जबसे सुमन ब्याह कर आई थी, परिवार के किसी भी सदस्य से उसका जुड़ाव नहीं हो पा रहा था…
और इसका सबसे अहम कारण था सुमन का स्पष्ट व्यवहार…
उसे घुमावदार बातें करनी आती हीं नहीं थी…
बातों में नमक मिर्च लगाकर उसे
चापलूसी की चाशनी में लपेट कर कहने का हूनर उसने सीखा हीं नहीं था…
घर की बड़ी बहू होने के नाते सुमन से ससुराल आते हीं सारी जिम्मेदारियां संभाल ली।
सास ने तो हर बार ऐसा जताया कि जैसे सुमन मैके से हीं परिपक्व हो कर आई है।
ससुराल में सुमन की किसी भी गलती को क्षमादान नही मिलता था।
चार बातें सुना कर कहा जाता कि,तुम तो बड़ी बहू हो तुम ये गलती कैसे कर सकती हो????
तुम हीं ऐसा करोगी तो बाकि बहूएं आएंगी तो क्या करेंगी????
वगैरह-वगैरह….
सुमन हर बार यहीं कहती कि,इस घर की बहू होने से पहले मैं किसी घर की सबसे छोटी नटखट और अल्हड़ बेटी भी थी ये आप लोग भूल क्यों जाते हैं??
सुमन ससुराल में सदैव एक बेबाक बहू हीं बनी रही क्यों कि नमक मिर्च लगाना उसने सीखा हीं नहीं था।
समय गुजरा और सुमन के देवर की शादी हुई देवरानी रीना आते हीं सास ननद देवर सबकी चहेती बन बैठी क्यों कि वो काम कम और चापलूसी अधिक करती थी।
सुमन रसोईघर में जैसे हीं चाय बनाती रीना खींसे निपोरते हुए चली आती..
दीदी लाइए मैं सबको चाय दे आऊं…
रोटी बनती तो हंस-हंसकर खाना खिलाने लगती….
सुमन को अब एहसास होने लगा कि जिंदगी में सच्चे लोगों से अधिक नमक-मिर्च लगाकर बोलने वालों की पूछ है…
सुमन देवरानी की चाल को समझ पाती इससे पहले हीं देवरानी ने सबके दिल पर अपना आधिपत्य जमा लिया…
झूठ बोलना और चापलूसी करना तो जैसे उसकी खून में शामिल था…
ये सब देख सुमन का हृदय हर दिन टूटता मगर संयुक्त परिवार में रहने की मजबूरी के कारण वो कुछ भी बोल नहीं पाती…
पति से कुछ कहती तो बस यहीं जवाब मिलता कि तुम क्यों सत्य की देवी बनी हो?
तुम भी वैसी हीं बन जाओ।
हर दिन सदस्यों के बदलते व्यवहार के कारण सुमन कुंठित रहने लगी।
आखिरकार उसने एक दिन ये निर्णय ले हीं लिया…
जैसे हीं रीना बना बनाया खाना परोसने आई सुमन ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली –
जो बना सकती है वो खिला भी सकती है…
जितना नमक-मिर्च बातों में लगाती हो उतना भोजन में लगाती तो क्या बात होती…
दोनों की बातें सुनकर सारे सदस्य आ गये…
आज सुमन ने सबके सामने रीना का सच ला दिया…
आप सब इतने दिनों से मेरे साथ हैं मगर अब तक मुझे पहचान नहीं पाए और कल की आई लड़की आपकी सगी बन गई।
अरे!! नमक मिर्च लगाकर बोलने वाले कभी किसी के सगे नहीं हो सकते।
दूसरे का बनाया भोजन परोसकर
सबकी चहेती बनने वाली जिस दिन आपको स्वयं बना कर खिलाएं उस दिन समझिएगा कि ये कितनी अच्छी बहू है।
डोली पाठक
पटना बिहार