सबक (भाग 2) – लतिका श्रीवास्तव : hindi story

आपने इस दीप कोचिंग के बारे में सुना है..!उन्होंने जैसे ही अपने पति सुमेर से पूछना चाहा वो झुंझला गए..अब आपको भी ये कोचिंग का रोग लग गया …मेरी समझ में नहीं आता कोचिंग क्यों जाना है इतना महंगा स्कूल है जहां चिराग का एडमिशन कराया है सभी टीचर्स अच्छा पढ़ाते हैं फिर घर पर मैं भी उसे पढ़ा देता हूं कोचिंग की आवश्यकता ही क्यों है शोभा जी..!!बोर्ड क्लास है तो क्या हुआ अभी तक जैसे पढ़ाई कर रहा था वैसे ही उसे करने दीजिए..!




….वैसे ही क्यों करने देंगे!!बोर्ड की पढ़ाई के लिए विशेष ध्यान तो देना ही पड़ेगा…. उसके सारे दोस्त जाते हैं वहां आज सुबह मुझे राकेश जी मिले थे वही जो आपके ऑफिस में ऑपरेटर है …बताओ उनका बेटा तक वहां जाता है और आप ऑफिस के बॉस हो हेड हो आपका बेटा किसी भी कोचिंग में नहीं जाता…कितने अफसोस की बात है हम कैसे मां बाप हैं जो अपने बेटे की सुदृढ़ शिक्षा दीक्षा के लिए कोई यत्न नहीं करते दुनिया कहां जा रही है और हम वही पुराने तरीको की दुहाई देते अकर्मण्य से बैठे हैं…लानत है आप पर बाहरी दुनिया के संपर्क में रह कर भी आपको बेटे की कोई चिंता नहीं है…शोभाजी का आक्रोश और वेदना चरम सीमा पर थी।

अरे मम्मी आप दुखी मत हो पापा भी क्या करें दीप कोचिंग की फीस बहुत ज्यादा है सर्वाधिक महंगा कोचिंग इंस्टीट्यूट है वो शहर का इसीलिए पापा मना कर रहे होंगे…चिराग को भी जैसे अपनी मम्मी को सांत्वना देने के बहाने पापा के प्रति अपने दिल की भड़ास निकालने का सुनहरा अवसर सायास ही सुलभ हो गया था।

कोई महंगा वहंगा का बहाना ढूंढने की जरूरत नहीं है इतना कमाते हैं किसके लिए ..फिर पढ़ाई लिखाई में ही तो खर्च करने की बात हो रही है….अरे जब मेरा बेटा नौकरी करेगा तो तुम्हारा एक एक पैसा लौटा देगा क्यों बेटा ठीक है ना!!

हां हां ब्याज सहित लौटा दूंगा …चिराग ने तुरंत अपनी मां की बात का समर्थन करते हुए कहा।

बिचारे सुमेर जी!!सच में पति नामक ये प्राणी कई बार कितना निरीह हो जाता है…यही सोच रहे थे।




देखो ये फीस की बात कहां से आ गई मैं तो जरूरत की बात कर रहा हूं..बोर्ड परीक्षा को हौव्वा मत बनाओ…दिखावे के लिए या अपने स्टेटस की झूठी शान के लिए कोचिंग भेजना मैं सही नहीं समझता…सुमेर जी ने अपना तर्क दे तो दिया पर मां बेटे की जिद के सामने एक नहीं चली उनकी ….उसी दिन शाम को दीप कोचिंग जाकर चिराग का एडमिशन बेदिली से करवाना ही पड़ा।

चिराग और शोभा जी तो उस दिन ऐसे फूले नहीं  समा रहे थे जैसे आज ही रिजल्ट आ गया हो और चिराग ने टॉप कर लिया हो… कोई खजाना उनके हाथ लग गया हो….अब देखना मेरे बेटे का बोर्ड रिजल्ट …टॉप तो यही करेगा …पूरे मोहल्ले में गुलाबजामुन बाटूंगी देखना और वो कमला के घर तो पूरा एक डिब्बा भिजवाऊंगी उसका बेटा विपुल चिराग के साथ ही  है ना!! क्लास में सबसे होशियार है !!अब कैसे रहेगा होशियार!! कोचिंग तो जा नहीं सकता कहां से लाएगा इतनी फीस के रुपए…वो तो निर्धन कोटा से चिराग के स्कूल में उसका एडमिशन हो गया तो चिराग से ही बराबरी करने लगी है।

लेकिन वो बराबरी कहां करती है वो तो हमेशा चिराग की तारीफ ही करती रहती है केवल चिराग के साथ बैठ कर पढ़ाई करने को जोर देती है ….विपुल अच्छा विद्यार्थी है उसके घर में पढ़ाई का माहौल ही नहीं है इसीलिए तो कमला चाहती है कि वो यहां चिराग के साथ पढ़े और मुझसे भी समझता रहे…सुमेर जी का मन विपुल के प्रति करुणा से भर गया था…कितना विनम्र शांत और सीधा बच्चा है वो बरबस ही उनके मुंह से निकल आया था….




हां पर  मुझे वो विपुल फूटी आंख नहीं सुहाता …मैं बिल्कुल नहीं चाहती मेरा बेटा विपुल की संगत में रहे उसके साथ पढ़ाई लिखाई शेयर करे….आज से उसका यहां आना बंद….शोभा जी पता नहीं क्यों विपुल से इतना चिढ़ रही थी!!

शोभा जी आप इस तरह की बातें कर रही हैं!! बच्चों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना रहनी चाहिए किसीको नीचा दिखाना या तुच्छ साबित करना पढ़ाई का उद्देश्य नहीं होना चाहिए …विपुल भी होनहार है पर सुविधा विहीन है अगर वो  हमारे घर में आकर पढ़ना चाहता है  मुझसे कुछ सीखना समझना चाहता है तो इसमें आपको आपत्ति नहीं होनी चाहिए…सुमेर जी सहसा कुछ आक्रोश में आ गए थे ये भांप कर शोभा जी थोड़ा संभल गई … हां मुझे कोई आपत्ति नहीं है आपसे पढ़े यहां बैठ कर पढ़े ….चिराग के साथ तो अब पढ़ नहीं सकता क्योंकि चिराग तो अब कोचिंग ही जाया करेगा….तेजी से कहती हुई वो वहां से चली गईं थीं।

विपुल प्रतिदिन स्कूल से आते ही चिराग के घर आ जाता था चुपचाप घंटो पढ़ता रहता था ….अक्सर सुमेर जी से अपनी समस्याएं पूछ लेता था….सुमेर जी उसकी लगन और ध्यानकेंद्र से बहुत प्रभावित रहते थे लेकिन अपने बेटे चिराग बदलते हुए  हाव भाव से बहुत चिंतित रहते थे….




कोचिंग जाने के बाद से तो चिराग को घर में कभी पढ़ाई करते उन्होंने देखा ही नहीं था….स्कूल से आते ही कोचिंग जाने के नाम से वो निकल जाता था और देर रात घर वापिस आता था…उनके टोकने पर शोभा ने बताया था वो दोस्तों के साथ पढ़ाई करने जल्दी जाता है तीन चार दोस्त हैं जो वहीं कोचिंग में एक रूम में बैठ कर नोट्स बनाते हैं होमवर्क करते हैं…फिर कोचिंग के टाइम पर क्लास अटेंड करते हैं….

स्कूल में होने वाले टेस्ट्स भी बेमन से देता था कि कोचिंग के टेस्ट ज्यादा महत्वपूर्ण हैं….स्कूल वालों को तो पढाना ही नहीं आता है …..स्कूल जाने के बजाय कोचिंग जाने को ज्यादा महत्व देने लगा था चिराग!

सुमेर काफी चिंतित रहते थे …कोचिंग इंस्टीट्यूट अपना कारोबार कर रहा था ….अपने बच्चों को टॉप करवाने की अंधी महत्त्वाकांक्षा और ऊंची फीस देकर वहां एडमिशन करवाने की आपसी प्रतिस्पर्धा की दिखावे की ललक अभिभावकों को उस अति महंगे कोचिंग इंस्टीट्यूट की ओर प्रबलता से खींच रही थी…!

हमारा बच्चा या बच्ची भी कोचिंग जाते हैं ये भाव उन्हें अपने अभिभावक के कर्तव्यों को दक्षता से पूर्ण करने की गहरी आत्मसंतुष्टि दे रहा था…..शोभा जी पूर्णतया निश्चिंत और इतनी आशान्वित थी कि इस बार चिराग ही टॉप करने वाला है …. कि आज रिजल्ट के बाद बंटवाने को गुलाबजामुन भी उन्होंने मंगवा लिए थे…..

पूजा खत्म करके गुलाबजामुन का भोग सबसे पहले भगवान जी को लगाने की तैयारी ही कर रही थी कि अचानक चिराग तेजी से घर में घुसा और अपने कमरे में घुस कर अंदर से दरवाजा बंद कर लिया..जब तक शोभाजी कुछ समझ पाती तब तक व्यथित से  सुमेर आ गए ..” चिराग की सप्लीमेंट्री आई है मैथ्स में…”जैसे धमाका सा किया उन्होंने..!




शोभा जी सन्न्न रह गईं थीं..ऐसा कैसे हो सकता है मेरे बेटे के साथ जरूर कुछ गड़बड़ हुआ है उसकी कॉपी फिर से चेक करवानी पड़ेगी…..वो तो कितनी ज्यादा पढ़ाई करता था कोचिंग भी जाता था…फिर भी…. अविश्वसनीय सत्य यही था ।तब तक विपुल आ गया .”आंटी जी अंकल जी….आप लोगों के कारण ही आज मेरी टॉप पोजीशन आई है कहते हुए सुमेर और शोभा के पैर छू लिए उसने….एक झटके में ही शोभा जी को अपने सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए थे…चिराग से ज्यादा अपनी नासमझी और झूठी ज़िद की पीड़ा उन्हें हो रही थी….!रिजल्ट तो उनका आया था आज!!

चिराग स्कूल की पढ़ाई और कोचिंग की पढ़ाई और समय के साथ सामंजस्य नहीं बिठा सका था…सुमेर जी तत्काल चिराग के बंद कमरे को खुलवाने में लग गए थे ….बाल हठ को आज सबक मिल गया था परंतु अब और कोई  हादसा नहीं होने देंगे..!

शोभा जी ने बहुत प्यार से चिराग को अपने पास बुलाया और गुलाब जामुन की वो प्लेट जो भगवान के भोग के लिए लगाई थी उसके हाथ में देकर…. विपुल को खिलाने को कहा…गलती हो गई मुझसे बेटा …अब इस गलती को सुधारने की जिम्मेदारी भी मेरी ही है  लो विपुल को अपने हाथ से गुलाबजामुन खिलाओ….और हां विपुल… ये सारे गुलाबजामुन कमला को मेरी तरफ से पूरी कॉलोनी में बांटने बोल देना आखिर हमारा विपुल टॉप किया है…!इस बार हमारा चिराग फिर से मेहनत करेगा और….आगे के उनके भीगी आवाज में रूंधे शब्दों को जल्दी से पकड़ के सुमेर जी ने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा …अपने पापा से भी पढ़ेगा … और बहुत बढ़िया रिजल्ट लाएगा..!

तब तक विपुल ने रोते हुए  चिराग को गले से लगा लिया था… भाई रोने का टाइम नहीं है… कोई बात नहीं इस बार फिर से हम साथ पढ़ेंगे और  इस बार तुम्हीं टॉप करोगे मुझे विश्वास है।




(आप सभी से विनम्र अपील है परीक्षा कोई भी हो शांत रहे धैर्य से सही रास्ते तय करें दूसरों का अंधानुकरण करने से बचें और अपने बच्चों पर पढ़ाई का या टॉप ही करने का अतिरिक्त दबाव डालने से बचें)

ये कहानी पूर्णतया मौलिक और अप्रकाशित है कहानी में वर्णित चरित्र या नाम पूर्णत: काल्पनिक हैं।

 समाप्त

लतिका श्रीवास्तव 

 

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