कच्चा चिट्ठा खोलना – हेमलता श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

गांव की‌ सड़क पर जैसे जैसे गाड़ी बढ़ रही थी वहां की‌ तरक्की देखकर मन खुश हो रहा था पर सड़क बहुत ही खराब थी मेरा तो सारे हाथ पैर कमर सब दर्द होने लगी थी कैसे सब लोग वहां से शहर आते होंगे मैं यही सोचने लगा.

इधर काफी टाइम बाद में गांव जा रहा था बाबूजी कई बार बुला चुके थे तो समय निकालकर मैंने सोचा हो जाता हूं पत्नी के पास समय नहीं था बच्चों के पेपर की वजह से वह नहीं आ पाई रिटायरमेंट के बाद बाबूजी ने पुश्तैनी घर में रहना पसंद कर हम लोगों ने भी उनके लिए वहां सब सुविधा जुटा दी थी ताकि उनको और मां को कोई तकलीफ ना हो.

घर पहुंचते ही हमेशा की तरह बाबूजी दरवाजे पर ही इंतजार कर रहे थे पैर छूकर अंदर गया मां से मिला और घर को देखने लगा बाबूजी ने बहुत खूबसूरती से बागवानी भी कर रखी थी सब कुछ बहुत खूबसूरत लग रहा था इतना इतना शांत माहौल बहुत अच्छा लग रहा था शहर की भाग दौड़ और शोर शराबे से दूर सुकून लग रहा था।

खाना खाकर  टहलने निकल गया.

सभी से मिलते-जुलते खेत भी चला गया सोचा थोड़ा सा खेत भी देख लिया जो भी देखता सबकी जवान पर एक ही शब्द है अरे बाबुआ बहुत दिनों बाद आए जल्दी-जल्दी आ जाया करो अच्छा लगता है थोड़ी रौनक हो जाती है घर में, बहु नहीं ले सबको एक ही जवाब दे दे करके मैं भी थक जा रहा था पर यही जीवन है उनका. 

रात में जब मैं खाना खाकर के उठा बाबूजी के साथ टहलने निकला तब बाबूजी बोले कि एक बात है बेटा जी बाबूजी बोलिए यहां गांव में कोटेदार के पास जो राशन आता है वह लोगों को पूरा नहीं दिया जाता है स्कूल में बच्चों के लिए जो पैसे आते हैं वह भी उनको पूरे नहीं दिए जाते हैं कुछ ना कुछ काट करके ही दिया जाता है, जो प्राइमरी स्कूल की प्रिंसिपल है मिड डे मील में खाना बहुत ही बेकार सा बनवाती है आधे से ज्यादा बच्चे अपने घर पर ही खाने आते हैं मैं खुद देखा है  कभी खिचड़ी बन जाती है या कड़ी कड़ी की पकौड़ी वह घर से ही आते की बनवा के ले जाती है तो बच्चे क्या ही खाएंगे  दाल  भी ऐसी पतली -पतली  बना कर दी जाती है.

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मैं चाहता हूं कुछ ऐसा हो जो यह सब बंद हो तुम इसके लिए कुछ करो ताकि सभी के पोल पट्टी हम लोग खोल सके इनका कच्चा चिट्ठा खोलना बहुत जरूरी है आखिर सरकार इतना कुछ कर रही है और यह सब ऐसे ही  जमाखोरी कर रहे हैं.

मैंने कहा बाबूजी इसमें न ही मैं सीधे कुछ करूंगा ना ही मैं आपको कुछ करने दूंगा क्योंकि आप यहीं रहते हैं आपसी दुश्मनी बढ़ जाएगी और अगर मैं कुछ करता हूं तो भी आपके पीछे से कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, मैं कुछ सोचता हूं पर जल्द ही इसके लिए कुछ करुंगा दो-तीन दिन रहकर मैं वापस आ गया.

मां बोली बेटा इस बार आना तो बहू और बच्चों को भी लेते आना जी मां मैं कोशिश करता हूं इस बार उन लोगों को लेकर भी आऊंगा, इस समय इम्तिहान हो रहे थे इसलिए नहीं ला पाया मैं वापस आ गया पर बाबूजी की बात मेरे मन में थी. 

मैंने अपने एक दोस्त को इस काम के लिए बोल जिसका एक दोस्त हमारे तहसील का पत्रकार था उसने कहा कि मैं इस बारे में जल्द ही कुछ करुंगा, दूसरा वहां की सड़क भी बहुत ही खराब थी और वहां के मंत्री इसके लिए कोई ध्यान नहीं दे रही थी इन सब चीजों के लिए उसने कहा मैं जल्द ही कुछ ना कुछ करता हूं और इन सब का कच्चा चिट्ठा खोलना हूं।

उसने गांव में जाकर स्टिंग ऑपरेशन किया चुपचाप से सब कुछ रिकॉर्ड किया और उसके बाद लोकल चैनल पर ही उसको प्रसारित करवाया पूरे गांव में तहलका सा मच गया था, गांव का मुखिया परेशान था स्कूल की प्रिंसिपल  परेशान थी कोटेदार भी परेशान थे और इस पर जल्द ही एक्शन लिया गया उन सभी के ऊपर कार्यवाही की गई फिर मैं बापूजी से बात करी तो बाबूजी बोले हां बेटा अब सब कुछ ठीक है बच्चे भी खाना स्कूल में ही खा रहे हैं लोगों को अपना पूरा राशन मिल रहा है

अब उसमें से कुछ भी कटौती नहीं हो रही है और सड़क बनने के लिए भी मंजूरी मिल गई है तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद बेटा मैंने कहा कोई इसमें धन्यवाद की कोई बात नहीं है बाबूजी मैंने इसमें कुछ नहीं किया है क्योंकि मैं अगर करता या आप करते तो आपसे दुश्मनी हो जाती इसलिए मैंने अपने दोस्त को बोला और उसने ही यह सब किया है मैं उसको जरूर धन्यवाद करूंगा और जरूरी है चाहे गांव हो चाहे शहर हो अगर कोई इस तरीके से जमा पूरी कर रहा है या कहीं भी भ्रष्टाचार हो रहा है तो इसका इसके ऊपर कार्यवाही होनी चाहिए और ऐसे लोगों की पोल जरूर खोलने चाहिए।

हेमलता श्रीवास्तव 

दिल्ली

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