समझौता – नीलम शर्मा : Moral Stories in Hindi

अब नहीं मानसी का आज बारहवीं का परिणाम आया था। उसने अपनी मेहनत से स्कूल में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। उसके पापा गांव में खेती करते थे। इससे आगे पढ़ने की सुविधा गाँव में नहीं थी। सभी गाँव वाले बधाई देने आ रहे थे। मानसी के मम्मी-पापा अपनी बेटी की सफलता पर खुश थे। 

मानसी के पापा उसे आगे पढ़ाना चाहते थे। लेकिन समस्या थी शहर में भेजने की। फिर उनके मन में ख्याल आया, क्यों ना वह आगे की पढ़ाई के लिए मानसी को अपने छोटे भाई के पास छोड़ दें। मानसी की मम्मी ने भी कहा कि हां किसी अपने के पास रहेगी तो हमें भी चिंता नहीं रहेगी। 

जब मानसी के पापा ने अपने भाई से बात की तो वे तुरंत मान गए। मानसी को एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिल गया। वह चाचा के साथ शहर आ गई। मानसी की चाची गांव की रहने वाली एक सीधी-सादी औरत थी। जो अब तक भी शहर के अनुरूप अपने आप को नहीं ढाल पाई थी। उनके कोई बच्चा भी नहीं था। मानसी के आने से वह बहुत खुश थी। 

मानसी सुंदर और खुशमिजाज थी। वह चाचा और चाची से खूब हंसी मजाक करती। चाची की घर के कामों में भी मदद करती। 

इधर कुछ दिनों से मानसी को चाचा का व्यवहार बदला-बदला सा नजर आ रहा था। वह महसूस कर रही थी कि चाचा उसे अजीब सी गहरी नजरों से देखते हैं। कभी-कभी तो वह असहज सी हो जाती। पर फिर भी वह सोचती कि वह तो चाचा हैं। शायद उसे वैसे ही लग रहा होगा। 

    लेकिन एक दिन जब वह चाचा के लिए चाय लेकर गई, तो उन्होंने उसके हाथ को छुआ। मानसी को उस छुअन में पिता जैसा अपनापन महसूस नहीं हुआ। अब उसे चाचा से डर सा लगने लगा। वह उनके पास जाने से बचने लगी। 

इस कहानी को भी पढ़ें: 

भोर का उजाला – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

उसने एक दिन अपनी मम्मी से अपने मन की शंका बताई। तो वह बोली तू पागल है क्या। चाचा कोई गैर नहीं है। मम्मी कैसे समझाऊंँ मैं आपको। जिस गलत का एहसास एक छोटी बच्ची को हो जाता है। भला मुझे क्यों नहीं होगा। 

उसकी मम्मी ने उससे कह तो दिया। लेकिन जब से मानसी ने अपनी मम्मी से चाचा के व्यवहार के बारे में बताया था। उन्हें भी एक अंजाना सा डर सता रहा था। किसी पर विश्वास करना अच्छी बात है। लेकिन अंधविश्वास किसी पर भी नहीं करना चाहिए। एक दिन बातों-बातों में उन्होंने मानसी के पापा से बात की। तो वे गुस्सा होकर बोले। कैसा गंदा सोच रही हो तुम मेरे भाई के बारे में। मुझे उस पर पूरा विश्वास है। अपने पति के गुस्से को देखकर वे चुप हो गई। 

उधर मानसी को चुप देख उसके चाचा का हौंसला बढ़ता ही जा रहा था। मानसी की चाची को एक दिन अपने घर जाना था। जब उन्होंने मानसी को बताया तो वह घर में अकेले रहने को मना करने लगी। चाची बोली बेटा डरने की क्या बात है। तुम्हारे चाचा तो यही रहेंगे। मानसी ने मन ही मन सोचा। यही तो डरने की बात है। चाचाी के घर जाने के बारे में मानसी ने अपनी मम्मी को बताया। वह बोली तू चिंता मत कर। कोई हो या ना हो तेरी मां तेरे साथ है। अब समझौता नहीं होगा। पर हां तू वहां मत बताना कि मैं आ रही हूंँ। ठीक है मम्मी। 

जिस दिन मानसी की चाची गई। उस दिन उसकी मम्मी वहाँ पहुँच गई। उसके चाचा ने समझा मानसी अकेली होगी। तो दुकान पर से जल्दी आ गए। मानसी बैठी हुई टीवी देख रही थी। जाकर पीछे से उसे पकड़ लिया। मानसी ने उन्हें पीछे धकेला। और बोली मैं अपने घर बता दूँगी। कौन यकीन करेगा तुझ पर। 

मैं करूँगी अपनी बच्ची पर यकीन। मानसी की मम्मी गुस्से से बोली। और उनको दो थप्पड़ जड़ दिए। भाभी आप मैं तो मजाक कर रहा था। हमने तुम पर विश्वास किया। लेकिन अब मैं सबको तुम्हारा घृणित चेहरा दिखाऊँगी। 

नहीं भाभी मुझे माफ कर दो। समाज, रिश्तेदार सब क्या कहेंगे। यह सब तुमने पहले नहीं सोचा। मानसी की मम्मी ने उसके पापा को बुलाया और सारी बात बताई। उसकी चाची भी आ गई। सभी ने मिलकर पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी। उसकी चाची ने भी कहा ऐसे इंसान का समाज में रहना समाज के लिए खतरा है। मानसी अपने मम्मी पापा के साथ घर वापस आ गयी। वह चाची को भी अपने साथ ले आई। कुछ समय बाद उसके मम्मी पापा ने उसे कॉलेज के हॉस्टल में ही कमरा दिलवा दिया।

नीलम शर्मा

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!