रिक्त स्थान (भाग 34) – गरिमा जैन

भारत माता की जय

रेखा ने सब को संबोधित करते हुए जैसे ही यह नारा लगाया पूरा हॉल भारत माता की जय से गूंज उठा। रेखा धीरे से मुस्कुराई।तभी किसी ने उससे एक बड़ा तीखा प्रश्न किया

” तो आप भी एक फेमिनिस्ट है??”

रेखा ने मुस्कुराते हुए बहुत अच्छा उत्तर दिया उस प्रश्न का। फेमिनिज्म क्या होता है?? बराबरी का दर्जा देना।एक औरत और  एक मर्द बराबर है ऐसा कहना। यही फेमिनिज्म है ना !!पर मुझे तो अपने पति से एक कदम पीछे चलना बहुत अच्छा लगता है ।जब भी सुनसान रास्ते पर हम जाते हैं तो मैं चाहती हूं कि मेरा पति जितेंद्र मुझ से एक  कदम आगे चले।

जब हम पहाड़ों पर घूमने जाते हैं और जितेंद्र मेरा हाथ पकड़ के मुझे कठिन रास्तों पर साथ लेकर चलते है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है ।मुझे बहुत अच्छा लगता है जब अंधेरे में मुझे सीढ़ियों से जाने पर डर लग रहा है और जितेंद्र जी मेरे लिए लाइट जला देते है।

फेमिनिज्म  बराबरी का दर्जा देना नहीं है। फेमिनिज्म है मर्द और औरत को समान रूप से इज्जत देना। आज जो घटना मेरे साथ हुई।  समीर जी जितेंद्र के भाई जैसे हैं तो मेरे जेठ हुए ।अगर आज जितेंद्र का पैर फिसल गया होता और तब समीर भाई साहब ने उन्हें संभाला होता तब भी क्या आप लोग यहां पर इस तरह के सवाल उठा रहे होते ??फेमिनिज्म है  औरत और मर्द को समान रूप से इंसान  समझना। एक औरत का पैर फिसल सकता है तो एक मर्द का पैर भी फिसल सकता है!! फिर औरत और मर्द के फिसलने को इतने अलग-अलग पहलू से क्यों देखा जाता है ।

अभी कुछ हफ्ते पहले किसी ने मेरा इंस्टाग्राम अकाउंट हैक कर लिया और मुझे अभद्र वस्त्र पहना दिए गए। मैंने अपनी निजी जिंदगी में  कितनी मानसिक परेशानी इस कारण से झेली। क्या एक आदमी के साथ ऐसा होता तो उसे भी मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता या फिर यह बात एक मजाक में उड़ा दी जाती ??

हां मैं हूं एक फेमिनिस्ट । मैं चाहती हूं कि औरत और मर्द को बराबरी का दर्जा मिले। अगर एक औरत और मर्द दोनों एक फैक्ट्री में काम करते हैं तो दोनों को एक बराबर तनखा मिले ।हमारी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी कई बार देखा गया है कि हीरो का मेहनताना  उस फिल्म में काम करने वाली हीरोइन से काफी ज्यादा होता है !!

फेमिनिज्म अगर लाना है तो बराबर वेतन देने में लाइए,  वैसे हम औरतों को तो यही अच्छा लगता है कि हमारा मार्गदर्शन करने के लिए हमारा कोई अपना हो, वह हमेशा अपनी जिंदगी में एक मर्द तलाशती है चाहे वह पिता के रूप में हो ,भाई के रूप में हो, पति के रूप में हो या पुत्र के रूप में। औरत कभी अकेला नहीं चलना चाहती लेकिन अगर उसे अकेले चलने पर मजबूर कर दिया जाता है तो वह डरने वालों में से नहीं है ।

सिर्फ भारत ही एक ऐसा देश है जिसे हम मां के रूप में पूजते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश मां को बहुत कम इज्जत दी जाती है। मैं आपके साथ एक छोटी सी कहानी साझा करना चाहती हूं। बचपन में कभी पढ़ी थी बहुत अच्छी लगी थी ।बुध भगवान के 3 शिष्य थे।तीनों शिष्य को लेकर भगवान जंगल में गए।एक शिष्य के अंदर धैर्य नहीं था ।भगवान बुद्ध ने उससे कहा कि उन्हें प्यास लगी है पीने के लिए पास के तलाब से शुद्ध पानी ले आए।

जब वह शिष्य पास के तालाब में पानी लेने गया तो उसने देखा कि बरसात के बाद तालाब का पानी बहुत मटमैला है वह शुद्ध नहीं है ,वह अपने गुरु को ऐसा पानी पीने को नहीं दे सकता ।उसे धैर्य रखना पड़ा ।वह बहुत देर तक वहीं बैठा रहा वह बिना पानी लाए वापस कैसे जाता!! गुरु की आज्ञा का पालन तो उसे करना था  ।शाम ढलने को थी ।धीरे-धीरे उस पानी की मिट्टी नीचे सतह पर बैठने लगी। वह बालक देख कर बहुत खुश हुआ और ऊपर का साफ पानी लेकर वह गुरु के पास गया। गुरु मुस्कुराने लगे ।पानी लाने में उसे कुल 5 घंटे लगे थे लेकिन व गुरु के लिए साफ पानी लेकर गया था।

आज आप सब ने मेरे चरित्र को ऐसे ही मैला करने का प्रयास किया है लेकिन मुझ में धैर्य है ।बहुत धैर्य  है ।मुझे कोई सफाई नहीं देनी क्योंकि सफाई वही देते हैं जिनके मन में चोर होता है ।मैं जानती हूं कि मैं आप सबको जवाब दे सकती हूं लेकिन अपने धैर्य से ,अपनी कामयाबी से ,अपने कठिन परिश्रम से आप सबको जवाब देना चाहूंगी।

चाहे कोई मेरे अकाउंट हैक करें या मेरे गंदी तस्वीरें बनाए मुझ पर अभद्र टिप्पणी करें मुझपर इन बातों का कोई असर नहीं पड़ता जब तक मेरा पति मेरे साथ है ।जिस दिन मैं उनकी नजरों में गिर जाऊंगी तो फिर शायद नहीं उठ पाऊंगी ।मेरा धैर्य ही आप सबको एक दिन मेरी पवित्रता का जवाब देगा ।इसके आगे मुझे कुछ नहीं कहना ।

सारे हॉल में सन्नाटा छा जाता है ।कोई भी रिपोर्टर कोई प्रश्न नहीं करता ।सबकी आंखें नीची हो जाती हैं। सच दूसरे पर कीचड़ उछालना, उसे चरित्रहीन कहना आसान है ।

तभी हॉल में ताली की एक आवाज आती है।वह  जितेंद्र था ।जितेंद्र रेखा के लिए जोर से ताली बजाता है और उसकी आंखों से आंसू छलक रहे थे। उसे अपनी पत्नी पर गर्व था।प्रेम तो उसे रेखा से बहुत पहले ही हो चुका था लेकिन आज रेखा ने जितेंद्र की नजरों में अपना स्थान और ऊंचा कर लिया था। रेखा कुर्सी पर से उठती है सब को प्रणाम करती है और अंत में फिर से नारा लगाती है

भारत माता की जय

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गरिमा जैन 

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