सम्मान की सूखी रोटी :  हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 सुनिए हम अभी से शादी में जाकर क्या करेंगे अभी तो 10 दिन है हम 2 दिन पहले चलेंगे ना..! क्यों क्या हुआ कुछ परेशानी है क्या?  अगर यही शादी तुम्हारी भतीजी की होती तो 10 की जगह 20 दिन पहले पहुंचने की जिद करती, लेकिन मेरे भाई की बेटी की शादी है तुम तो नखरे दिखाओगी ही! नहीं जी यह आप कैसी बातें कर रहे हैं दरअसल मुझे ऐसा लगता है

की भाई साहब भाभी जी और उनके बच्चे हमें देखकर खुश नहीं होते बल्कि कभी-कभी तो मुझे ऐसा लगता है कि हमें देखकर उन्हें शर्म सी आती है आपने देखा था पिछली बार जब उनके मकान के उद्घाटन पर हम गए थे उन्होंने हमारा परिचय अपने परिचितों से सही से करवाया भी नहीं था उस वक्त तो आपको भी कितना अजीब सा लगा था

किंतु आप बड़ी जल्दी भूल जाते हैं और यही बात अगर मैं बोलूं मेरे मायके कि अगर कोई भी बात होती तो आप उसको सालों तक याद रखते जबकि मेरे मायके वाले तो कभी आपसे एक शब्द भी नहीं कहते, आप हर बात में मेरे मायके को बीच में क्यों ले आते हैं मेरे लिए तो दोनों ही घर बराबर है चाहे मायका हो या ससुराल ,बस जहां सम्मान की सूखी रोटी मिल जाए मुझे वहां जाना  पसंद है

 भावशून्य : लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

फिर चाहे वह कोई भी हो! अगर मेरे मायके वाले  आपका सम्मान ना करें तो भगवान की कसम मैं कभी अपने मायके की देहरी पर पैर  नहीं रखती, किंतु क्या उन्होंने आपके सम्मान में कभी कोई कमी  छोड़ी! हां हां ठीक है ठीक है.. जाना तो हमें 10 दिन पहले ही पड़ेगा तुम्हें तो पता ही है मेरे भाई साहब और मैं बस दो ही भाई हैं तो भाई साहब के ऊपर काम की कितनी जिम्मेदारी आ गई होगी

घर और बाहर दोनों  जगह संभालना कितना मुश्किल है तुम फटाफट से  चलने की तैयारी करो हम कल ही सुबह की ट्रेन से निकल चलेंगे! राधिका के लाख मना करने पर भी धीरज नहीं माने और अपने दोनों बच्चों के साथ अगले दिन ट्रेन से वह रायपुर के लिए निकल गए वहां जाते ही उन्हें महसूस हो गया कि उन्हें देखकर कोई खुश नहीं हुआ और एक-दो दिन में तो वाकई धीरज को महसूस होने लग गया

कि इतनी जल्दी आकर उन्होंने बहुत बड़ी गलती की है, ऐसा लग रहा था कि वह उनके ऊपर बोझ है! भाई साहब भी कोई भी बाजार का काम होता  धीरज को कहने की बजाय अपने साले को कहते चाहे वह गाड़ी लेने की बात हो या सोना खरीदने की हां कोई राशन पानी या छोटा-मोटा किराने का सामान लेना होता तो वह जरूर धीरज को भेजते थे

ऐसे ही राधिका की जेठानी भी जब कोई बाजार का काम होता तो कभी  नहीं पूछती और घर की जिम्मेदारियां देकर चली जाती फिर आकर उन कामों में भी कमियां निकालती, भाई साहब के दोनों बच्चे भी धीरज के दोनों बच्चों को कभी साथ में नहीं रखते, अब तो वाकई में धीरज को लगने लगा कि उन्होंने इतने दिन पहले आकर गलती की है!

खैर.. जैसे तैसे शादी निपट गई और धीरज ने अपने भाई साहब नीरज से विदा की आज्ञा मांगी, तब धीरज के भाई नीरज बोले देख लो कुछ दिन और रुक जाते तो अच्छा लगता किंतु नीरज ने कहा नहीं भाई साहब गांव में बहुत सारा काम है बच्चों की पढ़ाई लिखाई भी खराब हो रही है अब हमें जाना ही होगा!

 आपको बहू नहीं चलता फिरता रोबोट चाहिए : डॉली पाठक : Moral Stories in Hindi

राधिका की जेठानी ने राधिका को चार साड़ियां और एक सोने की अंगूठी दी किंतु राधिका ने यह कहकर वापस लौटा दी नहीं भाभी जी हमें इन सब की कोई जरूरत नहीं है हम तो सीधे-साधे ग्रामीण लोग हैं जहां सम्मान की सूखी रोटी मिल जाए बस वही को अपना मान लेते हैं सम्मान की सूखी रोटी के आगे तो 56 तरह के पकवान भी बेकार हैं

अगर उनमें प्यार और अपनापन ना हो, अब पता नहीं राधिका की जेठानी इस बात को समझी या नहीं किंतु राधिका के मन को तसल्ली मिल गई! रास्ते में आते समय धीरज ने कहा….. राधिका तुम बिल्कुल सही कह रही थी मैं अपने परिवार के मोह में इतना अंधा हो गया कि मैं यह सब कुछ देख ही नहीं पाया, भाई साहब भाभी जी जब भी गांव  आते हैं हम उनका कितना आदर सम्मान करते हैं और सबसे  कितनी खुशी

से इनका परिचय करवाते हैं, आज जब मैंने महसूस किया तब मुझे एहसास हुआ कि तुम गलत नहीं थी हमें वही जाना चाहिए जहां हमें सम्मान से बुलाया जाए ना कि हमें बात-बात पर यह महसूस कराया जाए कि हम उनके अपने नहीं है आज पहली बार धीरज ने राधिका का साथ दिया था! यह सुनकर राधिका को अत्यधिक प्रसन्नता हुई! सच है इंसान पैसे या धन दौलत का भूखा नहीं होता जहां सम्मान मिलता है वहां वह दौड़ा चला जाता है चाहे फिर वह टूटी पुरी झोपड़ी ही क्यों ना हो!

     हेमलता गुप्ता स्वरचित

       कहानी प्रतियोगिता (सम्मान की सूखी रोटी )

  # सम्मान की सूखी रोटी

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!