आपको बहु नहीं, चलता फिरता रोबोट चाहिए – सुदर्शन सचदेवा : Moral Stories in Hindi

जब मेरी शादी की बात चल रही थी तो चौंका देने वाली बात मेरी सासू मां ने कही – उन्होने सीधा ऐलान कर दिया – मुझे बहु नहीं, मुझे तो रोबोट चाहिए | 

पापा, चाचा, चाची , मासी, भैया , सब हैरान ! 

आश्चर्य जनक चाचू ने पूछा , क्या कहा ! 

मां ने अपना चश्मा ठीक किया और बोली! आजकल की लड़कियों को बस मोबाइल चलाना आता है और कुछ नहीं | मुझे ऐसी बहु चाहिए जो बिना थके सारा काम कर सके, कोई जवाब न दे और समय पर हर काम करे | सब हंसते हुए कहने लगे  ,  मान बहु कोई मशीन थोड़ी न होती है, लेकिन वो सीरियस थी| उन्होने इंटरनेट से जानकारी निकाली | रोबोट बनाने वाली तीन कंपनियों से बात की | आखिरकार सोनिया xi  नाम की रोबोट बहु मंगवा ली | शादी नहीं हुई  | “सीधा सिस्टम इंस्टाल किया “|

सोनिया एक दम परफेक्ट थी | सुबह ५ बजे उठती , झाड़ू पौछा करती, नाश्ता बनाती, हर बात पर मांजी मांजी करती |

मौहल्लों की औरतों ने देखा और हैरान हो गई  . १२ – १२ घंटे लगातार काम करती , मुंह भी नहीं बनाती , कहने की देर चीज फटाफट हाजिर हो जाती |

एक दिन मैनें भी हिम्मत करके पूछा – मां ! कभी आपको बहु की याद नहीं आती कि मैं बेटे के सर पर सेहरा देखूं   आपके साथ बैठकर बातचीत करे। कभी घूमने का मन करे तो घूमने जाओ , आपका कोई पोता पोती हो जिसके साथ तुम खेलों , उनको कहानियां सुनाओ | मन तो मेरा भी बहुत करता है , पर मेरा दिमाग़ खराब हो गया था | काम के लालच में मैनें ही रोबोट जैसी बहु मांगी | मैनें यह भी नहीं सोचा कि घर में पैरों की छन-छन करती बहु होनी चाहिए जो मुस्कराते हुए इधर से उधर घूमती हुई,  चहचहाए | 

मां के आंखों में आंसू बहने लगे | तब मां को एहसास हुआ कि काम करने वाली तो कोई भी मिल सकती है , पर रिश्ते निभाने वाली सिर्फ बहु ही होती है |

कुछ ही दिनों में वो रोबोट वृद्धाश्रम में दान कर दिया  , वहां बुजुर्गो की सेवा करेगी | 

अब बेटा! मैं तेरे लिए बहु ढू़ढूगी जो अपना मर्जी से काम करे | कभी कभी मैं बहु का गुस्सा बर्दाश्त कर लूगीं लेकिन चलता फिरता रोबोट नहीं चाहिए |

मुझे  घर को स्वर्ग बनाना है ना कि नरक | बस काम ही काम ओर कुछ नहीं | 

मां जी भी शर्मिंदगी महसूस करने लगी |

सुदर्शन सचदेवा

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