काली है ! लेकिन संस्कारी है!
गौरी होती तो , कितनी सुंदर दिखती !
शादी मुश्किल है- रंग थोडा़ हलका होता तो जल्दी बात बन जाती |
सुनते सुनते माया बड़ी हुई है , नाम से कोई नहीं पुकारती, बस कोई कोयल कोई काली कमली बुलाती हैं | पर वो हंसती है सिर्फ दिखाने के लिए |
अंदर ही अंदर हमेशा एक सवाल गूंजता रहता है |
क्या मेरा रंग मेरी गलती है |
मेरी कक्षा में गौरी गौरी सुंदर सुंदर लड़कियां हैं उन्हें कोई क्यूट, कोई लाडो और कोई गुलाबो करके बुलाते है मुझे चिड़ाने के लिए मेरी तरफ देखकर फिर हंसने लगती हैं , उस समय तो ऐसा लगता है कि मुझे ही काली क्यों बनाया और मुझे कब तक मेरी सहेलियां तिरस्कार करती रहेंगीं| आखिर कब तक ?
आखिर बोर्ड का रिज़ल्ट आ गया , और मेरे ९९%.९ नंबर आये | सबने तारीफों के पुल बांध दिए , मेरा इंटरव्यू भी हुआ फिर थोड़ा सा आत्मविश्वास बढ़ा |
माया का कॉलेज में एडमिशन भी हो गया | एक दिन राहुल ने कहा – तुम तो बड़ी इंटेलिजेंट हो , फटाफट प्रश्न का उत्तर दे दिया | उस दिन पहली बार आइने को घूरते हुए खुद से पूछा _ क्या मैं किसी से कम हूं | |अपने आप कै निहारती रही , और चेहरे पर अलग ही चमक थी |
एक दिन नेटफ्लिक्स पर माया ने सांवली सूरत का मॉडलिंग लुक इंटरव्यू देना था और स्पीच देनी थी | वो बड़े ही आत्मविश्वास से बोल रही थी, और कह रही थी , मेरा रंग ही मेरी पहचान है | मैं अपनी त्वचा को लेकर बिल्कुल भी शर्मिंदा नहीं हूं बल्कि गर्वित हूं | उस दिन से मैनें फैंसला किया | अब ओर नहीं !
अब मैं खुद को वैसे नहीं देखूगीं जैसे मुझे समाज दिखाता है | अब मैं खुद को वैसे देखूंगीं जैसे मैं खुद महसूस करती हूं|
मजबूत सशक्त सुंदर
माया ने अपनी फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट करनी शुरु कर दी | बिना किसी फिल्टर के | शुरु शुरु में तो ताने मिले
फिर confidence तो देखो
रंग देखकर beauty cream try की है
फिर कोई हिम्मत देता रंग ही सब कुछ नहीं होता |
आज वो एक टीचर है , जो बच्चों को इतनी भा गई है कि मैम – मैम करती रहती हैं |
एक दिन उनकी ही क्लास में राधिका रो रही थी | तो पूछा – बेटा ! क्यूं रो रही हो ? मैम मुझे न सब काली और बदसूरत कहते हैं |
तुम्हारा रंग तो स्याही जैसा है , जिससे इतिहास लिखा जाता है | तुम्हारा दिल साफ है वही सबसे बड़ी खूबसूरती है | राधिका की आंखों में चमक आ गई |
माया से रिश्तेदार पूछते हैं, गौरा लड़का देखना है या सांवला | वो मुस्करा देती है और कहती है मेरी आत्मा उजली है तो मुझे क्या फर्क पड़ता है।
अब माया शर्म महसूस नहीं करती | मेरे चेहरे की चमक मेरे देश की मिट्टी जैसी है, रात का सकून है और आंखों में गहराई है , जो हर किसी में नहीं होती |
मुझे कब तक तिरस्कार करोगे |
सुदर्शन सचदेवा