रिक्त स्थान (भाग 11) – गरिमा जैन

जितेंद्र से बिछड़े रेखा को पूरे 24 घंटे बीत चुके थे ।यह 24 घंटे बिताना रेखा के लिए आसान नहीं था ।उसे पल-पल जितेंद्र के कहे हुए एक-एक शब्द याद आते ” रेखा मेरे जीवन में पड़े रिक्त स्थान को भर जाओ, रुक जाओ ,रुक जाओ रेखा,” रेखा अपने कान बंद कर लेती है। उसका दिल चाहता कि सदियां बीत जाए और वह जितेंद्र का चेहरा ना देखे। उसे ना जाने क्यों बार-बार यही लगता कि कहीं जितेंद्र उसका फायदा उठाना तो नहीं चाहता था !उस दिन जितेंद्र की आंखों में उसे सच्चाई तो दिखी थी पर उसका मन यह सच्चाई देखना नहीं चाहता था। उसे बार-बार जितेंद्र आकाश का  तारा ही नजर आता और वह जमीन की धूल!

अभी ठीक से सुबह नहीं हुई थी और रेखा की फोन की घंटी फिर खनखना जाती है ।रेखा घबरा जाती है कहीं जितेंद्र ही तो फिर से फोन नही कर रहा !वह क्या करेगी !क्या व जितेंद्र का फोन उठाएगी या फिर ……रेखा  देखती है कि रूपा का फोन है ।रूपा इतनी सुबह फोन क्यों करेगी अभी 5:00 ही बजे थे ।  रूपा की आवाज घबराई हुई थी।” रेखा कल तू जितेंद्र से मिलने गई थी ,उसके बाद तेरी बात हुई है उससे!

रेखा उदास मन से कहती है “नहीं ना बात हुई है, ना मैं कोई बात करना चाहती हूं ।रूपा तू भी उसके बारे में मुझसे बात ना किया कर और तूने इसीलिए इतनी सुबह सुबह फोन किया है !”

रूपा बोली “रेखा तुझे पता है जितेंद्र पिछले 24 घंटे से लापता है “!

“लापता है, मतलब !”




“मतलब कि कल सुबह के बाद जब से वह तुझसे मिला था उसके बाद उसे किसी ने नहीं देखा। वह अपने घर भी नहीं पहुंचा। तू जब जितेंद्र से मिलने गई थी तब उसके घर पर कौन कौन था?”

“मैं घर गई थी तो उसके पापा मम्मी सब बाहर गए हुए थे, नौकर भी कोई दिखाई नहीं दिए ,उसका ड्राइवर भी नहीं था, हां जब मैं बाहर आ रही थी तो जानू कि आया घर आ रही थी ,उस वक्त यही कोई  7:15 का समय होगा “

“रेखा कहीं तू किसी मुसीबत में ना पड़ जाए! रूपा ने कहा

” मुसीबत, मैं क्यों मुसीबत में पड़ जाऊंगी ,मैंने जितेंद्र को किडनैप किया है क्या?”

“रेखा तू नहीं समझती जितेंद्र बहुत बड़ी शख्सियत है ,अभी तो टीवी की खबरों में सिर्फ यह बात आ रही है कि जितेंद्र ने सुबह 7:50 पर एक लड़की को कार से उतारा था।”

” 7:50 पर तो शायद मैं ही उतरी थी अपने घर से कुछ दूरी पर “

“हां रेखा शायद पुलिस को सीसीटीवी फुटेज मिला है, साफ-साफ तो नहीं दिख रही है लेकिन तेरी कद काठी की लड़की जिसने गुलाबी रंग का सूट पहना था ,क्या तूने कल गुलाबी रंग का सूट पहना था !”

“हां सूट तो मैंने हल्के गुलाबी रंग का पहना था।”

” रेखा वह तू ही है ! टीवी पर खबरे चल रही है, तू क्या जवाब देगी अंकल आंटी को !और जितेंद्र कहीं उसके साथ कुछ बुरा तो नहीं हो गया!”

रेखा के माथे पर ठंडा पसीना आने लगता है। वह ना जाने क्या क्या सोचने लगती है ।तभी उसे याद आता है कि जितेंद्र की मां ने चिट्ठी में लिखा था कि जितेंद्र को डिप्रेशन की बीमारी हैं और उसका इलाज चल रहा था और इसीलिए उन्होंने उससे कहा था कि वह उसका साथ दें ,उसे खुद पर बड़ा अफसोस होने लगता है ।

वह रूपा  से कहती है “रूपा मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई, कल जितेंद्र बहुत परेशान था और मैंने उसका साथ नहीं दिया बल्कि उसे अकेला छोड़ कर चली आई”




” साथ नही दिया  मतलब”

” अरे रूपा तू नहीं समझेगी “

“मैं समझना भी नहीं चाहती रेखा, मैं नहीं चाहती कि तू किसी मुसीबत में पड़े ,अच्छा सुन मेरी एक बात मान ,बाहर से मालूम पड़े इससे पहले ही अंकल आंटी को सब कुछ बता दे, तेरी इमेज क्लियर हो जाए जिससे ।”

तभी बाहर से रेखा के पापा  आवाज लगाते हैं ।रेखा घबरा जाती है ।कहीं अखबार में तो कुछ नहीं आ गया !पापा को वह क्या जवाब देगी? वह बाहर की तरफ जाने लगती है तभी उसका फोन फिर से बचता है ।वह देखती है कि पूनम फोन कर रही है। पूनम जितेंद्र की दोस्त !शायद उसने यह बताने के लिए फोन किया हो कि  जितेंद्र का पता चल चुका है वह जल्दी से भागकर फोन उठाती है ।

पूनम बहुत परेशान थी वह रेखा से कहती है” रेखा तुम जितेंद्र के घर सुबह सुबह  क्या करने गई थी या फिर तुम उसके घर रात भर रुकी थी ?रेखा सुनकर घबरा जाती है वह सारी बातें पूनम को बताती है।

पूनम कहती है” देखो मैं तुमसे मिल चुकी हूं और मैं जितेंद्र को भी जानती हूं ।मैं तुम दोनों का विश्वास कर सकती हूं लेकिन मीडिया वाले तुम्हारा विश्वास नहीं करेंगे। जानू की आया ने शायद अपना बयान दिया है कि उसने तुमको सुबह सुबह लगभग 7:00 बजे के पास  ऊपर जितेंद्र के रूम से उतरते हुए देखा था ।यह बात तुम्हारे हक में नहीं जाएगी और जितेंद्र के तलाक के केस में भी फर्क पड़ेगा ।अगर जितेंद्र  जल्दी नहीं मिलता तो  शक की सुई तुम्हारी तरफ जाएगी रेखा ।मुझे साफ-साफ बता दो अगर तुमने कुछ गलत किया हो तो !”

रेखा चीख पड़ती है वह पूनम से कहती है कि “वह क्या सोचती है उसके बारे में उसे कोई फर्क नहीं पड़ता वह तो इंसानियत के नाते जानू को देखने गई थी और और  बस देखकर वापस आ गई थी “

“रेखा अगर तुम सिर्फ जानू को देखकर वापस आई थी तो बाहर निकलते वक्त रो क्यों  रही थी ?क्या हुआ था वहां पर?”

“पूनम मैं तुम्हे सारी बातें नहीं बता सकती ।”

“रेखा अगर मुझे सारी बातें नहीं बताएगी तो मैं किसी भी तरह की मदद नहीं कर पाऊंगी।”

रेखा फोन रख देती है। वह पीछे पलटती है तो उसके पापा खड़े होते थे।उनकी आंखें गुस्से से लाल थी।वह रेखा के गाल पर एक जोरदार तमाचा मारते हैं ।”इसी दिन के लिए पैदा किया था तुझे , कि तू झूठ बोलकर ……क्या चल रहा है तुम दोनों के बीच ?”

रेखा बुरी तरह फस चुकी है ।उसके गाल बिल्कुल लाल हो गए थे और उसका मन भी टूट गया था। वह समझ नहीं पाती कि वह अपनी सफाई कैसे दें !किस को क्या समझाए !वह कैसे अपनी बेगुनाही साबित करें ?क्या उसे आगे चलकर और भी जिल्लत उठानी है?तभी उसे जितेंद्र ख्याल आता है, जितेंद्र क्या सच में  गायब है ?उसकी मां ने तो चिट्ठी में लिखा था कि उसे डिप्रेशन है ।कहीं वह डिप्रेशन के कहीं चला तो नहीं गया। मालूम पड़ा जितेंद्र तो कहीं घूम रहा हो और रेखा को सारी जिल्लत सारी बेजती अकेले झेलनी पड़ रही है। उसे जितेन पर गुस्सा भी आ रहा था साथ ही उसकी चिंता भी हो रही थी ।उसके पापा जोर जोर से बोल रहे थे” बोल क्यों गई थी उसके घर ,झूठ बोल कर गई थी कि पढ़ने जा रही है, यही सिखाया है तुझे बचपन से ,यही संस्कार दिए थे!

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रिक्त स्थान (भाग 10) – गरिमा जैन

गरिमा जैन 

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