रिक्त स्थान (भाग 33) – गरिमा जैन

उस हादसे को बीते आज 2 हफ्ते हो चुके लेकिन उसकी कड़वी यादें आज भी रेखा की मन पर छाई रहती हैं। जितेंद्र रेखा से कुछ कटा कटा सा रहने लगा है। रेखा क्या करें!! वह समझ नहीं पाती, वह किस तरह जितेंद्र को फिर से वैसा ही हंसता मुस्कुराता बना दे ,उसके घर का माहौल फिर से कब खुशनुमा होगा उसे समझ नहीं आता  ।

हर दिन वह कुछ अच्छा होने का इंतजार करती है ।प्रार्थना करती है ,पूजा करती है और साथ ही अपनी मंजिल की ओर एक कदम भी बढ़ाती है पर यह सब इतना आसान नहीं है। जानू अपनी तोतली भाषा में रेखा से खूब बातें कर रहा है लेकिन रेखा ना जाने कहां खो गई है ।जानू बार-बार रेखा के कंधे को हिलाता है वह जैसे जताना चाहता है कि मां तुम कहां हो !!मेरी बात सुन रही हो ना!! रेखा फिर मुस्कुरा कर जानू के बालों में धीरे से हाथ फेर देती है ।

रेखा अपने सारे दायित्व तो निभा रही है लेकिन जिंदगी में कुछ अधूरा सा लगने लगा है ।जैसे शरीर से उसकी आत्मा अलग हो गई हो,जैसे फूलों से खुशबू कहीं रूठ के चली गई हो,जैसे तितलियों के रंग ना जाने कहां गायब हो गए!! जिंदगी तो है पर जिंदगी से बहार  ना जाने कहां चली गई?? जैसे किसी सुहागन की चूड़ियों की खन खन ,पैरों की पायल की रुनझुन कहीं गुम हो गई ।

आज रेखा को एक बहुत बड़े समारोह में बुलाया गया है लेकिन उसके अंदर वह पहले सा जोश नहीं जो हुआ करता था पर जिंदगी ने उसे एक खुशनुमा पल जरूर दिया ।पलंग पर एक पैकेट रखा है ।तैयार होने के लिए रेखा ने जब  पैकेट खोला तो बहुत सुंदर सी साड़ी है ,साथ में मेल खाते गहने भी है ।जितेंद्र रेखा के लिए उपहार छोड़ के चुपचाप ऑफिस चला गया था।उसे खुशी तो होती है पर उसकी खुशी में जैसे अधूरापन है, अगर जितेंद्र अपने हाथों से देता तो उसे कितना अच्छा लगता ।रेखा अनमने  मन से तैयार हो जाती है।

समारोह बहुत बड़ा है ।रेखा को नारी उत्थान समाज की तरफ से सम्मानित करने के लिए बुलाया गया है ।आज उसे वहां समिति सम्मानित भी करेगी। वहां समीर भी आएगा ।वह उन्हें धन्यवाद तक नहीं दे पाई ।समारोह मैं रेखा का नाम पुकारा जाता है उसे कुछ शब्द कहने हैं ।रेखा सीढ़ियों से चढ़कर मंच पर जा रही है लेकिन तभी सीढ़ी पर उसका पैर फिसल जाता है, वह देखती है सीधी पर कुछ चिकना चिकना सा गिरा है ।शायद तेल गिरा है ,लेकिन जब तक वह संभालती तब तक एक मजबूत हाथ उसे सहारा दे देता है। रेखा ऊपर देखती है तो समीर ने उसे अपने हाथों में थाम लिया है ।रेखा असहज महसूस करती है ।वह अपनी साड़ी संभालती है और स्टेज पर खड़ी हो जाती है लेकिन तब तक उसकी कई तस्वीरें खींच ली जाती है।

रेखा समझ नहीं पाती कि उसके साथ आगे क्या होने वाला था ।काले बादल उसकी जिंदगी पर फिर से मंडराने वाले थे। वह माइक पर चंद शब्द कहती है और वापस अपनी सीट पर बैठ जाती है ।तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठता है। आज रेखा के मन में थोड़ी सी खुशी थी ।वह बार-बार अपनी साड़ी देख रही है जो जितेंद्र उसके लिए लेकर आया है ।

शाम के 5:00 बजे रेखा  प्रफुल्लित हो घर लौटती है ।जानू मा मा कह के उससे लिपट जाता है। जितेंद्र के माता पिता टीवी पर खबरें सुन रहे हैं ।जितेंद्र के पिता तुरंत रिमोट से टीवी बंद कर देते हैं और रेखा को उनके पास  बैठेने को कहते हैं।

“देखो बेटा आज का समाज वैसा नहीं रह गया जैसे पहले के जमाने में हुआ करता था  ।आज हर तरफ तुम्हें संभल के आगे बढ़ना है क्योंकि तुम्हें उठाने वाले हाथ बहुत कम मिलेंगे लेकिन गिराने वाले हजारों मिलेंगे ।तुम्हें अपने लिए खुद आवाज उठाना सीखना होगा। तुम्हें अपनी मदद खुद करनी होगी ।कोई भी तुम्हारी मदद नहीं कर सकता जब तक तुम अपने लिए ठोस कदम नहीं उठा नहीं पा रही ।”

” पापा जी आप यह सब बातें क्यों कह रहे हैं??”

तभी जितेंद्र के पिता  टीवी ऑन करते हैं ।टीवी पर वही तस्वीर दिखाई जा रही थी जिसमें समीर रेखा को पकड़ कर उसे सहारा दे रहा है लेकिन वह तस्वीर इस तरह से प्रदर्शित की जा रही थी जिसके मायने अच्छे नहीं दिख रहे थे ।रेखा का चेहरा गुस्से से तमतमा जाता है। टीवी पर रिपोर्टर ना जाने कैसी कैसी बातें कह रहे थे ।

कोई कह रहा था कि क्या एक औरत उठने के लिए इतना भी गिर सकती है ??

तो कोई उसे चरित्र से गिरा बता रहा था ।

वह मन में सोचती है जितेंद्र को क्या जवाब देगी?? जितेंद्र कितने दिनों के बाद आज थोड़ा खुश था पर यह तस्वीर फिर से वायरल हो गई है। लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। “नेताजी अबला नारी को सहारा देते हुए “

“नेता जी ने औरतों का कल्याण किया और एक औरत नेता जी के सहारे “

रेखा का जी चाहता है वह  सबके मुंह बंद कर दे लेकिन वह कैसे करेगी ?? तभी जितेंद्र का फोन आता है वह घबरा जाती है । जितेंद्र उसे फिर से नाराज हो गया होगा लेकिन इस बार कुछ ऐसा होता है जिसकी कल्पना भी रेखा ने नहीं की थी ।जितेंद्र रेखा से कहता है कि वह तुरंत उसके ऑफिस आए ।रेखा घबराई हुई थी।वह उन्हीं कपड़ों में जितेंद्र के ऑफिस के लिए निकल पड़ती है। रास्ते भर उसके मन में हजारों बुरे ख्याल आ रहे थे ।कार में वह रूपा को फोन करती है।

रूपा रेखा के लिए बहुत चिंतित है ।वह रेखा को समझाते हुए कहती है कि किसी भी हालात में रेखा को अपना आपा नहीं खोना है ।किसी भी मीडिया रिपोर्टर पर वह न भड़के क्योंकि वह लोग यही चाहते हैं ।अगर रेखा ने गलती से भी किसी को अबशब्द बोल दिए तो फिर से उसकी यह खबर वायरल कर दी जाएगी।

जितेंद्र ऑफिस के बाहर खड़ा रेखा का इंतजार कर रहा है वहां पर कई रिपोर्टर्स की भीड़ है ।रेखा के कार से उतरते ही सब उससे अजीब अजीब से सवाल करने लगते हैं ।

“रेखा जी नेता जी से आपका क्या रिश्ता है ??

“क्या नेता जी आपको नारी उत्थान के लिए चंदा देते हैं ??

“आप क्या कहना चाहेंगी??

“क्या आप उनके सहारे आगे बढ़ना चाहती हैं ??

जितेंद्र सब की तरफ देखता है। रेखा अपनी हिम्मत बढ़ाती है और जोर से कहती है

“नो कमेंट”

वह जितेंद्र का हाथ पकड़े आगे बढ़ जाती है। जितेंद्र रेखा की तरफ देखता है ।रेखा की आंखों में विश्वास था ।उसके कदम आत्मसम्मान की रक्षा करने के लिए थे।

वह जितेंद्र के ऑफिस जाती है तो मीटिंग रूम खचाखच भरा हुआ है ।जितेंद्र ने प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी है।वह रेखा के दोनों हाथ पकड़ता है और कहता है कि”

“अगर वह अपना पक्ष आज नहीं रखेगी तो शायद जिंदगी में कभी नहीं रख पाएगी और रोज इसी तरह की तस्वीरों का शिकार होती रहेगी।”

रेखा जितेंद्र की आंखों में देख उसे आश्वासन देती है कि वह उसकी कसौटी पर खरी उतरेगी ।वह सभी प्रश्नों का उत्तर देगी और वह किसी को भी अपनी अस्मिता पर अपनी गरिमा पर आंच नहीं आने देगी

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गरिमा जैन 

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