रिक्त स्थान (भाग 39) – गरिमा जैन

इंस्टाग्राम पर मैसेज आता है

“रूपा जी यह मेरा एड्रेस है ,तो मिलते हैं आज रात ठीक 9:00 बजे ।अकेली ही आइएगा नहीं तो सरप्राइज नहीं मिलेगा।”

इंस्पेक्टर विक्रम रूपा से “हां “लिखने को कह देते हैं ।

जिस जगह का एड्रेस उस लड़के ने भेजा था वह शहर से कुछ दूरी पर स्थित था। शहर की भीड़भाड़ चहल-पहल से दूर एक सुनसान इलाका ।

सारी तैयारियां होने लगती हैं ।रूपा के कपड़े में कैमरे फिट किए जाते हैं। माइक्रोफोन लगाया जाता है ।इंस्पेक्टर विक्रम और उनकी टीम लगभग 100 मीटर की दूरी पर ही रहेंगे जिससे उस सनकी कातिल को  शक ना हो कि रूपा के साथ पुलिस भी है। उधर जितेंद्र समीर जी से मिलने का लगातार प्रयास कर रहा था लेकिन रेखा उसे रोक देती है क्योंकि रेखा को अभी भी कहीं ना कहीं समीर जी पर शक है। वह जितेंद्र से कहती है कि जब रूपा उस कातिल से मिलने जाए तब उन्हें समीर जी पर नजर रखनी चाहिए वह कहां जाते हैं क्या करते हैं।

रूपा थोड़ी नर्वस है ।ऐसे तो उसने अपनी सुरक्षा के लिए पर्स में मिर्च वाला स्प्रे रख रखा है और वह नियमित रूप से योगा भी करती है जिससे उसका शरीर लचीला और मजबूत भी है लेकिन फिर भी जिस तरह से उस कातिल ने लड़कियों को मारा पीटा है इस से वह थोड़ा घबराई हुई है। कहीं पुलिस को आने में देर हो गई तो फिर कुछ भी हो सकता था ।

रूपा अपनी स्कूटी पर ही उस सुनसान सड़क पर चल देती है। इंस्पेक्टर विक्रम की जीप  काफी पीछे चल रही है और उसके पीछे जितेंद्र और रेखा है ।दो पुलिसकर्मी सादे कपड़े में समीर जी की निगरानी कर रहे हैं जिससे उन्हें शक ना हो। समीर जी इस समय एक पांच सितारा होटल में पार्टी में गए हुए हैं उनका परिवार भी उनके साथ है ।

थोड़ी ही देर में रूपा उस वीराने घर के बाहर पहुंच चुकी थी। पुलिस ने बहुत पहले ही अपनी गाड़ी सड़क किनारे रोक ली थी और घर के आसपास लगे पेड़ों के पीछे छुप के खड़े हो गए थे। रूपा की कलाई पर एक विशेष तरह की घड़ी बांधी गई थी जिसका एक बटन दबाते ही पुलिस को तुरंत अलर्ट आ जाएगा और उन्हें यह भी  मालूम पड़ जाएगा कि रूपा किस जगह पर है ।रूपा के पर्स में और कपड़ों में मोबाइल फोन छुपा के रखे गए थे जिसका जीपीएस ऑन रखा गया था ।रूपा ने एक ऐनक पहनी थी जिसमें कैमरा लगा था साथ ही उसकी शर्ट के पॉकेट में भी कैमरे फिट थे। पुलिस अपने मोबाइल पर सारी गतिविधियों को देख रही थी ।

घर अंदर से उतना पुराना नहीं है जितना बाहर से दिखाई देता है ।अंदर मध्यम प्रकाश जल रहा है। कमरे के कोने में रखा एक टेबल लैंप  पूरे कमरे में रोशनी बिखेर रहा है। दीवारों पर बड़ी-बड़ी पेंटिंग लगी है ।ज्यादातर पेंटिंग अर्थनग्न स्त्रियों की है जिन्होंने अपने तन पर फूलों की बेल लपेट रखी है। कमरे में कोई भी दिखाई नहीं दे रहा ।तभी एक आवाज आती है “ऊपर आ जाओ रूपा दाएं तरफ सीढ़ियां है”

सीढ़ियां गोलाकार होकर ऊपर जाती हैं। रूपा डरी सहमी  ऊपर चढ़ने लगती है ।कैमरे से बहुत स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा। ऊपर की मंजिल पर अधिक रोशनी नहीं है ।रूपा जब ऊपर पहुंचती है तो एक बड़ा सा खाली हाल है ।चारों तरफ बैठने के लिए सोफे पड़े हैं और  एक बड़ी सी मेज़ है ।मेज के बीचो बीच एक केक रखा है। आवाज फिर से आती है

” रूपा यह तुम्हारे लिए है”

रूपा सोफे पर बैठ जाती है ।उसके दिल की धड़कन बहुत तेज होती जा रही है।वह कहती है

” जो कोई भी हो सामने आ जाए “

उसे बहुत डर लग रहा था ।रूपा डरी हुई आवाज में पूछती है “कौन ,कौन हो तुम ?सामने क्यों नहीं आ रहे “??

आवाज फिर से आती है

“सामने तो मैं आ जाता लेकिन तुमने बहुत ,चालाकी दिखाइ। तुम अपने साथ इतने लोगों को जो ले आई हो।”

रूपा यह  सुनती है तो उसके हाथ से उसका पर्स छूट जमीन पर गिर जाता है ।

“मैं मैं किसी को नहीं लाई ,अकेली तो आई हूं “

आवाज फिर से आती है

“अकेली आई हो तो फिर नीचे पेड़ों के झुरमुट में इंस्पेक्टर विक्रम और उसकी टोली क्या कर रही है !!और तेरी प्यारी सहेली रेखा और जितेंद्र भी तो आए हैं।तुमने मेरे  साथ में बहुत गलत किया। तुमने मेरा दिल तोड़ दिया “

इतना बोला था कि हल्के कट की आवाज आती है और पुलिस को सारा वीडियो आना बंद हो जाता है। उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा ।रूपा का कैमरा बंद हो चुका है। इंस्पेक्टर विक्रम तुरंत पुलिस को इशारा करते हैं और वे उस घर के अंदर दाखिल हो जाते है। सारे रूपा का नाम लेकर उसे पुकारते हैं लेकिन कोई जवाब नहीं आता ।रेखा और जितेंद्र भी अंदर आ चुके हैं ।पुलिस हर तरफ रूपा को ढूंढ रही है लेकिन वह कहीं भी दिखाई नहीं दे रही ।रूपा का मोबाइल आउट ऑफ रीच दे रहा है ।यह कैसे संभव था?? पुलिस को समझ में नहीं आ रहा। घर में एक अजीब सी मनहूसियत फैली है। नीचे के हॉल में जहां हर तरफ लड़कियों की तस्वीरें थी वही ऊपर के कमरे में जंगली जानवरों की तस्वीरें हैं ।भेड़िए की ,चीते की, लोमड़ी की ,यह तस्वीरें बहुत ही डरावनी थी। रेखा की तो चीख निकल गई थी तस्वीरों को देखकर!!

इंस्पेक्टर विक्रम बहुत परेशान हो रहे थे ।शायद उन्होंने इस सनकी कातिल को समझने में बहुत भूल कर दी ।उन्हें और अधिक तैयारी से आना चाहिए था ।उन्हें समझना चाहिए था कि जो सनकी  इतनी लड़कियों को बेरहमी से अधमरा कर सकता है उसने पहले से ही काफी प्लानिंग कर रखी होगी ।रूपा कहीं भी नहीं थी कहीं भी नहीं…

तभी रेखा के दिमाग में कुछ कौन कौंधता  है ।समीर जी अब सिर्फ समीर जी हमारी मदद कर सकते हैं। वह H.N नाम का आदमी कौन है ??जरूर वही कातिल है!! समीर जी हमें उसके पास पहुंचा सकते हैं ।जितेंद्र जल्दी करो, विक्रम जी जल्दी करिए, कहीं देर ना हो जाए ।कहीं मेरी प्यारी रूपा…. नहीं नहीं मैं उसे कुछ नहीं होने दूंगी। हमें तुरंत समीर जी के पास आना होगा ।इंस्पेक्टर विक्रम अपनी टीम को फोन करते हैं। समीर जी अभी भी होटल में ही है। सारे समीर जी से मिलने के लिए होटल की तरफ निकल पड़ते हैं। पुलिस के 3 आदमियों को उसी बिल्डिंग में छोड़ा जाता है ।अगर उन्हें कहीं से भी कोई आवाज आए या कोई भी संदेह लगे तो वह तुरंत इंस्पेक्टर विक्रम को कांटेक्ट करेंगे ।

क्या रूपा सही सलामत बच के घर वापस आ पाएगी,??

क्या समीर जी हादसे के लिए जिम्मेदार हैं ??

क्या वही है वह सनकी कातिल ??या फिर राज कुछ और है 

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गरिमा जैन 

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