“रिश्तों के रंग–पैसों के संग” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

गोपाल जी की शानदार हवेली हजारों लाखों रंग बिरंगी लड़ियों की रोशनी से जगमगा रही थी!ठंडी हवा के साथ उड़ती फूलों की खुशबू फिजा में  नशा सा घोल रही थी!

सरसराते लहराते रेशमी दुपट्टे,हीरे जवाहरातों की नुमाईश करते मेहमानों की आवाजाही तैयारी में चार चाँद लगा रही थी!

मेहमानों को लेकर लंबी लंबी एक से एक मंहगी गाडियां गेट के अंदर आ जा रहीं थी!

अंदर कहीं मेंहदी लग रही थी कहीं ढोलक की थाप पर चचेरी-ममेरी बहनें थिरक रहीं थी!

पूरा घर खुशी के रंग में रंगा था होता भी क्यों ना!गोपाल जी की इकलौती बेटी गुनगुन का ब्याह जो था!

अपनी लाडली के ब्याह में गोपाल जी पैसा पानी की तरह बहा रहे थे!वे इस ब्याह में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते थे!

वे शान से गर्दन तान कर कहते “अपनी गुनगुन की शादी ऐसी धूमधाम से करूंगा कि लोग सात पुश्तों तक याद करेंगे!

गोपाल जी ने रिश्तेदारों और मेहमानों के ठहरने का इंतजाम उनकी हैसियत के हिसाब से कर रखा था!

पैसे वाले अमीर मेहमान पांच सितारा होटल में और कम हैसियत वाले मेहमान घर ही ठहराऐ जाने थे!

अमीर मेहमानों के लिए अलग अलग कारों का भी बंदोबस्त था!

गोपाल जी की पत्नि सुमन साधारण घर से आई थी!सुंदर होने के कारण गोपाल जी के घरवाले अपने से कम हैसियत वाले घर की लड़की से ब्याह करने को राजी हो गए थे!

सुमन का बड़ा भाई नमन बैंक में था !उसने तीन कमरों का एक फ्लैट बैंक से लोन लेकर खरीद लिया था!उसकी बंधी बंधाई तनख़्वाह में उसका गुजारा हो जाता था!दो महीने पहले उसने अपनी बेटी सिया का ब्याह किया था!

छोटे भाई पवन का अपना अच्छा खासा बिज़नेस था!वह ठाठ से अपने बंगले में रहता!पैसों के गुरूर में उसे बड़े भाई भाभी का भी लिहाज नहीं रहता!

दोनों भाई जब भी मिलते पवन बड़े भाई को अपने से कमतर होने का ऐहसास कराऐ बिना ना चूकता!

गोपाल जी के साथ रहते रहते सुमन की सोच भी उनकी और पवन जैसी हो गई थी!वह भी बड़े भाई भाभी को जब तब ताना देने से पीछे ना हटती!

जब गोपाल और सुमन मेहमानों के ठहराने की लिस्ट बना रहे थे तो

सुमन के भाईयों की बारी आई  गोपाल जी बोले पवन पांच सितारा होटल में और नमन घर पर ही रुक जाऐंगे!सुमन ने भी हां में हां मिला दी!

सुमन के भाईयों की तरफ से भात की रस्म होनी थी!वह कहने लगी”पवन भैया तो खैर भात में ब्रांडेड सामान लाएंगे! नमन भैया ऐसा वैसा कुछ देकर ससुराल में मेरी किरकिरी करवा कर ही मानेंगे!मुझे तो उन्हें खड़े करने में भी शर्म आऐगी!

वो दोनों तो कपड़े भी ढंग के नही पहनते मैने इसीलिए भाभी और भैया के लिए हर फंक्शन के कपड़े मंगा दिये हैं! अपनी इज्ज़त तो रखनी पड़ेगी ना!”

तभी गेट के अंदर एक ऑटो आने की कोशिश कर रहा था तो दरबान ने उसे रोका”अरे कहां चले जा रहे हो बाहर ही रुको!तब उसमें बैठे नमन ने कहा हम मेमसाहब के भाई हैं!”दरबान ने हिकारत से देखा और मुंह बिचका कर अंदर आने दिया!

बाहर बरामदे में गोपाल जी किसी से बात कर रहे थे!जैसे ही नमन ने उनसे हाथ मिलाना चाहा उन्होंने पास खड़ें नौकर को कहा इनका सामान पीछे वाले गेस्ट रूम में रखवा कर इन्हें अंदर पहुंचा दो !

गोपाल जी ने घर आए मेहमान का अभिवादन स्वीकार करने की जहमत नहीं उठाई!

कमरे में पहुंच कर जब बहुत देर तक कोई नहीं आया तो सुमन की भाभी सीमा खुद ही टहलती हुई सुमन के कमरे में चली आई!

सुमन देवरानी जेठानियों के साथ गुनगुन और उसके सास-ससुर को देने वाले सामान की नुमाईश लगाए बैठी थी!

सीमा को देखकर सुमन ने फीकी सी हंसी के साथ भाभी को नमस्ते की और धीरे से बोली “भाभी अपना नहीं तो हमारा ही ख्याल कर लेती कोई ढंग की साड़ी तो पहन आती!और हमेशा की तरह भैया ऑटो में चले आए होंगे!अरे आज तो टैक्सी कर लेते कम से कम इतने रिश्तेदारों के सामने हमारी नाक तो ना कटती!उन्हें तो पता है ना हमारा सोशल सर्कल कितना हाई फाई है!आप लोगों से समझदार तो छोटे भैया हैं”!

सीमा ने खिसिया कर कहा”दीदी!ट्रेन में रात को बाकी साडियां तो मुस जाती इसलिए ये सिंथेटिक साड़ी पहन ली!”

“अब जाईये!ये कपड़े ले जाईये नहा धोकर पहन लीजिए “

मुंह सिकोड़कर सुमन  बोली.

तभी गुनगुन भागती आई और सीमा से लिपट कर बोली”मामी!मैं आपका ही इंतज़ार कर रही थी और सुमन के मना करते करते सीमा को अपने कमरे में ले गई! गुनगुन बचपन से ही सीमा से बहुत प्यार करती थी!

सुमन को गुनगुन का सीमा के साथ घुलना मिलना बिलकुल पसंद नहीं था!वह हर चीज को पैसे के तराजू पर तौलती! रिश्ते नातों का उसके लिए कोई मोल नहीं था!

सीमा के सुमन से पूछने पर कि कोई काम तो नहीं सुमन तिनक कर बोली”भाभी !तुमने तो बिट्टी के ब्याह में एक दडबे से कमरे में ठहरा दिया था जहां लगता था कहां बैठो कहाँ तैयार हो!वो तो इन्होंने होटल में इंतजाम कर लिया था तब कहीं जाके चैन आया था!

और मटर छिलके छीलते ही हाथ दुखने लगे थे!हमारे यहाँ किसी काम का कोई लफड़ा नहीं है !सब केटरिंग बाहर की है!

हमारे घरों में शादियाँ मिडिल क्लास लोगों की तरह काम करने को नहीं ऐंजॉय करने को होती हैं!

सुमन का बात बात पर तंज कसना और सीमा को हर वक्त यह अहसास कराना कि वे लोग सुमन से कम हैसियत वाले हैं!सुमन की सास कमला जी को बिलकुल पसंद नहीं आया! वे ध्यान से देख रहीं थी कि सुमन का व्यवहार अपनी दोनों भाभीयों के साथ अलग अलग था!कमला जी बेहद समझदार और सुलझी हुई महिला थीं!उन्होंने दुनिया देखी थी,उन्हें रिश्तों का मान रखना आता था!

रात को उन्होंने सुमन और गोपाल जी को अपने कमरे में बुलाया और समझाया कि उनको समझना चाहिए कि सुमन के पिता बहुत अमीर नहीं थे फिर भी उन्होंने बिना दान दहेज के सुमन का ब्याह गोपाल से करवाया!ब्याह के इतने दिनों बाद भी कभी कमला जी या घर के किसी भी सदस्य ने कभी सुमन को यह अहसास कभी नहीं दिलाया कि वह कम पैसे वाले घर से आई है!

सुमन के भाई हमारे मान हैं उनकी इज्ज़त करना हमारा फर्ज है!

घर आया हर मेहमान हमें जान से भी ज्यादा प्यारा होना चाहिए!

वो आकर हमारी गुनगुन को आशीर्वाद देने को खड़े हो गए हमारे लिए यही बहुत है!

गोपाल की छोडें सुमन तुम्हें तो कम से कम अपने मायके का मान रखना था ।

तुम खुद सोचो जिस तरह तुम उठते बैठते अपनी बड़ी भाभी को उनकी गरीबी का अहसास दिला रही हो अगर मैने भी तुम्हें शुरू से ऐसे ही ताने दिये होते तो आज जैसी इज्ज़त और मान सम्मान तुम्हें इस घर में मिल रहा है कभी मिलता!कभी ठंडे दिमाग से मेरी बात पर गौर करना!

हर चीज पैसे से नहीं तोली जाती!रिश्ता गरीब हो या अमीर भावना से निभाया जाता है रुपये पैसे नहीं!

रिश्तों में जब पैसे से तोल मोल होता है तब वह रिश्ता नहीं व्यापार होता है!

इन्सान की इज्ज़त पैसे से नहीं दिल से होती है!

इसे मेरा आदेश ही समझ लो!

और हमें तुम दोनों से यही उम्मीद भी है कि अब से पैसे रूपए की दीवार हटाकर सब मेहमानों का बराबरी से स्वागत-सत्कार करोगे!हमारी पोती को सबका एक जैसा आशीर्वाद मिले यही हमारी इच्छा है!

पाठकगण क्या आप कमला जी की बात का समर्थन करते हैं?कृपया जरूर बताएं!

कुमुद मोहन

स्वरचित-मौलिक

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