सही फैसला – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

भाभी आ गईं, भाभी आ गईं, चलो चलकर देखते है। रीता और मीता के बड़े भाई रमेश क़ी कल शादी थी और आज दुल्हन को लेकर बारात लौटनी थी। बस आज सुबह से ही रीता और मीता अपनी सहेलियों के साथ बड़ी बेचैनी से अपनी भाभी का इंतजार कर रही थी। गाड़ी की आवाज सुनते ही भाभी आई चिल्लाते हुए गाड़ी क़ी तरफ दौड़ी। उन्हें गाड़ी का दरवाजा खोलते देखकर उनकी बुआ ने डांटते हुए कहा -कहा चली सब अभी दुल्हन को कोई नहीं देखेगा।

क्यों बुआ हम भाभी को क्यों नहीं देख सकती? लड़कियो ने उदास स्वर मे पूछा। अरे! दुल्हन ऐसे ही कोई देखता है? पहले माँग बहोराई  क़ी रस्म होंगी।  तुम्हारी माँ बहू को देखेगी और फिर बहू क़ी माँग भरेगी। उसके बाद बारी बारी से हम घर क़ी सारी औरते भी ऐसा करेंगी फिर बहू दउड़ा मे पाँव धरकर देवता घर मे जाएगी भगवान को प्रणाम करेगी  तब जाकर कोई भी दुल्हन का मुँह देखेगा। और फिर हँसते हुए पूछा भाभी भाभी तो तुम सब सुबह से कर रही हो भाभी को मुँह दिखाई मे देने के लिए कुछ उपहार भी लाई हो?

लड़कियो ने भी ऐठते  हुए कहा बुआ हमें बेवकूफ समझती हो? हमने भाभी के लिए फूलो का गुलदस्ता लाया है। बड़ी सयानी हो गईं हो सब, जाओ जाकर माँ चाची को बुलाकर लाओ। घर की सभी औरते आई और बहू की माँग भरकर उसे अंदर ले गईं पूजा होने के बाद रीता की माँ ने  दालभरी पूड़ी,साग, रसियाव, और पांच तरह की सब्जी आदि जो भी नई बहू के आने पर बनता है उसे एक थाली मे रखकर रीता को बुलाया और कहा इसे भाभी के कमरा मे ले जाओ और तुमदोनो भाभी के साथ मिलकर खा लो,

लेकिन यह ध्यान रखना की भाभी अच्छे से खाये, ऐसा नहीं कि तुमदोनो खा लो और भाभी  सरमाकर भूखी रह जाय।नहीं माँ, ऐसा नहीं होगा हम पहले भाभी को अच्छे से खिलाएंगे फिर अपने खायेंगे।हाँ जा, अब बाते नहीं बना बहू भूखी होंगी कहते हुए माँ ने थाली मीता के हाथ मे पकड़ा दिया।दोनों बहन ख़ुशी ख़ुशी भाभी के कमरा मे गईं। आखिर उन्हें भाभी से मिलने का मौका मिल ही गया था।कमरा मे जाकर भाभी से बोली भाभी आइये खाना खा लीजिए। भाभी ने खाना देखते ही कहा मै ये सब नहीं खाती।

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मै सुबह मे सिर्फ जूस पीती हूँ. ठीक है भाभी हम जाकर माँ से कहते है। कहना क्या है जाकर लाना है भाभी ने अज्ञात्मक स्वर मे कहा। दोनों बहन माँ के पास जाकर बोली माँ भाभी को जूस चाहिए। माँ ने कहा ठीक है मै लाती हूँ। बच्चियां फिर दौड़ते हुए भाभी के कमरा मे जाकर पलंग पर बैठ गईं और कहा भाभी माँ जूस ला रही है। दुल्हन ने उन्हें डांटते हुए कहा ये क्या तरीका है तुमलोगो का जब देखो कमरा मे घुस जा रही हो और मुझसे बिना पूछे मेरे बिस्तर पर कैसे बैठ गईं,उठो जाओ यहाँ से मुझे आराम करने दो। अब तंग करने मत आना। तब तक उनकी माँ भी आ गईं और बोली जाने दो बहू बच्ची है। भाभी के आने की ख़ुशी मे बौड़ा गईं है आगे नहीं आयेंगी।

नई दुल्हन जब आती है तब यह सब बनता है इसलिए तुम सब मे से एक दो कौर खा लो रस्म के लिए फिर जूस पी लेना यह कहते हुए उन्होंने थाली को बहू की तरफ बढ़ाया। मै इन रस्मो को नहीं मानती यह कह कर बहू ने सास के हाथ से जूस का गिलास लेकर पीना शुरू कर दिया। जूस पीने के बाद उसने जूठा गिलास अपनी सास को पकड़ाते हुए बोली अब मै आराम करूंगी, मुझे कोई डिस्टर्ब नहीं करे। बच्चियों का तो मन ही टूट गया। कितना शौक था भाभी का पर यह कैसी भाभी आई।

उदास मन दोनों कमरा से बाहर निकल आई। माँ ने कहा कोई बात नहीं भाभी से बाद मे बात कर लेना वह अभी थकी है इसलिए उसने जाने के लिए बोला। चलो अभी बहुत काम है सारे रिश्तेदारो को खिला पिलाकर  उन्हें विदा भी करना है। रीता और मीता इतनी भी बच्ची नहीं थी कि भाभी के व्यवहार को समझ नहीं सके। दो बेटों के होने के बारह वर्ष बाद दोनों जुड़वा बेटियां हुई थी इसलिए भाइयो से ज्यादा छोटी थी पर बच्ची नहीं थी वे भी सोलह वर्ष की थी बारहवीं मे पढ़ रही थी।

महेश डॉक्टर था और अपने ही शहर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल मे प्रेक्टिस करता था। दुल्हन भी मेडिकल के आखरी वर्ष मे पढ रही थी। महेश के पिता के मित्र के यहाँ एक समारोह मे इन्होने लड़की को देखा। लड़की सुंदर थी, मेडिकल की स्टूडेंट थी बस उन्होंने अपने मित्र से महेश के लिए बात चलाने को कहा। लड़का डॉक्टर है, गाँव मे काफी सम्पति है, प्रतिष्ठा है और सबसे बड़ी बात दहेज की माँग नहीं है। यह सब जानते ही लड़की वाले भी शादी के लिए तैयार हो गए। लड़की का शादी इनके यहाँ करने का मन नहीं था

क्योंकि महेश ने पहले ही कह दिया था कि वह इसी शहर मे रहेगा, जबकि लड़की का सपना था कि वह पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी महानगर मे जाकर रहेगी। लेकिन उसके पापा को समझ था कि बिना दहेज के इतना अच्छा लड़का मिलना सम्भव नहीं है उनकी बेटी पढ़ने मे खास तेज नहीं थी इसलिए उन्होंने डोनेशन देकर उसका नाम एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज मे करवाया थाऔर अब उनके पास दहेज के लिए पैसे नहीं थे। अपने पिता के आगे लड़की की एक नहीं चली।हार कर उसे शादी करनी पड़ी।

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वह इस शादी से खुश नहीं थी। शादी के बाद वह चार दिन ससुराल मे रही फिर अपने हॉस्टल चली गईं। उसकी सास और ननद बहुत ही अच्छी थी उन्होंने चार दिनों तक पूरी कोशिस की कि बहू को कोई परेशानी नहीं हो, पर जब कोई पहले से ही सोच लिया हो कि उसे घर मे नहीं रहना है तो उसका कोई कुछ नहीं कर सकता। जब भी उसकी छुट्टी होती वह हॉस्टल से मायके चली जाती और छुट्टी खत्म होने पर हॉस्टल आ जाती। महेश या उसके माँ पापा कुछ भी कहते तो यह धमकी देती कि आपने ज्यादा परेशान किया तो दहेज उत्पीड़न का केस कर दूंगी।

करते करते एक  वर्ष हो गया और वह एकबार भी ससुराल नहीं आई।गाँव मे उनकी प्रतिष्ठा खराब नहीं हो इसलिए सभी चुप रहते थे।उसकी पढ़ाई पूरी हो गईं। उसके बाद उसके ससुराल वालो ने कहा पहले हॉस्टल मे रहती थी तो बात अलग थी अब मायके मे रहोगी तो लोग क्या कहेंगे कि बहू मायके मे रह रही है इसलिए अब घर चल कर रहो। बहुत समझाने बुझाने के बाद वह इस शर्त पर आई कि महेश उसे लेकर अलग रहेगा। महेश इसके लिए तैयार नहीं था पर उसके माता – पिता ने प्रतिष्ठा का हवाला देकर कहा कि बहू मायके मे रहे उससे तो अच्छा है कि तुमदोनो अलग  घर लेकर रहो।

इससे कम से कम तुमदोनो तो साथ रहोगे। आखिर माता पिता के दबाव मे आकर महेश  अपनी पत्नी को लेकर अलग रहने लगा। यहाँ भी वह महेश को चैन से जीने नहीं देती थी. उसका बस एक ही रट था, बड़े शहर मे चलो।इसी तरह जीवन चल रहा था। कुछ दिनों बाद वह गर्भवती हुई तो उसकी ननदो ने आकर पूरी देखभाल की और उसे एक बेटा हुआ। बेटा के होने के बाद तो उसका आए दिन का झगड़ा हो गया कि बच्चा मेरा छोटे शहर मे नहीं पलेगा। रोज रोज के झगड़े से तंग आकर महेश के पिता ने दिल्ली मे उनके लिए एक नर्सिंग होम बनवा दिया।

  यहाँ भी आकर उसे चैन नहीं था वह बात बे बात महेश से झगड़ा किया करती थी उसकी प्रेक्टिस  भी सही नहीं चल रही थी. बेटा का भी वह देखभाल नहीं करती थी। कुछ कहने पर दहेज उत्पीड़न के केस की धमकी का बहाना तो उसके पास था ही।यदि महेश के माता पिता  या भाई बहन उससे या बच्चे से मिलने आते तो घर मे पूरा कलह करती थी। महेश को तो कुछ समझ मे ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। पत्नी जीवन नर्क बनाकर रखी थी और माता पिता कहते सहना पड़ेगा नहीं तो केस कर देगी फिर सब जेल जाएगे.

जेल गईं लड़की से कौन शादी करेगा तुम्हारी बहनो का जीवन तबाह हो जाएगा। महेश अपने जीवन से पूरा निराश हो चला था।तभी एक दिन उसके पिताजी की तबियत बहुत ही खराब हो गईं, इलाज के लिए उन्हें दिल्ली लाया गया और हार्ट स्पेस्लिस्ट के यहाँ भर्ती किया गया।उनका हार्ट का ऑपरेशन होना था।वे ऑपरेशन से पहले अपने पोता को देखना चाहते थे.पर महेश की पत्नी ने  महेश को अपने बेटे को नहीं ले जाने दिया। अब महेश पूरी तरह उब चूका था। उसको अपने समस्या का कोई हल समझ नहीं आ रहा था।

तभी आशा के किरण के रूप मे महेश के नर्सिंग होम मे एक वकील इलाज करवाने आया। महेश ने उससे अपनी सारी व्यथा बताई और पूछा मै क्या करू। वकील ने कहा कि आप अलग रहते है इसलिए आपके परिवार पर तो कोई भी केस बनेगा ही नहीं। बस महेश ने कहा अब जब मेरी माँ बहन पर कोई आँच नहीं आएगी तो अब समझौता नहीं करूंगा। चाहे कुछ भी हो मै अब इससे तलाक लूंगा। और उसने तलाक का केस फाइल कर दिया। माता पिता ने बोला बेटा तलाक लेने से गाँव मे बड़ी बदनामी होंगी।  उसने माता पिता को समझाया हम चाहे कितनी भी कोशिस कर ले वह बदलने वाली नहीं है  हम जितना समझौता करेंगे उसकी माँग उतनी ही बढ़ती जाएगी, इसलिए अब मैंने सोच लिया है कि अब मै कोई समझौता नहीं करूंगा. इस औरत से मुक्ति लेकर रहूंगा।

 

विषय – अब समझौता  नहीं

लतिका पल्लवी

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