रईसी – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आंखों पर बहुते चर्बी चढ़ गई है का, सामने आदमी जा रहा है लागत है कार में बैठकर सड़क के लोग  दिखाई नहीं देते का..!!मोहन जी ने सड़क पर गिरे हुए आदमी को उठाते हुए कार रुकवाने की पुरजोर आवाज लगाई तो समीर ने कार रोकने के बजाय आगे बढ़ा दी।

अरे ओ समीरवा पिता की दो नंबर की कार में बैठकर ज्यादा रुआब ना दिखा रुक जा कहे देता हूं इस आदमी को तूने ठोक दिया है जल्दी डॉक्टर के पास ले चल अबकी बार गला फाड़ के चिल्ला उठे थे मोहन जी और कार के ठीक सामने आ गए।

मेरी गलती नहीं है अंकल गलती इसकी है ।मैं तो कार से जा रहा था इसे इतनी बड़ी रेड कार दिखाई नहीं दी  अंधा है दंभ से चूर था समीर का स्वर।

चुप कर बड़ी रेड कार की शान में तू अंधा हो गया है तुझे सामने कोई दिखाई नहीं दे रहा है।ये गरीब तो बिचारा अपना मूंगफली का ठेला इस हाड़ कंपाती ठंड में सड़क किनारे लगाया था तूने इसे टक्कर  मारी इसका ठेला भी तोड़ दिया सारी कमाई भी लुट गई चोट अलग लग गई है इसे …उतर गाड़ी से  और माफी मांगकर इसे अस्पताल पहुंचा..मोहन जी का क्रोध सातवें आसमान पर था।

 

इसके ठेले ने मेरी नई नई कार में खरोच कर दी है ये देखिए गुस्से से कहता समीर अपने रईसी कपड़े बचाता कार से उतर पड़ा।ये देखिए इसीलिए मैने इसके ठेले को सबक सिखा दिया…!

 

ओए रईस की औलाद ज्यादा चर्बी ना दिखा गलती तेरी है समझा बिना लाइसेंस की कार चला रहा है ट्रैफिक नियमों को तोड़ रहा है तेरी कार की तिल बराबर खरोच तुझे दिखाई दे रही है और इस गरीब के हाथ और पैर से बहता रक्त तुझे नहीं दिखाई दे रहा…इसका टूटा ठेला  तेरी चर्बी चढ़ी आंखों से दिखाई नहीं पड़ रहा है….चल  अब तू पुलिस थाने चल तेरी आंखों पर चढ़ी चर्बी वहीं उतारेंगे और तुझे भी सबक सिखाएंगे…कहते  ट्रैफिक  पुलिस के दो तीन जवानो ने आकर समीर और उसकी कार को गिरफ्त में ले लिया।

अंकल मुझे बचा लीजिए गलती हो गई माफ कर दीजिए मैं थाने नहीं जाऊंगा पिता जी की जगहंसाई हो जाएगी.. अब तो समीर घिघियाने लगा था।

अब माफी का समय खत्म हो गया है आज तू भी सबक सीख ही ले कहते हुए मोहन जी अब शांत हो गए थे और घायल गरीब को पुलिस एम्बुलेंस में बिठाने में व्यस्त हो गए थे।

 

लतिका श्रीवास्तव 

आंखों पर चर्बी चढ़ना# मुहावरा आधारित लघुकथा

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!