आकलन – अनुपमा अग्रवाल 

( यह मेरे व्यक्तिगत विचार है , जरूरी नहीं की आप इनसे सहमत ही हो )

जब मैंने खबर सुनी की आफताब ने श्रद्धा के 35 टुकड़े कर दिए , तो मन मैं एक जो बनी बनाई धारणा थी उसी हिसाब से अपने आसपास के लोगो की प्रतिक्रियाएं मुझे सुनने मिली और मेरे दिमाग ने भी उसका आकलन करना शुरू कर दिया , अरे वो दूसरी जाति का था , अरे आजकल की लड़कियां सुनती ही कहां है और करो दूसरे जात मैं शादी , ये सब तो होगा ही न । पर मैं एक बात और भी सोच रही थी की कैसे खेप है ये बच्चो की को कहते तो खुद को आजाद स्मार्ट और आत्मनिर्भर है फिर भी जब एक रिश्ते मैं आते है तो गाली गलोच और मारपीट को स्वीकृति कैसे दे देते है , कैसे होने देते है ये अपने साथ ।

कुछ लोग कहेंगे कि ये तो सदियों से होता आया है , हैं ना ? हां सही कहा सदियों से होता आया है पर पिछली पीढ़ी को तो सिखाया ही यही गया था की ये पुरुष प्रधान देश है , पिता पति भाई कुछ भी कर सकते है , उनका काम करना ,उनका कहा मानना स्त्री का फर्ज है ।

लेकिन आज तो माहोल अलग है न , सभी माता पिता अपनी बच्चियों को उच्च शिक्षा दिला रहे है , घर से बाहर पढ़ने के लिए अकेले भी भेज रहे है , नौकरी करवा कर आत्मनिर्भर भी बना रहे है , फिर ऐसा क्या होता है जो ये बच्चियां आत्मनिर्भर होकर माता पिता का विरोध तो आसानी से कर लेती है पर खुद पर हुए अत्याचार को रोक नहीं पाती और रिश्ते मैं गाली सुनती है और मार पीट भी सहती है ।




कुछ दिन पहले मैं अपनी बेटी के पास रहने गई थी वो भी बाहर पढ़ती है । उसकी रूममेट के रहन सहन तौर तरीकों को देखा तो सोचने लगी मैं आज का यूथ फन करना चाहता है और उसके फन का नाम है बात बात मैं अपशब्दों का इस्तेमाल करना , नशीले पेय पदार्थों का सेवन करना , गलियों और अपशब्दों वाले रैप सुनना और बाहर अकेले रहने के कारण आने जाने की समय सीमा का ना होना साथ ही एक ही कमरे मैं 5, 6 लड़के लड़कियों का साथ रहना सोना और कोई रोक टोक का ना होना । हां हो सकता है उनका मजे करने का तरीका है ये और ये सही / गलत दोनो हो सकता है , अपना अपना नजरिया है । मेरी सोच ये है जो भी काम आपको छुप कर करना पढ़ रहा है वो गलत है और आपको लगता है आप जो कर रहे हो वो सही है तो आप फिर छुपा कर क्यों कर रहे हो । 

खैर बात करते है आज के यूथ के मजे करने के तरीके के दूरगामी परिणामों की , मान लीजिए की आप एक समूह का हिस्सा है और उस समूह मैं कुछ लड़के है कुछ लड़कियां और वो साथ साथ ही रह रहे है पढ़ रहे और मजे कर रहे हैं , साथ मैं गाली देकर बात करते है नशीले पदार्थों का सेवन करना और साथ मैं एक कमरे मैं रहना इनकी दिनचर्या का हिस्सा है , अब इनमे से एक लड़के और एक लड़की के बीच अतरंगता कुछ बढ़ जाती ही और वो आगे शादी कर लेते है , चूंकि दोनो के बीच गालियां का इस्तेमाल बहुत आम था तो जब आप शादीशुदा जिंदगी की जिम्मेदारियों से परिचित होते हो तब आपको जब पहली बार आपका पति/प्रेमी गुस्से मैं गाली देता है तब समझ नही पाते हो की वो उसने आपको मजे मैं एब्यूज नही किया है और आप असमंजस मैं रहते हो कोई निर्णय नहीं ले पाते हो की विरोध किया जाना चाहिए या नहीं और इसी दुविधा मैं रहते रहते देर हो जाती है और आप गाली खाने के साथ साथ पिटने भी लगते हो और फिर एक दिन हो जाते है 35 टुकड़े ।

आज के यूथ का फन हैं ना , उन्हें मॉर्डन नहीं बनाता बल्कि ले जाता है एक ऐसे मानसिक दुविधा मैं जहां वो लोग सही और गलत का अर्थ करने की क्षमता खो चुके होते है । 

मैं आजकल की बच्चियों से सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगी की कुछ भी करने की मनाही नहीं है पर सीमा होनी चाहिए , किसी और के लिए नहीं बल्कि आपके खुद के अस्तित्व के लिए , पिछली पीढियों ने बहुत कुर्बानी दी है आपको वो जिंदगी जीने देने ले लिए जो आप आज जी रहे हो ।

अनुपमा अग्रवाल 

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