पार्वती पति की मृत्यु के बाद बेटे विराट के साथ रहने लगी । बहू मानिनी भी नौकरी करती थी । उनके दोनों बच्चों को पार्वती ही घर में रहकर देख लेती थीं । उस दिन वह कमरे में अकेली बैठी हुई थी कि तभी अचानक से उसे किसी की फुसफुसाहट सुनाई पड़ी ।
वह धीरे से उठी और उस तरफ गई तो बेटे के कमरे से मानिनी और उसकी सहेली की बातें हो रही थीं कि सास को कभी भी छूट नहीं देनी चाहिए वर्ना वह हमारे घर पर क़ब्ज़ा कर लेती है । बेटा तो उसकी ही बात मानेगा इसलिए मानिनी तुम भी सँभल कर रहो । दिन भर ऑफिस में खटकती रहती हो और पैसे कमाती हो और यह घर में मौज करतीं हैं । दूध दही फल सबका ध्यान रखना नहीं तो सब कुछ दो दिन में सफ़ाचट हो जाएगा ।
उसके दूसरे दिन से मानिनी दूध फ्रिज में रखने के पहले चेक करती थी । केला एपिल सब अपने कमरे में रखने लगी थी उसे मालूम है कि वह उनके कमरे में नहीं जाती है । एक दिन पोते ने कहा कि दादी मुझे भूख लग रही है कुछ खाने को दो ना तो मैं केला डाइनिंग टेबल पर रखा है ले ले कहा परंतु जब उसने कहा कि वहाँ नहीं है तब मुझे समझ में नहीं आया कि आख़िर कहाँ गए हैं क्योंकि सुबह तो वहीं थे तभी पोती ने कहा दादी केले हमारे कमरे में हैं ।
उस दिन उसने निश्चय कर लिया था कि वह बेटे के साथ नहीं रहेगी । वह बच्चों को लाने के लिए स्कूल गई तो बच्चों के स्कूल के पास एक लड़की आई थी जिसके दो बच्चे हैं उनकी देखभाल करने के लिए किसी हेल्पर की जरूरत है जो उनको स्कूल से आने के बाद देख लें उसके लिए वे महीने में पंद्रह हज़ार देने को तैयार हैं ।
बस दिमाग़ में बात बैठ गई कि अपना समझ कर इनके लिए इतना करो तो उन्हें हमारी कदर नहीं है तो कहीं और जाकर काम कर लूँ तो ज़्यादा अच्छा है क्योंकि वह रहने के लिए कमरा भी दे रही है ।
इस कहानी को भी पढ़ें:
स्त्रियां कहां बुद्ध हो पाती हैं!! – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi
उस दिन विराट चाय पीते हुए पेपर पढ़ रहा था तभी मानिनी भागकर आई और कहने लगी कि देखिए आपकी माँ अपना बैग जमा रही है कहाँ जा रही है आपको बताया है क्या?
विराट ने ना में सर हिलाया और कहा कि तुम्हें नहीं मालूम है?
वह अपने दोनों हाथों को हिलाते हुए कहती है कि हाँ तुम्हारी माँ तो मुझसे कभी सीधे मुँह बात ही नहीं करती है तो मुझे कैसे बताएगी कहाँ जा रही है ।
विराट उठकर माँ की कमरे की तरफ जाते हुए सोचता है कि मैंने भी किससे पूछ लिया है इन लोगों के बीच छत्तीस का आँकड़ा है कभी एक दूसरे से सीधे मुँह बात ही नहीं करते हैं । माँ हमेशा कहती रहती हैं कि मैं औलाद के मोह के कारण यहाँ पड़ी हूँ वरना मानिनी की बातों से मेरा दिल इतना दुखता है
कि कब का घर छोड़ कर चली गई होती । माँ जो कुछ कह रही है सही है मानिनी माँ को आए दिन ताने मारती रहती है लेकिन मैं भी उन दोनों की बातों को अनसुना कर देता था ताकि घर की शांति भंग ना हो जाए । आज शायद उन दोनों के बीच कुछ बड़ा ही हुआ है जिससे माँ का दिल टूट गया होगा और वे घर छोड़कर जा रही हैं । मुझे किसी भी तरह से उन्हें मनाना ही पड़ेगा ।
माँ अपने सारे कपड़े रख कर बैग का जिप बंद कर रही थी कि मैं वहाँ पहुँच गया । अरे! माँ कहीं जा रही हो क्या बता दिया होता मैं छोड़ कर आ जाता हूँ । आपको पूजा के घर जाना है । (पूजा मेरी बहन है ) हमारे यहाँ से दो घंटे की दूरी पर रहती है ।
उन्होंने कहा नहीं मैं कहीं और जा रही हूँ । मैंने उनका हाथ पकड़ कर कहा बताओ ना माँ आप कहाँ जा रही हैं और क्यों जा रही हैं ।
उनकी आँखें भर आईं और कहा कि मैं यहाँ तुम्हारे यहाँ नौकरानी बनकर नहीं रह सकती हूँ । मुझे मेरा आत्मसम्मान भी प्यारा है बेटा मानती हूँ मुझे तुम्हारे और बच्चों के साथ रहना अच्छा लगता है इसका मतलब यह नहीं कि मेरे साथ कोई कुछ भी करेगा और मैं चुपचाप पड़ी रहूँगी ।
विराट ने कहा कि माँ आपको कुछ भी तकलीफ़ है तो मुझसे कह सकतीं हैं इस तरह से बैग लेकर चले जाने का मतलब क्या है ।
इस कहानी को भी पढ़ें:
उन्होंने विराट को दूध दही फलों के बारे में बताया साथ ही यह भी बताया कि खाना बनाने के बाद लंच पैक करने के बाद मेरे खाने के लिए कुछ नहीं बचता है तुम्हें शायद मालूम नहीं है कि मैंने दो दिन से खाना नहीं खाया है । मानिनी मेरे आने के पहले ही बचा हुआ खाना कामवाली बाई को दे देती है ।
विराट को यह एक शॉक था उसने कभी नहीं सोचा था कि मानिनी इतना गिर सकती है ।
पार्वती ने बताया था कि वह किसी के घर रहने के लिए जा रही है वहाँ उनके बच्चों को देखने के लिए पैसा मिलेगा और साथ ही रहने के लिए जगह भी मिलेगी ।
विराट ने कहा कि यह क्या कह रही हो माँ आप दूसरों के घर में रहोगी और पैसों के लिए काम करोगी यह मेरे जीते जी नहीं हो सकता है। मैं आपको कहीं नहीं जाने दूँगा आप चली गई तो हमारे बच्चों का क्या होगा ।
मानिनी तुम्हारे कारण यह सब हो रहा है तुम मेरी माँ के साथ गलत व्यवहार कर रही थी इसलिए वह हमें छोड़कर जा रही हैं । उनसे माफी माँग लो और उन्हें कहीं मत जाने दो ।
मानिनी को भी लगने लगा कि कहीं ना कहीं उसकी गलती है । वह बेकार में अपनी सहेली की बातों को सुनकर सासू माँ पर विश्वास नहीं करती थी और उन्हें बहुत सताया है ।
विराट की बात भी सही है क्योंकि अगर वे चली गई तो हमारे बच्चों की देखभाल कौन करेगा मुझे अभी प्रमोशन भी मिलने वाला है हे भगवान मेरी मति मारी गई थी जो मैंने ऐसी गिरी हुई गलती की है ।
उसने पार्वती के हाथों को पकड़कर कहा कि आप मुझे माफ कर दीजिए अपने पोतों को छोड़कर कैसे जा सकते हैं ।
पार्वती ने कहा ओके विराट अगर मुझे तुम यहाँ रोकना चाहते हो तो मुझे हर महीने सेलरी देना तभी यहाँ रुकूँगी ।
माँ आप मुझसे पैसे लेंगी अपने बेटे से वह भी अपने ही पोतों की देखभाल करने के लिए लोग तो कहते हैं कि असल से सूद प्यारा होता है ।
हाँ बेटा असल से सूद प्यारा होता है पर रिश्ते दोनों तरफ से निभाए जाते हैं । फ्री में काम करें तो उसकी कोई वेल्यू नहीं होती हैं।
अब बोल मुझे हर महीने पैसे दोगे तो मैं यहाँ रुक सकती हूँ और हाँ इस महीने की एडवांस भी दे देना ।
बच्चों से इस तरह से बात करने पर दिल दुख रहा था लेकिन उन्हें सबक सिखाना ज़रूरी था अन्यथा माँ को टेक इट फॉर ग्रेंटेड
ले रहे थे जो मैं होने देना नहीं चाहती थी । उनकी तरफ बिना देखे ही मैंने अपना सामान फिर से अलमारी में रखने लगी थी । मैंने उस लड़की को फोन कर दिया था और कह दिया था कि अभी कोई हेल्पर मिली नहीं हैं मिलते ही इत्तिला कर दूँगी ।
के कामेश्वरी