वो पगली – Motivational Short Story In Hindi 

जोर जोर से दरवाजा खटखटाने की आवाज सुन कर मैंने भाग कर दरवाजा खोला तो एक औरत अजीब सा हुलिया ..अंदर घुस आई।मैं एक दम से बहुत ज्यादा डर गई थी।उसने मुझे कुछ नही कहा सीधा वाशरूम में घुस गई। बाहर आकर उसने वाशबेसिन से हाथ मुँह धोया, कुल्ला किया और जैसे आयी थी वैसे ही जल्दी से चली गयी और मैं डरी सहमी सी एक तरफ खड़ी बस उसे देख रही थी। 

और जब मैं थोड़ी सामान्य हुई तो तब ध्यान आया कि इसने मुझे तो कुछ नही कहा। ये तो वो ही पगली है जिसको मैंने कितनी बार सड़क पर घूमते देखा है।

ये उस समय की बात है जब हम सयुक्त परिवार में रहते थे। तब शहरों में छोटे घरों में ऊपर  के फ्लोर पर बेडरूम,किचन और नीचे के फ्लोर पर बाथरूम ,टॉयलेट हुआ करते थे।

 और मैंने उस पगली को  बालकनी सेकितनी बार सड़क से हाल बेहाल हो कर जाते देखा था। जब भी निकलती बच्चे उसके पीछे भागते और वो गुस्से में कोई भी पत्थर या सड़क पे जो मिलता उठा कर उनको मारने लगती तो बच्चे भाग जाते। जैसे ही वो जाने लगती बच्चे फिर से पगली पगली कह कर उसको छेड़ते हुए भागते। कभी कभी इस शोर में 2..3 कुत्ते भी भौंकते हुए उसके पीछे भागने लगते तो वो उनको भी पत्थर उठा कर मारती।

हाउस वाइफ़ नहीं होम मेकर कहो – Short Hindi Moral Story



न तो उसको अपने कपड़ों का होश रहता, न ही दुप्पट्टे का कि कहाँ हैं कहाँ नही। बिखरे उलझे सफेद बाल…जो शायद किसी अच्छे समय में उसने भी शीशे के आगे खड़े होकर अवश्य सँवारे होंगे।

पैर मिट्टी से सने हुए बिना चप्पल के,एड़ियां बुरी तरह फ़टी हुई..वो पैर भी शायद कभी पायल बिछुए से सजे होंगे। चेहरे पर हजारों लकीरें जो शायद उसकी उजड़ी जिंदगी की व्यथा खुद ही सुना रही होती थी 

 कई बार उसको सामने चाय वाले की दुकान से चोरी से चाय का कप ओर मट्ठी उठाते देखा था। फिर चाय वाला खुद ही तरस खा कर उसको चाय देने लगा। 

कई बार उसको  सुबह सवेरे किसी बन्द दुकान के बाहर सोते हुए भी देखा था। 

लेकिन उसकी मदद करने वाला कोई नही था। तमाशा तो सभी देखते थे उसका। मैं बहुत बार यही सोचती थी कि उसको उसके घरवालों ने किसी ने ढूंढने की कभी कोशिश नही की होगी

या उसकी अब किसी को जरूरत ही नही रही होगी..!!

मौलिक रचना

रीटा मक्कड़

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!