सुहाना एक व्यापारी की बेटी थी। पिताजी का अपना व्यापार था। तीन भाइयों के बीच अकेली बहन थी। पढ़ने लिखने में औसतन, फिर भी उसे कुछ कर दिखाने की चाहत थी।
एक दिन मां से बोली- मुझे अध्यापिका बनना है। मां ने सहमति में अपना सिर हिला दिया और कहा- बेटा,अपने कैरियर का बहुत सोच समझ कर चुनाव करना। क्योंकि लड़कियों की जिंदगी में समय बहुत कम रहता है। विवाह के बाद ऐसी मकड़जाल में फंस जाती है जो चाह कर भी अपनी पसंद का कैरियर नहीं बना पाती। इसलिए जो भी करना चाहती हो अभी कर लो। बाद में जिंदगी उलझ कर रह जाती हैं।
सुहाना का भरा हुआ चेहरा, खूबसूरत नैन नक्श मानो फुर्सत से तराशे गए हैं। स्वभाव में मधुरता उसकी खूबसूरती को चार चांद लगा रहे थे। उससे एक बार मिलने के पश्चात लोग दोबारा बात करने के लिए लालायित रहते।
बी एड का आखरी सेमेस्टर था। इसी बीच उसका रिश्ता विभास के साथ तय हो गया।
विभास सरकारी कर्मचारी थे। वह अनुशासन प्रिय एवं परिश्रमी थे। छोटा परिवार था माता-पिता और एक बड़ी बहन। बड़ी बहन की काफी पहले ही विवाह हो चुका था।
माता-पिता की इकलौती बेटी होने के कारण सुहाना का विवाह खूब धूमधाम से संपन्न हुआ।
सुहाना अपने ससुराल गई। ज्यादातर लड़कियों के मन में सास के नाम पर पुरानी फिल्मों की ललिता पवार का किरदार ही आंखों के सामने घूमता है। सुहाना को भी सास के नाम का भय हमेशा सताता था। न जाने कैसे स्वभाव की सास होगी…? अगर सचमुच तेज तर्रार हुई तो वह सासू मां के सामने कैसे टिक पाएगी।
ससुराल में पूरा घर बहू की खिदमत में लगा रहता। अभी नए-नए हैं शायद इसीलिए सब ज्यादा ध्यान दे रहे हैं…! अभी तक तो सब ठीक है पता नहीं बाद में सब कुछ कैसा रहेगा….! सासू मां उसे कुछ भी नहीं करने देती, कहती बाद में तो करना ही है, अभी तुम्हारी मेहंदी खराब हो जाएगी। वह ससुराल जैसा सोच रही थी वैसा बिलकुल नहीं था यह बिल्कुल विपरीत, बहुत अच्छा था।
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विभास बहुत प्यार करने वाला पति एवं घर का माहौल भी बहुत शांतमय और सुखद था। एक लड़की को और क्या चाहिए..?
कुछ दिन बाद सासू मां बोली तुम्हें इस घर में कोई दिक्कत तो नहीं है… बेटा!
मां अपने घर में दिक्कत कैसी…? आप लोग तो मुझे बहुत प्यार करते हैं। वैसे भी अपने घर में सभी तरह की परिस्थितियों आयेगी । उनके साथ सामंजस्य बैठाना भी हमारा कर्तव्य है।
नहीं बहू..! तुम अभी इस घर में नई हो। कभी भी किसी चीज की जरूरत हो बताना। और हां…! अभी तुम्हारी कम उम्र है इसलिए भूख ज्यादा लगती है। तुम्हारी पसंद के सब सामान रसोई में रखे हैं, अपने हाथ से उठाकर खाओ बिल्कुल संकोच मत करना। अपने घर की इकलौती और लाडली बेटी थी, इस घर में भी तुम हमेशा सबकी लाडली रहोगी।
जी मां.. सुहाना ने राहत की सांस ली!!
अगर कोई दिक्कत होगी तो मैं विभास से पहले आपको बताऊंगी.. मां!
“सासू मां बहुत खुश हुई शाबाश मेरी बहू!!”
जानती हो बहू..! हम दोनों के बीच कॉमन क्या है…? “वर्तमान”
मैं विभास का अतीत एवं वर्तमान हूं, और तुम वर्तमान और भविष्य। हम दोनों को अपना वर्तमान अच्छा रखने से परिवार में खुशियां और सुख शांति अपने आप बनी रहेंगी..!
क्या है न बहू…! पारिवारिक समस्याओं में बेटा ही दो पाटों के बीच पिसता रहता है। न वह मां को कुछ बोल पाता है और न ही पत्नी को। मैं नहीं चाहती कि बेटा दो पाटों में पिस कर रह जाए। यदि वह चिंता मुक्त होकर कर्तव्य निर्वहन करेगा तो परिवार में खुशियां और उन्नति दोनों एक साथ बनी रहेंगी।
मां आप चिंता न करें। मैं आपका अभिप्राय समझ गई। घरेलू समस्याओं को आपके बेटे तक नहीं पहुंचने देंगे। हम दोनों ही मिलकर समस्याओं को सुलझाएंगे।
“शाबाश..बेटा! तुमसे यही आशा करती हूंँ।”
विभास बहुत खुशी-खुशी ऑफिस में मन लगाकर काम कर रहा था। जैसे ही काम खत्म होता… घर का खुशनुमा माहौल उसे अति शीघ्र घर आने के लिए आकर्षित करता। घर आकर विभास ऑफिस की कुछ-कुछ बातें सबके साथ साझा करता। उसे बाहर किसी दोस्त की कभी जरूरत नहीं पड़ती।
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एक दिन सासू मां ने विभास से कहा कि तुम छुट्टी लेकर कुछ दिन के लिए दोनों कहीं बाहर घूम कर आओ…! सुहाना को यह बात अच्छी लगी। कुछ दिन बाद विभास ने छुट्टी ली और कश्मीर की वादियों के लिए निकल गए। सुहाना अपनी जिंदगी में उड़ रही थी। मन ही मन अपनी सासू मां को धन्यवाद कह रही थी जिनके कारण उन्हें जिंदगी में यह आनंद लेने का मौका मिला।
जब दोनों लौट कर घर आए तो वह दोनों पहले से ज्यादा तरोताजा थे। सुहाना अपनी सास को धन्यवाद देते हुए बोली मां अगर तुमने वहां जाने के लिए नहीं सुझाया होता तो हम लोग अभी नहीं जा पाते।
सासू मां ने कहा- बेटा हर चीज में तालमेल रखना बहुत जरूरी है अगर जिंदगी एक ढर्रे से चलती रही तो निश्चित ही उबाऊ लगती है।
एक दिन सभी लोग रात्रि भोजन कर रहे थे तो सुहाना ने अपनी मंशा व्यक्त की।
“मैं अध्यापिका बनना चाहती हूं।”
सास- ससुर तुरंत बोले…. हां बेटा क्यों नहीं!!
“तुम अपना करियर बनाओ, हम तुम्हारे साथ हैं।”
मां..! बस मुझे आप लोगों का समर्थन चाहिए।
सासू मां सुहाना को पढ़ाई करने के लिए पर्याप्त अवसर देती, और बोलती तुम अपना ज्यादा से ज्यादा पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करो, जिससे कंपटीशन निकाल सको। सुहाना भी सासू मां को बोलने का मौका नहीं देती अपनी तरफ से घर की जिम्मेदारी को निभाते हुए आगे बढ़ रही थी।
इस साल विभास को “बेस्ट एम्पलाइज अवार्ड” मिला। कुछ दिन के बाद विभास की पदोन्नति हो गई। परिवार में खुशी की लहर आ गई। यह छोटी-छोटी खुशियां ही हमारे जीवन में बहुत मायने रखती हैं। कुछ महीनों के लिए विभास को दूसरे शहर में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया।
मां सुहाना से बोली बेटी अभी तुम्हें पर्याप्त समय है इस समय का पूरा ही सदुपयोग करो..! और रही बात घरेलू कामों की… मैं अकेले ही कर सकती हूं। मां कुछ दिन के लिए मुझे कोचिंग की आवश्यकता है?
हां हां क्यों नहीं..!!
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सुहाना सासू मां के साथ कोचिंग जाकर औपचारिक कार्रवाई करने के पश्चात कोचिंग में प्रवेश ले लिया। आज कोचिंग का पहला दिन था। सुहाना की सास ने उसे टिफिन देते हुए कहा बीच में थोड़ा बहुत समय मिलेगा खा लेना। सुहाना मां की तरफ कृतज्ञ निगाहों से देखते हुए बोली मां इसकी आवश्यकता नहीं है। अरे नहीं जब भूख लगती है तब ध्यान पढ़ाई की तरफ न होकर भूख की तरफ रहेगा, मुस्कुराते हुए सासू मां बोली। सुहाना ने मुस्कुराते हुए टिफिन ले लिया।
सुहाना जब कोचिंग से लौट कर आती सासू मां नाश्ता देते हुए बोलती- खाकर थोड़ा आराम कर लो..! सोकर उठोगी तब पढ़ाई में ज्यादा मन लगेगा।
सुहाना बहुत रात तक पढ़ाई करती। सासू मां भी जागती रहती। सुहाना उन्हें बार-बार सोने के लिए बोलती लेकिन… सासू मां कभी दूध का गिलास और कभी चाय लेकर आती लो बेटा पी लो…!!
मां आप परेशान क्यों होती हैं, मैं ले लूंगी…!! आप तो मेरी मां से भी बढ़कर मेरा ख्याल रखती है।
कुछ दिनों के बाद टीजीटी की वैकेंसी निकली, सुहाना ने आवेदन किया। तैयारी तो बहुत अच्छी थी लिखित परीक्षा में उसने टॉप किया।
सुहाना के इंटरव्यू में पूछा गया आपने लिखित प्रतियोगिता में टॉप किया है, आप तो शादीशुदा हैं जरूर आपने अपनी मां के घर में रहकर पढ़ाई की होगी। सुहाना ने कहा नहीं श्रीमान…! मैं अपनी ससुराल में ही रहती हूंँ। विगत एक साल से रहने के लिए मायके नहीं गई हूंँ हां.. कभी कभार एक-दो दिन के लिए जाती हूं। मुझे अपनी ससुराल में बहुत प्यार, सम्मान और करियर के प्रति स्वतंत्रता मिली है। मेरी सासू मां ने मुझे बढ़ चढ़कर प्रोत्साहित किया है। कुछ लोगों का मानना है कि विवाह के पश्चात करियर नहीं बन पाता है। इसके लिए मैं कहना चाहूंगी अगर ससुराल का माहौल सकारात्मक एवं लोग अच्छे हैं तो मायका क्या, ससुराल क्या…. करियर कहीं भी बनाया जा सकता है।
सुहाना का इंटरव्यू अच्छा हुआ। घर आकर वह अपनी सासू मां से लिपट गई और बोली मां आपने जो मेरा साथ दिया है वह अकल्पनीय है। अगर सभी ससुराल वाले बहू को आगे बढ़ने में समर्थन करने लगे तो ससुराल, मायके की खाई गिर जाएगी और हर लड़की आगे बढ़ने में सक्षम हो पाएगी…!
विभास अपना प्रशिक्षण खत्म करके वापस आ गए। उसने जब सब कुछ देखा तो अवाक रह गया…! बोला सास बहू के बीच में इतना अच्छा तालमेल बहुत ही कम देखने को मिलता है।
सुहाना और मां दोनों मुस्कुरा रही थी।
आज सुहाना का रिजल्ट आ गया था। उसे नजदीक के ही इंटर कॉलेज में टीजीटी अध्यापिका के लिए नियुक्त किया गया। उसकी किस्मत अच्छी थी कि प्रथम प्रयास में विद्यालय घर के नजदीक ही मिला।
आज स्कूल में उसका पहला दिन था सासू मां ने पूजा पाठ करने के पश्चात टीका लगाया। सुहाना ने सासू मां को दंडवत प्रणाम किया और कहा- आप बंदनीय है।आप जैसी अच्छी और समझदार सासु मां के कारण मुझे अपनी मंजिल मिल पाई। इसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ आपको ही जाता है। सासू मां ने आशीर्वाद दिया कि उन्नत की राह में आगे बढ़ते रहना और जिंदगी में किसी एक व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर उसकी मदद करना।
इस स्वार्थी संसार में जहां सभी स्वार्थ के रिश्ते हो गये हैं। वहीं सासू मां ने निस्वार्थ होकर अपनी बहू को आगे बढ़ाने में एक अलग अध्याय गढ़ दिया।
– सुनीता मुखर्जी “श्रुति”
लेखिका
स्वरचित,मौलिक अप्रकाशित
हल्दिया, पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल
#स्वार्थी संसार