सम्मान की सूखी रोटी : अनामिका मिश्रा : Moral Stories in Hindi

प्रियांशी मध्यम वर्ग के परिवार की एक पढ़ी-लिखी महिला थी। दो बच्चे थे और साथ में पति राकेश,उसकी भी एक साधारण सी नौकरी थी,प्रियांशी भी प्राइवेट जॉब कर रही थी दोनों मिलकर परिवार की गाड़ी खींच रहे थे। प्रियांशी बहुत ही महत्वाकांक्षी थी,वो ऊंचे ओहदे के ख्वाब देखती थी। उसके ऑफिस में एक नए मैनेजर आए,काफी हैंडसम सुलझे हुए व्यक्तित्व के लग रहे थे। 

उन्होंने प्रियांशी को अंदर बुलाया किसी काम से। 

प्रियांशी खूबसूरत तो थी ही।उन्होंने ऑफिस के कुछ काम बताएं और कहा “काफी खूबसूरत हो और टैलेंटेड भी हो,तुम्हें तो ऊंचे पद पर होना चाहिए,खैर मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूं…..जहां हम दोनों एक समान है न मैं मैनेजर और न ही तुम कोई कर्मचारी।”

 प्रियांशी सकुचाते हुए बोली “जी।” 

मैनेजर ने हाथ बढ़ाया प्रियांशी ने भी हाथ बढ़ाकर हाथ मिला लिया। फिर क्या था दोनों ऑफिस के बाहर भी एक दूसरे से मिलने लगे।प्रियांशी ने अपने बारे में सब कुछ मैनेजर को बताया। दोनों एक दूसरे के काफी करीब आने लगे। प्रियांशी का कोमल मान उस मैनेजर में खो गया था।वो भूल चुकी थी अपनी दुनिया को। 

धीरे-धीरे दोनों होटल में मिलने लगे। इधर प्रियांशी का प्रमोशन तेजी से हो रहा था,तनख्वाह भी बढ़ रही थी।पर कोई समझ ना पाया। पर धीरे-धीरे ये बात हवा की तरह फैलने लगी। उसके पति को भी किसी ने इस बारे में बताया। आए दिन घर में झगड़े होने लगे।

प्रियांशी देर रात बाहर रहने लगी। पर प्रियांशी तो अपने होश में नहीं थी सही गलत सोचने की क्षमता जैसे उसकी नष्ट हो गई थी। उसके पति ने तलाक लेने का फैसला किया और प्रियांशी को घर से निकाल दिया। 

प्रियांशी भी मैनेजर के प्यार में अँधी हो घर से बाहर चली गई और एक रूम लेकर अलग रहने लगे। 

प्रियांशी को बाद में पता चला कि मैनेजर भी शादीशुदा है। एक दिन उसने ऑफिस में देखा एक नयी सेक्रेटरी मैनेजर के रूम में थी काफी खूबसूरत। 

प्रियांशी ने अंदर आने की अनुमति मांगी तो मैनेजर ने मना कर दिया। 

धीरे-धीरे उसने महसूस किया कि वो मैनेजर उससे दूरी बना रहा है और हर जगह सेक्रेटरी उसके साथ रहती है। एक दिन उससे रहा नहीं गया वो मैनेजर से गुस्से में बोली,”मैंने तुम्हारी बातों में आकर अपना परिवार छोड़ दिया और तुमने मुझे धोखा दिया।”

मैनेजर ने कहा,”तुम जैसी औरतों की कोई इज्जत नहीं,तुम तो अपने पति की नहीं हुई…..तुम्हें तो अब इस ऑफिस में भी नहीं रहना चाहिए।” 

अगले दिन मैनेजर ने प्रियांशी पर झूठे आरोप लगाकर उसे ऑफिस से निकलवा दिया। बहुत सी बददुआएं देती हुई प्रियांशी अपने घर चली गई। अचानक डोर बेल बजता है।उसने दरवाजा खोला तो उसकी सहेली श्रुति अंदर आई और प्रियांशी को रोता देख उसे चुप कराने लगी,दिलासा देने लगी। प्रियांशी रोते हुए कहने लगी,”अब मैं कहां जाऊंगी….क्या करूंगी… समाज में भी अब मेरी कोई इज्जत नहीं है,सब मुझे गलत दृष्टि से देखते हैं।”

श्रुति ने कहा,”ये तो होना ही था,ऐसा क्या था कि तुम तो उसके बातों में चली गयी,सिर्फ अपनी ऊंची उड़ान के लिए,अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए,लेकिन आ गई ना नीचे,इससे अच्छा उसी समय उसको ठुकरा देती,कम से कम आज अपने पति के साथ *सम्मान की सूखी रोटी* तो खा रही होती,नौकरी तो तुझे मिल जाएगी लेकिन वो सम्मान,परिवार का प्यार और साथ तो तूने खो दिया…..खैर कोई बात नहीं हिम्मत मत हार,मैं तेरे लिए अपने स्कूल में बात करूंगी जहां  बच्चों को पढ़ा सकेगी और तेरा ट्रांसफर मैं कहीं और करवा दूंगी,तुमने प्रायश्चित किया है,सब ठीक हो जाएगा”

प्रियांशी ने कहा,”तुमने मुझे फिर भी सहारा दिया नहीं तो मैं मर ही गई थी।”

 प्रियांशी को आज समझ में आ रहा था कि,महिलाओं का जीवन संघर्ष पूर्ण होता है।अपनी महत्वाकांक्षाओं को अगर हम अपनी मेहनत और सही रास्ते पर चलकर पूरा करें तो समाज और परिवार में सम्मान और प्यार दोनों प्राप्त होते हैं,और हमारे समाज में इसी तरह से महत्वाकांक्षी महिलाओं को झांसा देकर उनकी भावनाओं के साथ खेला जाता है….और फिर उन्हें नीचे पटक दिया जाता है। ऐसी महिलाओं को ये समझना चाहिए कि भले ही सीमित जीवन हो लेकिन हमेशा अपने परिवार के साथ रहे और अपनी इच्छाओं को परिवार के साथ चलकर पूरा करें। 

समाज में शिक्षित महिला का उद्देश्य होना चाहिए परिवार को सभ्य बनानासमाज को स्वच्छ बनाना ना की परिवार को नष्ट करना और समाज को मलिन करना। 

हां अगर पति बेवफा हो तो भी अपने आप को इतना मजबूत और चरित्रवान बनाना चाहिए कि सही रास्ते पर चलकर बेवफाई पर विजय हासिल करनी चाहिए ना की खुद को नष्ट कर देना चाहिए।

 अनामिका मिश्रा

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