पीहर जाने की खुशी – रेणु सिंह : Moral Stories in Hindi

जल्दी करो भई 

तुम्हारी ट्रेन मिस हो जाएगी 

फिर भी तुम मुझे ही दोष दोगी …. अमित ने यह पिछले पांच मिनट में छ बार बोल दिया था 

आई, आप भी ना,

अभी डेढ़ घंटा है गाड़ी आने में और आपने अभी से 

हल्ला मचाया हुआ है 

अमित ने सामान कार में रखा और ममता को ले निकल पड़ा 

ममता आज कई सालों बाद अपने मायके जा रही थी 

वो खुश थी , और खुश हो भी क्यूं नहीं 

किसी भी लड़की के लिए उसका मायका वो जगह है जहां उसे भले ही कोई सुख सुविधा न मिले 

फिर भी वो सुकून से रहती है अमित ने देखा था ममता को हर रोज अपने मायके, भाई भाभी को याद करते हुए 

वो बोलती कुछ नहीं थी पर उसकी आंखे हमेशा कुछ नम सी रहती थीं 

एक अजनबी  – आरती झा आद्या 

तीन साल पहले उसकी छोटी बहन की शादी थी 

उसी समय कुछ ऐसा हुआ कि अमित ने अपनी जॉब को ग्रोथ देने के लिए चेंज किया 

मगर किस्मत ने ऐसा पलटा कि जॉब में ग्रोथ तो नहीं हुई ऐसे कारण जरूर बन गए कि जॉब से ही हाथ धोना पड़ा 

कुछ समय तो निकल गया मगर धीरे धीरे घर वालो के व्यवहार में अंतर आने लगा 

ममता सब कुछ देख रही थीं वो कभी भी अमित की हिम्मत टूटने नहीं देती थीं 

कहते है मां का प्यार किसी भी हाल में नहीं बदलता 

लेकिन यह कलयुग है प्यारे 

यहां सब कुछ बदल सकता है अमित की मां का व्यवहार भी पहले की अपेक्षा बदल गया था 

अब वो बड़े बेटे के घर ज्यादा रहती 

दोनों पास पास ही रहते थे तो वो आती जाती रहती थीं 

बाकि दुनिया से तो उसे फर्क नहीं पड़ता था मगर मां के व्यवहार से अमित अंदर ही अंदर परेशान रहने लगा 

वो दिन रात कोशिश कर रहा था जॉब पाने की मगर अभी उसे और भी इम्तहान देने बाकि थे 

एक दिन तो हद ही हो गई बड़े भाई की बेटी का जन्मदिन था 

माँ का मान  – पूनम अरोड़ा

सब को अपने साथ हर जगह ले कर जाने वाले अमित और ममता से किसी ने पूछा तक नहीं 

तब दुखी हो अमित ने इतना ही कहा 

“इज्जत इंसान की नहीं, पैसे की होती हैं”

नहीं तो मेरे ही घरवाले मेरे साथ ऐसा व्यवहार नहीं करते 

कोई बात नहीं अमित, आप परेशान मत होइए 

सब ठीक हो जाएगा एक दिन

लगभग डेढ़ साल परेशानी देखने के बाद अमित को जॉब मिल गई और वो भी पहले से कई अच्छी,

मगर वो थी बहुत दूर,

अमित को अकेले ही जाना पड़ा 

शुरू शुरू में खर्चा भी बहुत हो गया ममता बच्चों की वजह से कही नहीं जा पाई 

पीहर में भी कई कार्यक्रम हुए मगर वो नहीं गई 

सब से पहले ममता को अमित और अपने बच्चों को संभालना था वो नहीं चाहती थीं कि कोई भी उनके बच्चों को यह अहसास करवाए कि उनके पिता अभी बेरोजगार हैं 

कुछ कमाते नहीं हैं घर में कैसे भी रहा जा सकता है मगर बाहर जा कर बाहर के हिसाब से रहना पड़ता है 

आज सब कुछ ठीक हो गया है और वो अपने पीहर जा रही है शान से ,

तो ममता की खुशी ही कुछ और थी मगर उस से भी ज्यादा खुश कोई था तो वो था अमित

इसी पत्नी पा कर अमित अपनी किस्मत पर नाज कर रहा था।

© रेणु सिंह राधे ✍️ 

कोटा राजस्थान 

#इज़्ज़त पैसे की होती है इंसान की नहीं 

प्रतियोगिता के तहत

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