“कुछ खाने को मिलेगा दो दिन से कुछ भी नहीं खाया है साहब ” भिखारी की आवाज में तड़प सी थी,सुन कर सुंदर दरवाजे पर आया। अरे!” तुम तो जवान हो हट्टे-कट्टे हो कुछ काम क्यों नहीं करते हो। शर्म नहीं आती भीख मांगते हुए तुम्हें” सुंदर बिना रुके बोले जा रहा था। “साहब पानी पिला दीजिए, बहुत प्यास लगी है” भिखारी बोला।
सुंदर को अहसास हुआ कि अरे ये क्या किया उसने….वो दौड़कर अंदर गया और बिस्कुट और पानी लाकर दिया। भिखारी बिना रुके पूरी बोतल का पानी पी गया।तब सुंदर ने उसे दो रोटी और सब्जी दिया और वो इस तरह से खा रहा था जैसे कई दिनों से भूखा हो।
धन्यवाद साहब जी!” भगवान आपको हमेशा खुश रखें।
काम करना मैं भी चाहता हूं पर कोई काम ही नहीं देता। कहां – कहां नहीं जा कर मैंने कोशिश की, लेकिन कोई तो काम करा लेता तो पैसे नहीं देता तो कोई बेइज्जती करके भगा देता। मैं बहुत पढ़ा – लिखा नहीं हूं पर मेहनत करने के लिए तैयार हूं।” ” मैं तुमको काम दूंगा बोलो तैयार हो इमानदारी से मेहनत करने के लिए और हां तुम पर भरोसा कैसे कर सकता हूं कि तुम सचमुच लगन से काम करोगे” सुंदर ने कहा।
साहब! ” मेरे पास कोई सबूत तो नहीं है अपनी इमानदारी के लिए बस विश्वास ही कर सकते हैं आप। मैं वादा करता हूं भगवान को साक्षी मानकर की अपने काम के प्रति इमानदार रहूंगा हमेशा और आपके भरोसे को कभी भी टूटने नहीं दूंगा।”सुंदर ने अपने कारखाने में काम पर लगा दिया राजाराम को (भिखारी)। उसकी मेहनत और ईमानदारी से कारखाने का काम दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा था
। कई बार इंसान बहुत कुछ करना चाहता है पर उसे मौका नहीं मिलाता है। अब धीरे-धीरे राजाराम एक जिम्मेदार कर्मचारी बन गया था और अपनी समझदारी से सब कुछ संभाल लिया करता था।
सुंदर को अपने निर्णय पर तसल्ली थी कि उसने जिस इंसान की मदद की थी वो सचमुच में अच्छा इंसान था और अब वो सबकुछ संभालने लगा था।आज सुंदर दूसरे कारखाने का उद्घाटन करने जा रहा था
पुराने कारखाने का इंचार्ज उसने राजाराम को बना दिया था। राजाराम नेक दिल का इंसान था वो भी अपनी कमाई का कुछ हिस्सा जरूरतमंद लोगों के लिए लगाता था।उसे अहसास था कि एक मदद ने उसकी जिंदगी में बहुत बड़ा परिवर्तन लाया था।
अब वो सुंदर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने लगा था और सुंदर को भी उस पर बहुत भरोसा था। धीरे – धीरे कारखाने बड़ी कम्पनी में परिवर्तित होने लगे थे और इसका बहुत सारा श्रेय राजाराम को भी जाता था जिसने आज ये साबित किया था कि सही मौके को सही समय में उपयोग में लाया जाए तो जिंदगी खुद-ब-खुद अनेकों रास्ते खोलती है।
सुंदर के परिवार का अहम हिस्सा था राजाराम। कहते हैं ना ना जाने किस रूप में भगवान मिल जाये हम नहीं जानते हैं। इसलिए अपने द्वार पर आए किसी भी जरूरतमंद इंसान की अगर मदद ना कर सको तो ना सही पर अपमान कभी नहीं करना क्योंकि कोई मजबूरी ही किसी दूसरे इंसान को आपके दरवाजे पर ला खड़ा करती है।
सुंदर को दिल का दौरा पड़ा था और राजाराम की सेवा और मदद ने उसे पुनः खड़ा कर दिया था। इंसानियत आज भी जिंदा थी और उसने अपने भगवान जैसे मालिक सुंदर का कर्ज शायद उतार दिया था।
एक हांथ ले और एक हांथ दे यही तो नियम है संसार का।कई बार हम धोखा भी खा जाते हैं इस मतलबपरस्त दुनिया में लेकिन कुछ लोगों की अच्छाई आज भी इंसानियत को जिंदा रखे हुए है।बस दुनिया इन कुछ लोगों के भरोसे और विश्वास पर ही तो चल रही है।
सुंदर ने राजाराम का हांथ अपने हाथों में लेकर शुक्रिया अदा किया कि,”तुमने हर मोड़ पर मेरा साथ निभाया है राजाराम।” ” साहब आप जैसा नेक इंसान जो मेरे बारे में कुछ नहीं जानता था फिर भी सड़क चलते एक भीखारी पर भरोसा किया और समाज में एक स्थान दिया।आपकी बदौलत मैं सिर उठाकर सम्मान की जिंदगी जी रहा हूं।इस जन्म क्या मैं तो हर जन्म में आपकी सेवा का अवसर ईश्वर से मांगूंगा।”
सच्चाई और अच्छाई अगर आपका गहना है तो आप हमेशा मूल्यवान रहोगे।
प्रतिमा श्रीवास्तव
नोएडा यूपी