“स्वाभिमान  के लिए स्वयं ही पहल करनी पड़ती है।” – अमिता कुचया

आज नीना बहुत ही आहत हुई उसके मन को इतनी पीड़ा हुई कि चाहकर भी किसी से कुछ कह नहीं पा रही थी।काम हर घर में होता है, कभी -कभी देर सबेर तो हो ही जाती है। हमेशा इस बात पर ननद रानी सासुमा को भड़का देती और फिर मां जी मुझे सुनाती कि घर में ये काम समय पर हो जाना चाहिए ,कभी कहती कि ये सब्जी इतना मसाला क्यों है ?यूं ऐसे नहीं बनाते सब कुछ नीना सुनकर रह जाती चलो मेरी ही गलती है।पर जब जरुरत से टोका टाकी हो तो स्वाभिमान को भी चोट लगती ही है!

नीना की ननद अचानक ही कभी भी आ टपकती। जैसे बिन बुलाए मेहमान आ जाए।वो इसी तरह की है, ऊपर से मां बाऊ जी  को मेरे खिलाफ भड़का जाती। और तो और कहती कि इसकी लगाम कस कर रखो।जब उसने यह बात सुनी तो उसके कान को विश्वास नहीं हो रहा था।ये मेरी ननद रानी मेरे पास तो कितने मीठे बोल बोलती है। आज समझ आया कि ये ही मां बाऊ जी के मन में मेरे खिलाफ जहर भरती है।

आज जब उमेश जब दुकान से घर आए तो उसने सोचा कि दीदी की सब  बातें बताऊंगी।पर सोचा कि ये मेरी बात पर विश्वास नहीं करेंगे। क्योंकि मेरी ननद रानी को बहुत पूजते हैं ।उनका कहा उनके लिए पत्थर की लकीर है। फिर भी उसने कहा -“अजी सुनते हो, क्या आपको मेरी बात पर भरोसा है। तब  मैं आपको दीदी की एक बात बताती हूं। “

तब उमेश ने कहा-” मुझे दीदी के खिलाफ एक शब्द नहीं सुनना।वो कभी ग़लत हो ही नहीं सकती।न कुछ ग़लत कह सकती।”

इस तरह नीना की बात उमेश ने नहीं सुनी।

अब नीना की आंखों में आंसू भर आए। उसने सोचा अगली बार दीदी ने मां बाऊ जी को  मेरे खिलाफ कुछ  भी कहा तो मैं बर्दाश्त नहीं करुंगी। मैं आखिर कब तक स्वाभिमान पर ठेस लगने दूं?अब बहुत हुआ•••

फिर ननद रानी रात में रुकी।  उनके कहने के अनुसार ही घर में खाना बना। दूसरे दिन उसकी सालगिरह थी तो उसने सोच कथा कर लेंगे तो उसने रात में ही  छोले पानी में डाल दिए और रात में ही थोड़ी बहुत तैयारी करने लगी।

अब क्या था नीना को रात में काम करता देख उसने फिर सासुमा को कहा -“क्यों मां कल कुछ खास है क्या!भाभी इतना क्या काम कर रही हैं?” फिर उसकी सासुमा ने कहा -” रुक मैं पूछती हूं बहू इतनी खटर पटर क्यों हो रही है?”



तब नीना ने कहा -“मां जी मैं कल के लिए छोले पानी में डाल रही थी। चटनी और मसाला सब्जी  के लिए पीस कर रख रही थी।कल हम कथा करा रहे हैं। क्योंकि हमारी सालगिरह है।इतने में अचानक ही  उसके पति उमेश आ जाते हैं।तो वो भी बात सुनने लगते हैं।

अब ननद रानी ने उसको ही कटघरे में खड़ा कर दिया। और पूछा -“भाभी हमसे या मां बाऊ जी से पूछे बगैर ही तुम तो अपनी मनमानी करने लगी।”

फिर नीना ने कहा-” दीदी ये मेरा भी घर है। मुझे क्या करना है ,क्या नहीं, ये आप से हर बात पूछूं जरुरी नहीं। मैंने मां जी से कुछ दिन पहले पूछा था तब उन्होंने कहा कि जैसा करना है कर लो।मैंने हां ही समझी।”

अब तो बात का बतंगड़ बनना था।अब उमेश ने जब अपने कानों से सुना ,तब उसे यकीन हुआ कि कैसे मां और भाभी नीना पर सवार हो जाती है। फिर उमेश ने कहा-” दीदी आज मैंने सब सुन लिया मैं नीना को ही बोलता था ,दीदी कभी ग़लत नहीं हो सकती है पर आज तो आप ही मां भड़का रही हो। उसे याद है कि कल सालगिरह है ,पहले से तैयारी कर रही हैं तो क्या ग़लत है?ये घर भी उसका है वो जो चाहे कर सकती है यह हमारी फैमिली का हिस्सा है।अब मैं और रोक टोक बर्दाश्त नहीं करुंगा।”

आज नीना की आंखों में ख़ुशी के आंसू बहने लगे उसे लगा कि उसके पति ने उसके लिए बोला  – यही सालगिरह का तोहफा है। क्योंकि जब पति को बताने पर एहसास नहीं होता था।पर आज उन्होंने खुद सुना तो समझ आ गया कि दीदी ही मां को भड़काती है।अब उन्हें यकीन हुआ।

आज ननद रानी की बोलती बंद हो गई।अब मां भी कुछ नहीं बोल पाई।

क्योंकि बेटे को अपने खिलाफ नहीं देखना चाहती थी।अब ननद ने सोचा भाई भी मेरे कहे में नहीं रहने वाले हैं।वह भी चुप रह गई।

इस तरह  उसने मायके में दखल देना बंद किया। क्योंकि जब तक पति अपनी बात न समझे तो हम अपने आप को कमजोर ही महसूस करते हैं। हमें  सब कुछ बर्दाश्त भी करना पड़ता है चाहे गलती हो या न हो। इसलिए स्वाभिमान पर जब ठेस लगे तो अपने लिए ऐसे कदम उठाने चाहिए।ताकि आत्मसम्मान बना रहे। और आप हमेशा ग़लत साबित न हो पाओ।

दोस्तों-ससुराल में आत्मसम्मान बनाए रखने के लिए स्वयं भी पहल करनी पड़ती है, स्वयं अंदर‌ ही अंदर कुढ़ते रहते से कुछ नहीं होता, बल्कि स्वाभिमान को ही चोट पहुंचती है।

दोस्तों- आप सबको ये रचना कैसी लगी ,कृपया अपने विचार और अनुभव शेयर करें। रचना पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य व्यक्त करें और मुझे फालो भी करें।

आपकी अपनी दोस्त ✍️

अमिता कुचया

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