हमे “

ये कह अमित फोन मे लग गया l

शालिनी ने पर्स उठाया और अकेली चल दी डॉक्टर के पास गाड़ी उसे चलानी आती नही थी तो थोडी दूर आ ऑटो देखने लगी

ऑटो सड़क के दूसरी तरफ़ था… शालिनी अमित और विनोद की बातों से दुखी अपनी धुन मे चली जा रही थी सड़क पार करते मे अचानक ट्रक से टकरा गई l

 

मौके पर ही उसकी मौत हो गई…. अमित दोस्तों साथ फोन मे व्यस्त था  की शालिनी के नंबर से फोन आया उसने काट दिया l

असल मे सड़क चलते किसी आदमी ने शालिनी के फोन मे बेटा  के नाम से नंबर देख कॉल की थी l

फिर उसने 2-3 बार मिलाया तब झुंझला कर अमित ने फोन उठाया और बोला “क्या है मम्मी ” तभी सामने से किसी आदमी की आवाज़ सुनाई दी ये जिसका नंबर है उनका एक्सीडेंट हो गया और वो अब इस दुनिया मे नही l

अमित कुछ बोल ही नही पाया सामने से हैलो! हैलो की आवाज़ आ रही थी थोड़ा सम्भल कर अमित ने जगह पूछी और विनोद को फ़ोन किया और खुद वहाँ पहुँचा l

विनोद रास्ते से ही वापिस लौट आया … शालिनी के जाने से घर बिखर गया l अब शालिनी के प्रति अपने व्यवहार को याद कर अमित और विनोद पछता रहे थे…

पर कहावत है ना कि …

अब पछतावे क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत

दोस्तों क्यों हम आज इतने ज्यादा स्वार्थी हो गए की हमे अपनों की तकलीफ नही दिखती

क्यों हम जीतेजी अपनों की कदर नही करते?

आपकी दोस्त

संगीता

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