समझ के रिश्ते – रेणु सिंह : Moral Stories in Hindi

एक छोटी सी बात का बतंगड़ बना दिया है तुम दोनों ने,

सविता जी ने अपने बेटे सुजीत और बहू शिखा को 

डांटते हुए कहा 

कई दिनों से तुम दोनों को देख रही हूं ना एक दुसरे से बात कर रहे हो और ना ही एक दुसरे की तरफ़ देख रहे हो 

हमे भी तो पता चले ऐसा क्या पहाड़ टूट पड़ा है तुम दोनों पर ,,,,

दोनों पति पत्नी ने एक दुसरे को देखा और चुपचाप वहां से जाने लगे मगर आज तो सविता जी ने भी 

सोच ही लिया था कि जो भी बात है वह पता कर के रहेगी 

रुको 

कोई कही नहीं जाएगा 

दोनों वापस मुड़े और एक दुसरे की तरफ देखते हुए खड़े हो गए 

बैठो दोनों 

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बिना कुछ बोले वो बैठ गए 

अब बताओ,क्या दिक्कत है 

सुजीत तू बता क्या बात है 

बात क्या होगी मम्मा 

ये आपकी बहू किसी को अपने आगे समझती क्या है 

बस खुद की बात सही लगती है इसे 

मुंह बनाते हुए बोला और साथ ही गुस्से में शिखा को देखते हुए चुप हो गया 

बहू तू भी कुछ बोल 

आखिर बात क्या है 

मैं क्या बोलूं मम्मी जी 

मेरी सुनता ही कौन है इस घर में ,

जिसे देखो मुझ पर अपनी इच्छा थोप कर चला जाता है 

ये बातों को गोल गोल घूमना बंद करो तुम दोनों

अब तो सविता जी भी परेशान हो गई थी 

अरे कुछ नहीं मम्मी,

इस के भाई के लड़का हुआ है ना तो ये जाना चाहती है 

मैने कहा कि जाओ और दो दिन में वापस लौट आओ

मगर इस महारानी को तो भाभी का जापा निकालना है 

15 ,20 दिन वहां रहने की बोल रही है 

अब आप ही बताओ 

इतने दिन ये वहां रहेगी तो फिर यहां घर कौन संभालेगा आपकी भी तबियत ठीक नहीं है 

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सुजीत ने कहा और शिखा के चेहरे की तरफ देखने लगा 

मेरी भाभी की पहली जच्चकी है मैं अकेली ननद हूं 

आप तो जानती ही हैं मेरी मां कितने समय से बीमार है बुजुर्ग है उन से ज्यादा काम होता नहीं है 

भाई को भी अपनी जॉब देखनी होती है वो भी ज्यादा छुट्टी नहीं ले सकता

इनको समझा रही हूं पर ये है कि सुनने को ही तैयार नहीं 

कहते कहते शिखा का गला भर आया 

अपनी बेबसी पर वो करे भी तो क्या उसकी समझ से बाहर था 

सुनीता जी ने दोनों की बाते सुनी और कुछ देर सोच विचार करने लगी 

हूं…..तो यह बात है 

बहू तू इस से क्या बात कर रही थी मुझ से बात करनी चाहिए थी 

शिखा चुप रही आखिर चार महीने में वो इतना कितना ही अपनी सास ननद से खुल पाई थी जो अपने मन की बात उन से कर पाती 

कुछ संकोच और कुछ डर कि कही मुझे गलत न कह दे या कुछ बाते ही सुना दे 

बस यही सोच कर शिखा हिम्मत नहीं कर पाई 

सविता जी ने अपना फोन निकाला और अपनी समधन का नंबर लगा दिया 

दो बार घंटी बजते ही उधर से कॉल रिसीव हो गया 

सारी बातें सुजीत और शिखा दम साधे सुन रहे थे 

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ठीक है बहन जी राधे राधे 

कह कर जब सविता जी ने फोन रखा तो दोनों उत्सुकता से उनकी तरफ देखते हुए मिले 

ऐसे क्या देख रहे हों 

तुम दोनों की परेशानी का हल निकाल लिया है 

रजनी कल सुबह यहां आ जाएगी और कल शाम को तुम शिखा को उसके मायके छोड़ आना 

जब तक रजनी है ठीक है जब वो जाएगी तो हम दोनो मिल कर सब संभाल लेगे सुजीत की तरफ देखते हुए अपनी बात पूरी की ।

सुजीत कुछ कहना चाहता था उस से पहले ही सविता जी बोली, 

जब एक लड़की अच्छी बेटी होगी तब ही वह एक अच्छी बहू बन पाती है 

आज हम इसका साथ नहीं देगे तो यह छोटी छोटी बातें ही शिखा के मन में गहरी खाई बना लेगी जो फिर कभी नहीं भर पाएगी 

शिखा ने कुछ नहीं कहा वो अपनी जगह से उठी और अपनी सास के गले लग गई 

आज उसे महसूस हो रहा था कि वह पत्नि तो कब की बन गई थी आज सही मायनों में बहू और भाभी बन पाई है जो  अब सच्चे मन से अपने रिश्तों को निभाना चाहती हैं ।

#पत्नी तो कब की बन गई थी बहु और भाभी अब नहीं 

© रेणु सिंह राधे ✍️ 

कोटा राजस्थान

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