फेरो के गुनहगार – सपना शर्मा काव्या

शादी की तैयारी चल रही हैं। सभी बहुत खुश हैं, और हो भी क्यों ना तिवारी जी कि लाड़ली,इकलौती बेटी की शादी जो है।चारों ओर खुशियाँ ही खुशियाँ फैली है।

    बस दुल्हन होने के  बाद  भी निशा के चेहरे पर उदासी थी। कोई कारण न होने के बाद भी निशा को अपनी खुशी अधूरी सी लग रही थी जिसका कारण था वो सपना जो उसने आज रात देखा था जब से ही निशा बैचेन सी थी हालाकि निशा पड़ी लिखी थी लेकिन कही बार ऐसा हो जाता है की हम खुद अंधविश्वासी हो जाते है।

तिवारी जी कमरे मे आते हुऐ, क्या हुआ बिटिया उदास क्यू हो? 

    निशा रोते हुए, पापा मुझे शादी नहीं करनी आज, तिवारी जी ने घबराते हुए। क्या हुआ बिटिया, निशा पापा मेरा मन घबरा रहा,मुझे डर लग रहा है , आज मेरी विदाई मत करो….ऐसा लग रहा है, जैसे में हमेशा के लिए जा रही हूँ ,और तिवारी जी से लिपट गई,तिवारी जी ने आंसू पूछते कहा, 

बिटिया ये तो विधि का विधान हैं हर बेटी को अपने पिता का घर छोड़ कर एक दिन अपने पति के घर जाना होता है। निशा रोते हुए बोलती है पापा आज मेने बहुत बुरा सपना देखा जब से ही मेरा मान घबरा रहा है तिवारी जी निशा को समझते हुए बोलते है ऐसे नहीं घबराते बिटिया,

निशा बोली पापा सुनो तो सही मेने क्या देखा तिवारी जी बोले चलो ठीक है बताओ,  निशा बोली मै और अजय दूल्हा दुल्हन बने एक नाव में बैठे है, और नाव मैं पानी भर गया और नाव डूब गई। सपना सुन कर पहले तो तिवारी जी भी घबरा जाते है लेकीन खुद को संभाल के बोलते है क्या निशा बेटा तू भी कैसी बात करती हो सपने तो सपने होते है और निशा को  समझते हुए कमरे से बाहर चले जाते है 


                           दूसरा दृश्य 

निशा और अजय का शादी समारोह जयमाला ,दावत, फेरे सब बहुत अच्छे से निपट गया, सब बहुत खुश थे। विदाई का समय आया। तो निशा फिर रोने लगी, निशा हाथ जोड़ के रोते हुए बोली बस पापा आज विदा मत करो। तिवारी जी ने आंसू भर के निशा का हाथ अजय के हाथ में दिया, और हाथ जोड़ते हुऐ कहा, मेरी बच्ची का ध्यान  रखना,अजय ने जोड़े हाथ पकड़ के कहा जी पापा जान देकर भी ध्यान रखुगा। 

            

                         तीसरा दृश्य 

तिवारी जी सब का  हिसाब कर के बैठे ही थे। तभी  फोन की घंटी बजती है  तिवारी जी चश्मा ठीक कर के फोन की। स्क्रीन पर देखते है अनजान नंबर है तिवारी जी फोन काट देते है जभी दुबारा उसी नंबर से फोन आता है इस बार ,तिवारी जी ने फोन उठा लिया, बोले हेलो दूसरी तरफ से जो कुछ भी कहा गया उसे सुन के तिवारी जी के हाथ से फोन गिर गया ओर वह बेहोश होके गिर गए। 

       

                            अन्तिम दृश्य 

      

तिवारी जी रोते बिलखते हॉस्पिटल पहुँचे,पुलिस अपना काम कर रही हैं, तिवारी जी ने पूछा क्या हुआ पुलिस ने बताया कार एक्सीडेंट हुआ है,कार में जितने भी लोग के सभी एक्सपायर हो गए ,तिवारी जी से बॉडी पहचानने के लिए  मोर्चरी में अंदर ले जाया गया। 

जब लास्ट बैड़ पर गए वहां पर दूल्हा-दुल्हन एक साथ लेटे थे।दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ा हुआ था जैसे बोल रहे हो, मैं तुम्हारे साथ हूं ,तिवारी जी के सामने सारी घटना घुमने लगी।

उसकी बेटी ने कहा था मुझे आज विदा मत करो मैं वापस नहीं आऊंगी काश मैं अपनी बच्ची की बात मान लेता काश मै उसे आज बिदा न करता ,अजय का यह बोलना जान देकर भी ध्यान रखूंगा,उसने जान दे दी मेरी बच्ची के साथ लेकिन साथ नहीं छोड़ा,

उधर दूसरी तरफ अजय के मां बाप का भी बुरा हाल था जवान बेटे और बहू की मौत ने उन्हें तोड़ कर रख दिया और तिवारी जी बस यह सोच कर रोते रहे यह क्या हो गया ,मेरी बच्ची सिर्फ फैरो की गुनाहगार बनी है। 

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