विनी डियर! इस बार रीना-जीजा जी और बबली होली हमारे साथ मनाने आ रहे हैं ध्यान रखना कोई कमी ना रह जाए।
सुधीर ने अपनी नई नवेली दुल्हन विनी से कहा।
सुधीर और विनी के ब्याह को एक महीना ही हुआ था। नई-नई शादी का खुमार नया सामान नया घर सजाने में दोनों तन-मन से जुटे थे।
रीना सुधीर की इकलौती बहन कुछ ज़्यादा ही सर चढ़ी नक चढ़ी मुँहफट और बद दिमाग थी।
सुधीर की मां ने उसे बहुत सर पर चढ़ा रखा था।
वे सबको कहती रहतीं मैने तो राशन में बेटी पैदा करी है जो कुछ है यही है।
रीना के गृहप्रवेश के बाद ही सासू मां ने विनी को हिदायत देते हुए ख़बरदार कर दिया था कि चाहे गलत हो या सही रीना को दी गई किसी तरह की तकलीफ़ को वह किसी हालत बर्दाश्त नहीं करेंगी! और सुधीर तू भी समझ ले कल को कहीं नई बहुरिया के कहे में आके तू भी आये-बाए ना करने लगे!
विनी बहुत डरी हुई थी रीना के बारे में सुन सुनकर! ब्याह के वक्त वह रीना की थोड़ी बहुत चौधराहट देख चुकी थी कि कैसे वह घरवालों के ऊपर बुरी तरह से हावी थी
उसने सुधीर से पूछकर रीना और विनय की पसंद का सारा खाना बनाया।
इंतज़ार की घड़ियां खत्म हुई ननदरानी रीना पधारीं।
आते ही रीना ने घूमकर पूरे घर का मुआयना किया भाई भाभी का नया सजा सजाया घर देखकर उसकी ईर्ष्या उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी खास तौर पर तब जब विनय हर चीज़ की तारीफ कर रहा था और सुधीर उन्हें बता रहा था कि कैसे विनी ने ढूंढ ढूंढ कर एक-एक चीज़ जुटाई थी।
बेडरूम में आकर रीना ने देखा पलंग पर एकदम झक् सफेद चादर और मैचिंग पिलो लगे थे कमरे का लुक एकदम फाइव स्टार होटल जैसा लग रहा था।
रीना की आँखे खुली की खुली रह गई पर प्रशंसा के दो बोल निकालने की बजाए वह तुनक कर बोली “चादर ओढ़ने की ही है ना कहीं किसी के नीचे बिछाने की चादर तो मेरे लिए ओढ़ने को तो ना रख दी?”
बाथरूम में साबुन तो नया रखा है ना?और तौलिए को किसी ने इस्तेमाल तो नहीं किया?
विनी का मुँह एकदम उतर गया बेचारी बोली दीदी! “अभी तो हमारे यहाँ कोई भी नहीं आया पहली बारआप ही आई हैं चादरें-तौलिया एकदम नई और कोरी हैं।”
तभी रीना तमक कर बोलीं “तो तुम्हारा मतलब है तुम्हारे घर में तुम्हारे मायके वाला तो कोई आया नहीं सबसे पहले हम ही आ टपके।”
“नहीं दीदी मेरा वो मतलब नहीं था “विनी सफाई देने लगी पर सुधीर एकदम चुप खड़ा रहा। बहन को टोकने की उसकी हिम्मत नहीं हुई।
चाय के कप से एक घूंट पीते ही मुंह बिचका कर रीना बोली सुधीर! तुझे तो पता है ना कि मैं ग्रीन लेबल चाय ही पीती हूं अभी तो शादी को एक महीना ही हुआ है अभी से ही इसके रंग में रंग के सब भूल गया थोड़े दिनों में तो ऐसा जोरू का गुलाम बनेगा कि भूल ही जायेगा कि तेरी कोई बहन भी है!”
विनी और सुधीर ने सफाई देनी चाही कि कोशिश करने पर भी ग्रीन लेबल नहीं मिली पर बस बस रहने दे कहकर रीना चाय छोड़कर चल दी।
विनी के बहुत मेहनत से बनाए खाने को विनय और बबली ने खूब चटकारे लेकर खाया और तारीफ की! रीना ने भी खाया तो खूब पर आदत के अनुसार हर चीज़ मे कमी निकाले बिना बाज नहीं आई।
विनी जितनी भी कोशिश करती कि रीना को नाराज करने का कोई मौका ना दे पर रीना कहां मानने वाली थी वह ढूंढ ढूँढ कर किसी ना किसी चीज़ को लेकर विनी को सुधीर के सामने नीचा दिखाने की कोशिश करती।
उसे हर वक्त यह डर सताता कहीं भाई अपनी बीवी के बस में होकर उसे नजरअंदाज ना करने लगे।
तीन दिन विनी एक पैर पर खड़ी होकर जी-जान से रीना को खुश करने की कोशिश करती रही। रीना को विनय का विनी की बार-बार तारीफ करना एक आंख नहीं सुहा रहा था। रीना का हर बात में विनी को ताना मारने को लेकर विनय ने कई बार रीना को समझाने की कोशिश की पर रीना के सिर पर जूं तक न रेगी।
सबने होली खेली विनी ने खूब पकवान बनाकर खिलाए। जाने से पहले विनी और सुधीर रीना और विनय को बाज़ार ले गए क्योंकि अम्मा जी का हुकुम था कि बहन पहली बार आ रही है।
उसकी विदाई में कोई कसर मत रखना।
शहर के सबसे अच्छे साड़ियों के स्टोर में जिस साड़ी पर रीना ने हाथ रखा सुधीर ने बिना पैसों की परवाह किए खरीद दिया विनय के लिए भी ब्रांडेड शर्ट-पैंट बबली के कपड़े खिलौने मिठाई-फल-मेवा सब खरीदा। शगुन के लिफाफे भी दिये।
लौट कर विनी अपने कमरे में आलमारी से कुछ निकाल रही थी कि रीना आई और उसकी खुली आलमारी में टंगी साड़ियां देखने लगी। नई-नई हर प्रदेश की साड़ियां देखकर उसका मन ललच उठा उसने दो साड़ियों की तरफ इशारा करते हुए कह दिया जो साड़ियां तुमने मुझे आज दिलाई इनके आगे वे कुछ भी नहीं ऐसा करो वे तुम रख लो मैं ये ले लेती हूं.
विनी ने सुधीर की तरफ देखा सुधीर फौरन बोला हाँ-हाँ क्या फर्क पड़ता है विनी फिर खरीद लेगी आप वे भी रख लो ये भी।
रीना ने बिना समय गंवाए फटाफट सारी साड़ियां उठाई और कमरे से निकल ली। विनय को रीना की यह हरकत नागवार गुर्जी पर क्लेश के कारण चुप रहा।
रीना को विनी का नया डिनर सेट भी बहुत पसंद आया वो भी उसने सुधीर को कहकर पैक करा लिया। विनी के घर में जो जो चीज़ें रीना को पसंद आती वो झट से सुधीर से उनकी फरमाइश कर देती क्योंकि वह जानती थी कि भाई उसे कभी मना नहीं कर सकता।
विनी को सबसे बुरा तब लगा जब उसने रात में रीना को अपनी अम्मा से फोन पर विनी और सुधीर की ख़ातिर दारी और विदाई के सामान की कमी को लेकर खूब
नमक मिर्च लगा कर विनी और सुधीर की बुराइयां करते सुना।
वह अम्मा जी से कह रही थी”पहली बार भाई भाभी के घर आई थी सोचा था हीरे ना सही कुछ सोने का गिफ्ट तो देंगे पर उसने तो एक साड़ी देकर सुखा टरका दिया!”
भाभी तो खैर पराऐ घर से आई थी पर रीना ने तो अपनी मां के कोख जाऐ सगे उस भाई को भी नहीं छोड़ा जिसने अपनी नई नवेली दुल्हन को एक तरफ कर अपनी हैसियत से बढ़कर बहन की हर बात को बिना कुछ सोचे समझे आंख बंद करके पूरा किया। जो हमेशा उसके मुंह से बात निकलने के पहले ही पूरी कर दिया करता था।
विनी का दिल बहुत दुखा!
अगले दिन ननदिया को विदा करके विनी ने चैन की सांस ली।
घर आकर एक दिन विनय ने रीना को प्यार से पास बैठाकर उसे समझाया कि जो व्यवहार उसने अपने भाई के घर जाकर अपनी भाभी से किया वो सही नहीं था। रीना के खुद के पास भी किसी चीज़ की कमी नहीं और जो चाहिए वह उसे लाकर देगा भाभी की हर चीज मांग कर उसका अपना कद छोटा हुआ।
भाई तो अपना खून है हमेशा तुम्हारा रहेगा भाभी को अपना बना लोगी तो मां-बाप के बाद भी तुम्हारा मायका आबाद रहेगा वर्ना भाभी नहीं चाहेगी तो एक दिन मायके को तरस जाओगी।
रीना को समझ आ गया उसने फौरन फोन लगाकर विनी से सॉरी कहा और अपने व्यवहार की क्षमा मांगी।
सारी ननदें एक सी नहीं होतीं फिर भी इतनी बड़ी दुनिया में कहीं ना कहीं रीना जैसी मिल ही जाएँगी! जिन्हें लगता है भाई की शादी के बाद मायके पर उनका वर्चस्व कम हो जायेगा।
ऐसी ननदें स्वयं ही अपने लिए अपने मायके के दरवाजे सदा के लिए बंद कर देती हैं।कहीं आपकी ननदिया भी ऐसी तो नहीं या आप ऐसी ननद तो नहीं!
स्वरचित-मौलिक
कुमुद मोहन