सबसे बड़ा दान ( अन्न दान) – ऋतु गुप्ता

आज रवि बहुत जल्दी में था, उसे ऑफिस से निकलने में समय ज्यादा हो चुका था। उसे अपनी बेटी आर्या के जन्मदिन के लिए केक का ऑर्डर देना था, जो 2 दिन बाद है।उसने अपनी बेटी से वादा किया था कि इस बार उसके जन्मदिन को यादगार बना देगा।

 वह नहीं चाहता था कि उसकी बेटी भी उन चीजों का सामना करें जो उसने बचपन में तकलीफ उठाई है, यही सब सोचते सोचते वह ऑफिस से निकल गया, उसने एक बड़े से रेड वेलवेट केक का ऑर्डर दिया और घर के लिए निकल गया, अचानक रास्ते में उबड़ खाबड सड़क पर उसकी गाड़ी खराब हो गई।

  वह गाड़ी से उतरा लेकिन आस पास कोई दुकान नहीं थी,उसने मैकेनिक को फोन किया और कहा कि वही आकर उसकी गाड़ी सही कर दे। मैकेनिक को आने में थोड़ा समय था, इसलिए वो गाड़ी लॉक कर के थोड़ा आगे बढ़ा ।

तभी उसने देखा कि दो बालक एक समारोह से बची प्लेटो से झूठा भोजन उठा उठा कर खा रहे हैं।वहीं पास में कुत्ते भी उसी भोजन पर लगे हैं, यह सब देख कर उसकी आत्मा ने उसे झकझोर कर रख दिया,कि क्या यही है आज का विकसित समाज जहां आज भी भूख की वजह से इंसान और जानवर में कोई अन्तर नही …

दोनो एक साथ ….. झूठा भोजन….

 उसे उसका बचपन याद आ गया कि किस तरह भूख ने उससे उसकी छोटी बहन को छीन लिया और आज जब ईश्वर की कृपा से वह हर तरह से समर्थ है तो वह क्यों भूखे बच्चों के लिए कुछ नहीं कर सकता ,दूसरी तरफ झूठी शान शौकत और दिखावे के लिए वह अपनी बेटी की जन्मदिन पर इतना फिजूल खर्च करने वाला है।

  उसकी आत्मा उसे धिक्कारती है वह उल्टे पांव ही लौट जाता है और गाड़ी में रखे उसके दोपहर के खाने का टिफिन लाकर उन बच्चों को देता है, और मन ही मन फैसला करता है कि जन्मदिन तो यादगार होगा लेकिन कुछ अलग तरीके से …

.वह घर जाकर अपनी पत्नी और बेटी को बताता है कि कैसे हमें जन्मदिन मनाना चाहिए ।भले ही हम समर्थ हैं लेकिन जो कुछ भी हमारे पास है उस पर सबका हक है




 भूख सबसे बड़ी चीज है…

 भूख सबसे बड़ी जरूरत है …

 भूखे को रोटी सबसे बड़ा दान है …

हमें सबसे पहले यह देखना चाहिए कि हमारे आस पास कोई भूखा न रहे और हम सभी को अपनी सामर्थ्य अनुसार जरूर मदद करनी चाहिए। सिर्फ दिखावे के लिए नहीं , सिर्फ सोशल मीडिया पर फोटो डालने के लिए नहीं,हमें मदद इस तरह करनी चाहिए कि एक हाथ से दूसरे को भी पता न चले।

उसके इस फैसले से उसकी पत्नी और बेटी दिल से खुश होते हैं और जन्मदिन कुछ अलग तरीके से मनाने का फैसला करते हैं और सचमुच अबकि बार उसकी बेटी का जन्मदिन यादगार रहा।

 जब उसने वह केक और खाने के पैकेट उन छोटे बच्चे बच्चों में बांटे तो ,जब वह लौटा तो उसका दामन उन भूखे बच्चों की दुआओं से भरा था …. दिल सुकून से।

#दिखावा 

ऋतु गुप्ता

खुर्जा बुलंदशहर

उत्तर प्रदेश

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