रिक्त स्थान (भाग 32) – गरिमा जैन

आज रेखा की जिंदगी का बहुत बड़ा दिन है ।आज उसकी जिंदगी में दो दो खुशियां एक साथ दस्तक दे रही थी। जानू आज पहले दिन स्कूल जा रहा था और रेखा ने आज अपने सालों की मेहनत के बाद कंपनी खोली है। यह दो साल ना जाने पंख लगा कर कहां उड़ गए? रेखा और जितेंद्र दो जिस्म एक जान है जैसे अर्धनारीश्वर का ही रूप बन गए है।

रेखा के आने के बाद सिर्फ जितेंद्र और जानू ही नहीं ,जितेंद्र का पूरा परिवार सुख के सागर में गोते लगा रहा है। जितेंद्र की मां को याद नहीं कभी भी रेखा ने उनसे ऊंची आवाज में बात की हो। उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा देखकर जैसे उनकी उम्र 100 साल बड़  गई थी। अपना भरा पूरा घर देखकर वह फूली नहीं समाती थी।

रेखा ने अव्वल दर्जे में अपना एमबीए पूरा किया और उसने एक बड़ी अच्छी सोच के साथ अपनी कंपनी खोली ।यह कंपनी उन सब औरतों के लिए थी जो हाउसवाइफ हैं ,घर में रहती है ,ज्यादा पढ़ी-लिखी भी नहीं है लेकिन पैसे की बहुत जरूरत है। लेकिन वह पैसा कैसे कमाए यह उनके लिए बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह था ।

रेखा इस बात को बखूबी जानती थी  । पैसे की दिक्कत उसने अपने घर में भी देखी थी। वह जानती थी कि ज्यादातर हाउसवाइफ दोपहर में या शाम को कुछ घंटों के लिए खाली होती हैं। ऐसे में वह अपना हुनर दिखा कर पैसे कमा सकती हैं ।रेखा की कंपनी पहले 4 महीने ऐसे औरतों को ट्रेनिंग देगी जैसे सुंदर साड़िया बनाना,बेल बूटे बनाना,पर्स, झोले और चूड़ी बनाने की कला सीखना।या फिर हाथ से बने स्वेटर बनाना जो बहुत डिमांड में है,जो पढ़ी लिखी है उन्हे ऑनलाइन बिजनेस सिखाना ,जिसकी जिस में रुचि हो ।

इस ट्रेनिंग की रेखा कुछ भी पैसे नहीं लेगी यह सेवा निशुल्क होगी ।फिर उन औरतों को जब भी समय हो वह अपने घर में बैठकर या रेखा की फैक्ट्री में आकर अपना काम कर सकती हैं। हाथ से बने हुए सामानों की मांग देश और विदेश दोनों जगह बढ़ती जा रही है। सुंदर और बारीक कारीगरी से बनी हुई साड़ियां ,बंदनवार ,कोटि ,कुर्ते ,दुपट्टे बहुत ऊंचे दाम पर हाथों हाथ बिक जाते हैं ।इसी सोच को लेकर रेखा ने छोटी सी पहल की है लेकिन उसकी पहल को बहुत सराहा जा रहा  है ।

रेखा के ससुर के एक मित्र हैं जो राजनीति से संबंध रखते हैं और उनका बेटा समीर भी इसी राह पर आगे बड़ना चाहता है ।उसी के हाथों रेखा कि कंपनी का उद्घाटन होगा। समीर खुले विचारों का ,अच्छी सोच का लड़का है।वह  रेखा के विचारों से बहुत प्रभावित है।समीर  राजनीति में आगे चलकर अच्छा काम करना चाहता है ,देश को अच्छी राह पर ले जाना चाहता है, जितेंद्र भी समीर से बहुत प्रभावित  है ।

आज जानू के स्कूल का पहला दिन है लेकिन जानू रो नही रहा।वह बहुत खुशी-खुशी स्कूल जाने को तैयार है ।रेखा ने स्कूल जाने की उसे ढेरों अच्छाई बताई है। जानू बड़ा होकर अपने पिता जैसा बनना चाहता है जिसके लिए उसे अभी से मेहनत करनी है, स्कूल जाना है, पढ़ाई करनी है और खूब सारे दोस्त बनाने हैं

।इस प्यारी सी सोच के साथ जानू पहले दिन उछलता कूदता अपना स्कूल बैग लेकर कार में बैठता है और स्कूल के लिए रवाना होता है। जितेंद्र और रेखा दोनों उसे छोड़ने जाते हैं ।जानू को खुश देखकर रेखा उमंग से भर जाती है लेकिन उसे आने वाले दिन की चिंता है ।आज उसकी कंपनी का उद्घाटन है ।सब कुछ ठीक से हो जाए यही वह बार-बार सोच रही है। जितेंद्र उसे बार-बार संबल दे रहा है जैसे वह हमेशा से देता है ।

रेखा बहुत खुश है। उसने इस मौके के लिए खूबसूरत सी साड़ी भी तैयार कराई है। यह साड़ी हथकरघा की बनी हुई है। वह वही पहन कर आज फंक्शन में जाएगी ।जितेंद्र ने रेखा को भेंट में उसी साड़ी से मेल खाता हुआ सुंदर सा गहना दिया है ।रेखा अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए बिल्कुल तैयार है ।

उद्घाटन दोपहर में 2:00 बजे होगा ।फिर थोड़ा बहुत जलपान का इंतजाम भी किया गया है। रेखा सारे इंतजाम देखने के लिए 12:00 बजे ही वहां पहुंच जाएगी ।रेखा का साथ देने के लिए 200 महिलाएं जुड़ी है। उसमें कई महिलाएं अपने अपने कामों में बहुत निपुण है जिनको कम समय में निपुण बना दिया जाएगा लेकिन कुछ महिलाओं को ज्यादा समय लगेगा। यह सभी 200 महिलाएं रेखा का बहुत आभार प्रकट कर रही हैं। उन्हीं के बीच पली बड़ी लड़की आज उन्हें रोजगार देने के लिए प्रयास कर रही है और यह प्रयास फलीभूत हो इसके लिए सभी गणेश जी की वंदना करते हैं ।दीप प्रज्वलित किया जाता है और समीर फैक्ट्री का फीता काटता है ।तस्वीरें खींची जाती हैं ।रेखा बहुत ही खूबसूरत लग रही थी और साथ ही उसके चेहरे की खुशी देखते ही बन रही थी ।जितेंद्र जल्दी से काम खत्म करके वहां आना चाहता है लेकिन ऑफिस में बहुत जरूरी मीटिंग है। जितेंद्र नहीं आ पाता लेकिन वह रेखा को बार-बार मैसेज करके अपने साथ होने का एहसास दिलाता रहता है।

रेखा सब को संबोधित करने के लिए एक छोटा सा भाषण देती है और उसके बाद समीर जी भी आकर भाषण देते हैं। समीर रेखा की बहुत तारीफ करता है। वह कहता है कि ऐसे ही औरतों का साथ अगर उसे मिले तो देश उन्नति की राह पर बहुत जल्दी अग्रसर होगा ।रेखा को वह “ब्यूटी विद ब्रेन” कहकर संबोधित करता है और तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूंज उठता है ।सभी महिलाएं बहुत उत्साहित हैं। उनका भविष्य उज्जवल होने वाला है ।

सारे कामों को निपटाने हुए रेखा रात के 8:00 बजे घर पहुंचती है ।वह जितेंद्र का इंतजार कर रही है। जितेंद्र ना जाने आज कहां रह गया है ।ऐसे वह  7:00 बजे रोज हंसता मुस्कुराता घर आता था ।जानू रेखा से चिपक कर सो चुका है। वह अपने स्कूल में पहले दिन के बारे में बहुत कुछ बताता है। रेखा प्रफुल्लित हो उसकी सारी बातें सुन रही है ।नन्हा जानू अपनी तोतली भाषा में रेखा को ना जाने क्या कुछ बताना चाहता है जो वह साफ-साफ तो नहीं बता पा रहा लेकिन समझाने का अभिनय अवश्य कर रहा है ।

रात के 10:00 बज चुके हैं ।जितेंद्र अभी तक घर नहीं आया। रेखा उसे फोन कर रही है तो वह मोबाइल नहीं उठा रहा ।रेखा की चिंता धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। तभी रेखा को उसकी सास नीचे कमरे से आवाज लगाते हैं ।रेखा भागती हुई नीचे जाती है।  जितेंद्र की मां कुछ परेशान दिख रही है। जितेंद्र के पिता किसी से फोन पर बात कर रहे हैं। टीवी पर समाचार चल रहे हैं ।जितेंद्र की मां रेखा को इशारा करती है कि वह टीवी देखें ।रेखा टीवी देखती है तो आश्चर्य में पड़ जाती है ।टीवी पर रेखा की ही खबर चल रही है रेखा की एक झलक दिखाई जाती है और दूसरी झलक जितेंद्र की !!  जितेंद्र बेतहाशा कुछ लड़कों से लड़ रहा है उसमें हाथापाई कर रहा है और उन्होंने जितेंद्र को धक्का देकर गाड़ी से नीचे गिरा दिया । यह सब क्या हो रहा है!!

फोन पर पुलिस कमिश्नर जितेंद्र के पिता से कह रहे हैं कि जितेंद्र को कुछ भी नहीं होगा। कुछ ही देर में खबरे मीडिया से हटा दी जाएगी ।जितेंद्र के साथ क्या बात हो गई जो वह  इतना क्रोध कर रहा है।इतना शांत इतना गंभीर होने के बाद भी वह लड़कों से मारपीट कर रहा है !!उसने कभी कोई अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया लेकिन आज वह  गंदी गालियां निकाल रहा है ।रेखा समझ नहीं पा रही कि यह सब क्या हो रहा है ??आज उसकी जिंदगी का इतना महत्वपूर्ण दिन था,दिनभर  इतनी खुशी और शाम होते होते जैसे काले बादल उसकी जिंदगी पर छाने लगे!! ऐसा क्यों हो रहा था रेखा समझ नहीं पा रही थी….

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