कच्चा चिट्ठा – अनिता मंदिलवार “सपना” : Moral Stories in Hindi

  सुमन कैसी हो उसके माँ ने हाल-चाल जानने के लिए फोन किया ।

   माँ कैसे अच्छी रहूँगी । ऐसे घर में आप लोगों ने शादी कर दी मेरी । हमेशा तनाव में रहती हूँ ।

   पर सुमन तुम्हारा ससुराल तो बहुत ही अच्छा है । इतने अच्छे लोग हैं । कैसे बोल रही हो ।

      माँ मुझे उतने बड़े घर में रहने की आदत है और यहाँ छोटे कमरे और लोगों की छोटी सोच ।

    यह क्या कह रही हो सुमन ?

     हाँ माँ,  हर चीज के लिए तरसना पड़ता है । न अपने पसंद का खाना, न कपड़े । समीर की तनख्वाह इतनी है कि बस  गुजारा हो जाता है किसी तरह ।

   सुमन,  विवाह के बाद ससुराल हीं लड़की का घर होता है ।

 कहाँ मम्मी यह सब बातें पुराने जमाने की है मुझे तो यहाँ से ले जाओ । मुझे बहुत सताते हैं । मैं नहीं रह सकती । मैं आ रही हूँ वापस ।

     देख बेटा तू आए दिन मायके आ जाती है घर छोड़कर, लड़ झगड़कर । यह ठीक नहीं है ।

    मम्मी अभी भी आप यही कहोगी मेरी हालत देखोगी तो जानोगी आप ।

     क्यों क्या हुआ?

 मम्मी आज तो समीर ने मुझ पर हाथ उठा दिया ।

   क्या कह रही हो बेटा ।

   तभी पापा ने फोन माँ के हाथ से ले लिया । क्या कह रही हो अभी दामाद जी मिले थे बाजार में उन्होंने तुम्हारी सब करतूत के बारे में बताया किस तरह उकसाती रहती हो उनको । कैसे सबके नाक में दम करके रखा है तुमने । सुमन आज दामाद जी ने तुम्हारा कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया । बात बात में सबको नीचा दिखाना तो तुम्हारी आदत बन गई है बदतमीजी अलग तुम्हारे स्वभाव में कूट-कूट कर भरी है ।

      क्या कह रहे हैं सुमन के पापा यह सब आप ?

     सही कह रहा हूँ बस वह मायके आने का बहाना खोजती रहती है ऐशो आराम की जिंदगी जो चाहिए । आज मैं सुमन को दो टूक लहजे में कह रहा हूँ आज से ससुराल में रहो और सबको मान सम्मान देना सीखो और जब मान सम्मान दोगी तो तुम्हें भी बदले में मान सम्मान मिलेगा इस बात का ख्याल रखो ।

अनिता मंदिलवार “सपना” 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!